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Tuesday, January 31, 2012

ब्लोगर बादशाह के तहत मिलिए "एस एन शुक्ला" जी से

" आओ मीले एक ऐसे व्यक्तित्व से और एक ऐसी कलम के मालिक को जो सच्चाई से भरी आग उगलना जानती है ,बहुत से एडिटर देखे और उनकी कलम भी देखि ..और उनकी कलम को किसी नेता के इशारे चलता भी देखा और कलम से लेकर वो कागज सब कुछ को नेता के एहसान के नीचे दबा हुवा भी देखा मग़र एक ऐसा व्यक्तित्व सामने आया की एडिटर होते हुवे भी किसी की शर्म नहीं रखती है उनकी कलम उनकी कलम लडती है और कैद करती है सिर्फ सच्चाई से भरे चंद अल्फाज़ ...आओ मीले ऐसे ही एक अनोखे व्यक्तित्व को जिनकी ये ग़ज़ल मेरे दिल पर हावी हो गई है ...सच को काफी बेहतरीन तरीके से प्रस्तुत किया है ..."श्री एस एन शुक्ला जी "ने |"

" श्री शुक्ला जी " लौह स्तम्भ" के एडिटर है, जो ग्रेटर नॉएडा,सीतापुर से है जो सिनिअर जर्नालिस्ट है ... उनकी कलम को सलाम ये मै ही नहीं बल्कि आप भी उनकी ये अद्भुत ग़ज़ल को पढ़कर कहेंगे ...तो ये रही उनकी रचना ...पढ़िए और सोचिये ...जानिए सच्चाई को .................

डरा कर इनसे
हुक्मरां अब भी हैं बेदर्द , डरा कर इनसे /
ये किसी के नहीं हमदर्द , डरा कर इनसे /

गोलियाँ इनको चलाने से भी गुरेज नहीं ,
भूखे- नंगों पे लाठियों से भी परहेज नहीं ,
ज़ुल्म की हद से गुजरते हैं अपनी शेखी में ,
वास्ते इनके कोई कायदे - बंधेज नहीं ,
ये निगाहें हैं बड़ी सर्द , डरा कर इनसे /
हुक्मरां अब भी हैं बेदर्द , डरा कर इनसे /


सड़क पे इनको उतरते हुए डर लगता है,
भीड़ के बीच गुजरते हुए डर लगता है,
ये हैं संगीनों के साये में भी दहशत से भरे,
घर से बाहर भी निकलते हुए डर लगता है ,
और कहते हैं खुद को मर्द , डरा कर इनसे /
हुक्मरां अब भी हैं बेदर्द , डरा कर इनसे /


आम इनसान को जाहिल ही समझते हैं ये ,
सारी दुनिया की अकल खुद में समझते हैं ये ,
मुखालफ़त क्या , मशविरा भी गवारा न इन्हें ,
अलहदा सबसे नस्ल खुद की समझते हैं ये ,
इनको दुनिया का नहीं दर्द , डरा कर इनसे /
हुक्मरां अब भी हैं बेदर्द , डरा कर इनसे /

कुर्सियों के लिए , कुत्तों की तरह लड़ते हैं ,
कुर्सियाँ पा के मगर , शेर सा अकड़ते हैं ,
चलाते तब हैं ये जंगल का कायदा - क़ानून ,
बाप का माल समझ , खुद का ही घर भरते हैं ,
हमाम में हैं ये बेपर्द , डरा कर इनसे /
हुक्मरां अब भी हैं बेदर्द , डरा कर इनसे /
- एस. एन. शुक्ल

" श्री एस एन शुक्ला" जी का ब्लॉग पता है " मेरी कविताये "Link
इस प्रभावी व्यक्तित्व को सलाम
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6 comments:

  1. आज कल की हमारी भ्रष्ट राजनीति और नेताओं के ऊपर करारा कटाक्ष करती प्रभावशाली प्रस्तुति

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    1. sahi kaha pallavi ji ek dhardaar prahar hai ye gazal

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  2. बहुत ही धारदार लिखा है... शुक्ला जी ने...

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    1. indian citizen sir ....sahi kaha aapne har alfaz me ek alag hi gaherai najar aati hai is gazal me

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  3. शुक्ल जी ने तो खरी खरी कही है... फिर भी लोग थप्पड से गुरेज़ नहीं करते:)

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