क्या ऐसे लोग कर सकते है भारत के संविधान की रक्षा ?
क्या ऐसे लोगो को आदर से बुलाना चाहिए ?
" संविधान के रक्षक और भारतीय जनता से " आदर की उम्मीद" रखनेवाले भारत के सांसद "लालू प्रसाद यादव " और उनकी धर्म पत्नी जो की बिहार की भूतपूर्व मुख्यमंत्री है उन्हें कोई ये सिखाये की राष्ट्रगीत की धुन कानो पर जैसे ही पड़ती है वैसे खड़े हो जाना चाहिए ....भारत के सांसद भारत के संविधान से बड़े नहीं है और जो इस देश के राष्ट्र गीत को भी मान नहीं देता है उसे आदर के साथ " माननीय" कहेना क्या उचित है ? "
" इस देश में उसे ही आदर के साथ बुलाया जाता है जिसे राष्ट्र गीत का महत्त्व का पता होता है ....ये तो हमारी कम नसीबी है की ऐसे पागल लोगो को हमें आदर के साथ माननीय लालू प्रसाद कहेना पड़ता है | "
मग़र सोचो ये है हमारे सांसद जिन्हें देश के राष्ट्रगीत का मान का भी पता नहीं है और बन बैठे है सांसद याने संविधान के रक्षक ....क्या ऐसे सांसद संविधान के रक्षक बनने के लायक है ?....या फिर हमारा देश का संविधान ही ऐसे सांसद को कहेना पड़ता है ...याने संविधान ही सांसद है ...सोचो ...|"
:::
::
:
इस तस्वीर के बारे में विवरण दें.
ReplyDeleteसार्थक और सामयिक प्रस्तुति, आभार.
ReplyDeleteकृपया मेरे ब्लॉग "meri kavitayen" पर भी पधारने का कष्ट करें, आभारी होऊंगा /
इससे अधिक की उम्मीद इनसे की भी नहीं जानी चाहिए..ई हैं भारतीय रिपब्लिक के नेता जी पोलटिस वाले
ReplyDeletebehad hi sahi kaha ajaybhai
Deleteyehi log kal sansad me bethkar , desh ka aur trirange ka kaise sanman karna chaiye is visay par ek ya do gante ka bhashan karege, or TV vale uski vah vah karege, jaise lokpal ke vakt hua - jagdish patel
ReplyDeletesahemat hu aap se jagdishbhai ji
Deleteएक जिज्ञासा - राबड़ी देवी क्या पढ़ रही होंगी?
ReplyDelete