""हमारी youtube चेनल Enoxo multimedia को Subscribe करके Bell icone दबाये और ज्ञानवर्धक एवं शानदार विडीओ देखे सरकारी योजनाओ की जानकारी,टेक्नोलोजी,फन्नी,कॉमेडी,राजकीय घटना क्रम से जुड़े शानदार विडीओ देखना ना भूले youtube : enoxo multimedia""

Tuesday, July 30, 2019

मोब लिंचिंग की शुरुवात कहाँ से हुई ? पूरा इतिहास

आइये आज देखते है लिंचिंग का इतिहास और इसकी क्रूरता

"असल मे भारत का चरित्र नहीं है मॉब लिंचिंग, यह भारत को बदनाम करने वाला एक विदेशी चलन है जिसे कुछ बुद्धिजीवी बढ़ाचढ़ाकर भारत के सर लिंचिंग का ताज रखना चाहते है अगर आप विराट भारत का प्राचीन इतिहास उठाकर देखेंगे तो आपको इस बात का अंदाजा हो जाएगा कि भारतीय सनातन संस्कृति के विपरीत है ये लिंचिंग क्यों कि सनातन संस्कृति में कही पर भी हिंसा का नही कहा गया है । "

लीचिंग की शुरुवात विलियम लिंच ने की थी

' लिंचिंग’ ये शब्द अमेरिका से ही आया है इस बात में संदेह नही है , कुछ लोग जिसे विलियम लिंच के नाम से जानते है तो कुछ चार्ल्स लिंच के नाम से उसने एक क्रांति के दौरान अपनी निजी अदालतें बिठानी शुरू की और अपराधियों तथा विरोधी षड्यंत्रकारियों को बिना किसी कानूनी प्रक्रिया के सजा देने लगा. धीरे-धीरे ‘लिंचिंग’ के रूप में यह शब्द पूरे अमेरिका में फैल गया । याद रहे इस निजी अदालत में विरोधी षडयंत्रकारियो को बिना कोई कानूनी प्रक्रिया के तहत सजा दी जाती थी । ओल्ड टेस्टामेंट के डीयूटेरोनॉमी नामक 21 वें चैप्टर में सामूहिक हत्या, हिंसा व अपराध के मजहबी प्रकार का वर्णन भी है।"

"वहीं से यह हिंसक व्यवहार यूरोप, अमेरिका, अफ्रीका और अरब के देशों में प्रचलित हुआ। उन देशों में कानून प्रक्रिया का अंग बना और रिलीजन व मजहब के व्यवहार में भी सम्मिलित हुआ। "

■ शुरू हुवा लिंच लॉ

" जिसको चार्ल्स लिंच ने 1782 में "लिंच लॉ" के नाम से वर्णित करते हुए कहा कि उनके सहयोगी ने इसके माध्यम से टोरिस और नीग्रो लोगों को निपटाया। (Waldrep, Christopher (2006). "Lynching and Mob Violence". In Finkleman, Paul (ed.).Encyclopedia of African American History 1619–1895. 2. New York City: Oxford University Press. p. 308.)"

" आप देखिये कि मॉब लिंंचिंग का समाानार्थी शब्द संस्कृत या हिंदी भाषा में नहीं है। क्योंकि किसी की हत्या का यह व्यवहार भारत की संस्कृति का कभी भी अंग नहीं रहा। भारत में न्याय शास्त्र अति प्राचीन है। "

■ कुछ ऐसा था

" मॉब लिंचिंग स्पष्ट रूप से विदेशी बर्बरता के चरित्र से पनपा हुआ हिंसक क्रूर व्यवहार है जिसकी जड़ें ओल्ड टेस्टामेंट में हैं। अमेरिका के स्टेट ऑफ वरजीनियाँ में चार्ल्स लिंच और विलियम लिंच के द्वारा ओल्ड टेस्टामेंट की इसी व्यवस्था के अनुरूप अपराध के आरोपों पर भीड़ द्वारा सामूहिक हत्या की परिपाटी आरम्भ की गई। स्वघोषित जज विलियम लिंच के द्वारा यह न्याय की परिपाटी आरम्भ हुई। "

" क्या ब्रिटेन से गए हुए श्वेत प्रवासियों ने अमेरिका में अश्वेत लोगों की हत्या के लिए लिंचिंग की प्रक्रिया आरम्भ किया ? ये भी एक सवाल है । "

" अगर सरकारी आंकड़े देखे तो 1882 से 1951 तक 69 वर्षों में सरकारी आँकड़ों के अनुसार 3437 अश्वेत लोगों की मॉब लिंचिंग हुई जबकि प्रत्युत्तर में 1293 श्वेत लोगों की मॉब लिंचिंग हुई थी । "

("Lynchings: By State and Race, 1882–1968". University of Missouri-Kansas City School of Law. )

■  क्या है द एमेनिसिपेशन एक्ट ?

