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Tuesday, November 16, 2010

ये मजहब का धुवाँ उठा कहाँ से - एक रचना

दोस्तों ,

           " ये रचना मैंने उन दिनों लिखी थी जब अयोध्या विवाद खड़ा था कोर्ट में ...आज इसे आपके सामने रख रहा हु ...गलतियाँ भी होगी इस रचना में मग़र अगर आपको पसंद आये तो इसे मै अपनी खुश किस्मती सम्जुन्गा क्यों की इस रचना को आप पढ़ना जरूर मग़र इस रचना के पीछे छिपी मेरी भावना को भी देखना ..इस रचना को मेरे दोस्त ने " कॉपी राईट " भी करवाई है ..अगर कोई गलती या कमी हो इस रचना में तो मुझे जरूर बताना ."

आपका अपना ,
तुलसिभाई ,

" ये मजहब का धुवाँ उठा कहाँ से ,

जिसने राम और रहीम को बदनाम किया ,

                     जगत के पालनहार ने कभी कुछ माँगा नहीं ,

                     हमने बिना मांगे ही उसे कोर्ट का कठहरा दिया ,

                     ये मजहब का धुवाँ उठा कहाँ से |

मंदिर में भी दीपक है ,

दरगाह में भी दीपक है ,

रंग दीपक की ज्योति का एक ही है ,

फिर ये मजहब का धुवाँ उठा कहाँ से |

                          है रहीम के दिल में राम ,

                         है राम के दिल में रहीम ,

                         फिर भी नहीं है इन्सानों के दिल में राम रहीम ,

                         ये मजहब का धुवाँ उठा कहाँ से | "
  

Monday, November 8, 2010

" हिजड़े ने जीता लोगों का दिल |"

             " मै इलेक्शन जीतु या हारू ..वादा करती हु, की आपकी इस परेशानी को मै दूर करुँगी |" ये अल्फाज़ थे "वासंती दे" नामक एक किन्नर { हिजड़ा } के , और उसने वादा पुरा किया भी ,आखिर क्या था वो वादा ? ..आइये देखते है |"

             " जब देश के बड़े बड़े नेता उनके द्वारा इलेक्शन के वक़्त किये गए वादों को भूल जाते है तब यहाँ " वासंती दे" ने एक मिसाल कायम की है की नेता को अपने वादे याद रखने चाहिए , खम्भालिया { जामनगर }के नगर निकाय चुनाव वार्ड नंबर ५ के अपक्ष उम्मेदवार " वासंती दे " जो स्त्री अनामत सिट से चुनाव जीती थी और वहां पे वार्ड नंबर ५ में ४०० मीटर का रास्ता बहुत ही ख़राब था ..ऐसा ख़राब की वहां पे पैदल चलाना भी मुस्किल हो जाता था और ये हालत पिछले ३० साल से थी |"

            " जब पैदल चलना ही मुस्किल हो जाता हो वहां पे गाडियों की क्या बात करे , सहर में सब जगह पे अच्छे रोड बन गए थे मग़र नेताओं को वार्ड नंबर ५ के रस्ते की जब बात आती तो उसको टाल दिया जाता था सरकारी ग्रांट का इंतज़ार करना भी "वासंती दे " ने मुनासिब नहीं समजा और लोगों को अपील की मदद करने की और कहा की आओ हम अपना काम खुद करे और बनाये एक " सीमेंट रोड " लोगों ने पैसे से लेकर काम में भी हाथ बटोरना चालू किया है ...और हैरत अंगेज़ बात ये थी की खुद " वासंती दे " हाथ में औजार लेकर... सर पे सीमेंट उठा कर महेनत कर रही है |"

             " जो काम हमारे मर्द नेता नहीं कर सकते है वो काम इस हिजड़े ने कर दिखाया और इसीको ही शायद सच्चा नेता कहा जाता है , रोड का ३० साल पुराना प्रश्न चुटकियों में जनता का साथ लेकर सुल्जाने वाले इस "वासंती दे " को आज वहां की पब्लिक शाबासी दे रही है |"

             " हमारे नेता को जब भ्रस्टाचार से फुर्सत नहीं है तब इस किन्नर { हिजड़े } ने एक मिसाल खड़ी कर दी है ..काश ! हमारे देश के नेता इस हिजड़े से कुछ सीखे सिर्फ वादे करने नहीं चाहिए बल्कि उसे निभाने भी चाहिए फिर देखो जिस तरह वार्ड नंबर ५ के लोग जात महेनत कर रहे है उसी तरह इस देश की जनता भी आपको साथ देगी ...मग़र पहले इस " वासंती दे " किन्नर से कुछ सिखलो|"

            " इस देश में अब "हिजड़ा" किसको कहे ..."मर्द नेता" को या फिर " वासंती दे" को.....साबास "वासंती दे" ..साबाश |   "