"जब लोकतंत्र ने स्वरूप लेना आरम्भ किया तब उन्हें मताधिकार नहीं दिया गया जिसकी वजह थी श्वेत अश्वेत की भेद रेखा , ब्रिटेन में तो 1833 में द एमेनिसिपेशन एक्ट के माध्यम से श्वेत बहुलता वाले समाज में अश्वेतों की भागीदारी पर रोक लगा दिया गया था। "

" अगर आप भूले नही है तो दक्षिण आफ्रिका में इसी रंगभेदी लिंचिंग की मानसिकता के विरुद्ध नेलशन मंडेला का बहुत लंबा संघर्ष चला जो विश्व इतिहास में अत्यंत महत्वपूर्ण है और रहेगा । "

" अमेरिका में चलाया गया कु क्लक्स क्लान (KKK) भी श्वेत प्रभुत्व के लिए संचालित, संगठित मॉब लिंचिंग का ही आंदोलन था और ऐसे में हम हिटलर को कैसे भूल सकते है ? हिटलर की तानाशाही भी तो लोगों की क्रूरतम सामुहिक हत्या के कारण ही विश्व इतिहास में जानी जाती है और इसी मॉब लिंचिंग के दौर में यूरोप में लिंचर्स के नए समुदाय का जन्म हुआ जिसे मार्क्सवाद के नाम से हम जानते हैइन लोगों ने हथियार बंद भीड़ के द्वारा इसी प्रकार की लिंचिंग प्रक्रिया चलाई जिसे इन लोगों ने " विप्लव " कहा।"

" यूरोप के अनेक देशों के साथ साथ रशीया और चाईना इससे विशेष रूप से प्रभावित हुए है तो ऐसा कहना उचित ही है कि मार्क्सवादियों का यह विप्लव भी एक प्रकार का मॉब लिंचिंग ही था। मओत्से तुंग के द्वारा चलाया गया माओवादी हिंसा जिससे भारत भी प्रभावित हुआ और झुलसा, उस माओवाद की हिंसात्मक प्रवृति भी एक प्रकार की मॉब लिंचिंग ही तो है। "

" यह हिंसात्मक गतिविधि यूरोप से होते हुए अमेरिका, अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, रशीया, चाईना, अरेबियन कंट्री इत्यादि देशों से होते हुए भारत मे आई किंतु हैरानी तब होती है जब उनकी इस मॉब लिंचिंग की हरकतों का कोई उन्हीं की भाषा में प्रत्युत्तर दे दे तो वही लोग भारत में मॉब लिंचिंग को लेकर छाती पीटते नजर आते हैं। यद्यपी भारत का बहुसंख्यक समाज किसी भी प्रकार की हिंसा के विरुद्ध है। "

" याद रहे जिनकी पीढ़ियाँ उनके देशों में मॉब लिंचिंग, क्रुसेड, तहररूस, विप्लव करती आई हैं भारत में मॉब लिंचिंग और इनटॉलेरेंस का नाम लेकर इस देश को बदनाम करने का अभियान चलाती हुई नजर आती हैं।"

" क्यों कि भारत की विराट संस्कृति जीव दया में मानती है किसीको सहारा देने में मानती है हिंसा में नही "

" कड़वी है मेरी कलम इसलिए आपको अच्छा ना भी लगे मगर देश के लिए सच लिखता हूं कोई फॉलो करें या ना करे मैं तो बस्स ! कड़वा हु और कड़वा ही रहूंगा क्यों कि सच को जो चाहता हु ।"
■  आप मुझे यहाँ मिलिए :

enoxo multimedia

Tulsibhai Patel

अधिक जानकारी के लिए यहाँ आए :


" फिर मिलेंगे नए सवाल के जवाब के साथ तब तक हँसते रहिये ,स्वस्थ रहिये और अपने प्यारे से परिवार को जी भरकर प्यार देते रहिये "

धन्यवाद ,

:::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::

Tuesday, July 16, 2019

ईश्वर , दुख, CCTV और इन्सान | क्या है इसका कनेक्सन ?

" ईश्वर , दुख, CCTV और इन्सान ... क्या है इसका कनेक्सन ? आजके जमाने मे इन्सान कभी किसी से नहीं डरता चाहे वो भगवान ही क्यू ना हो ? मगर उसे डर लगता है किसी मोल मे या किसी जगह पर लगे CCTV केमेरे का , आखिर ऐसा क्यू ? "
https://youtu.be/6RJDovJXu5Q

" इन्सान अपने द्वारा बनाई गई हर चीज से डरता है यही सत्य है और इसका अनुभव आपने भी किया होगा ,आखिर ऐसा क्यू होता है की अपने द्वारा किए गए आविष्कार से डर लगता है मगर उसे जिसने बनाया उससे डर नहीं लगता ? या फिर जो दीखता है उसीसे डर है और जो नहीं दिखता फिर भी है उससे डर नहीं है | जिसने इन्सान को बनाया उसे और उसकी ताकत को हल्के मे ले रहा है मगर खुद के आविष्कार को महान बताने की व्यर्थ कोशिश कर रहा है इन्सान | "

" इन्सान इतना व्यस्त है की उसके पास समय नहीं है बाकी सबकुछ है , मै उस समय की बात कर रहा हु जिस समय मे वो ईश्वर के सामने खड़ा रहे सके , बस्स ! यही समय की कमी है मगर फिल्म देखने या मोबाइल पर चेटिंग का समय है ,इन चीजो से क्या होता है और कहाँ से उसके जीवन मे दुख प्रवेश करता है ये उसे भी पता नहीं चलता और वो पायमाल हो जाता है बर्बाद हो जाता है  ........ तब वो उसे बनानेवाले याने परम तत्व परमात्मा जिसे हम ईश्वर कहते है उससे सिर्फ एक बात कहेता है .....

और वो बात यहाँ पर है 
यहाँ क्लिक करे आप भी कहेंगे सच है ये बात 

 watch this video also ,
गोल्डन मिनट : इस तरह से करे आपकी मनोकामना पूरी


Mother's day | Don't Abuse| Sexual Abuse|  Maa aur bahen ko gali | Gali kyu dete ho | Mother


Main Bhi Chowkidar/मैं भी चौकीदार


Historic ball but Not from cricket|magic ball


how to renew #amrutam card/અમૃતમ કાર્ડ ને રિન્યૂ કેવી રીતે કરવું ?


Thank you ,

:::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::


 Subscribe us at enoxo multimedia on youtube