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Sunday, March 24, 2013

दिमाग नहीं है तो फिरेगा कैसे ?(जस्टिस काटजू )


* अखबार के एडिटर कहते है काटजू का दिमाग फिर गया है
               मै ही नहीं मगर कुछ अखबार के तंत्री ( editor ) भी आपको बिना दिमागवाला कहते है भाई ...अपने आर्टिकल मे कहते है की काटजू नाम का आदमी विचित्र चित्र के जैसा है जो प्रेस काउंसिल का अध्यक्ष है मगर अपने बकवास से अपना अभिप्राय दे रहा है .... हालाकी अभिप्राय देना सबका हक है मगर किसी संस्था के उच्च पद पर आप बिराजमान हो तब आपका अभिप्राय आपका ही नहीं बल्कि पूरी संस्था का बन जाता है ..... काटजू ने कभी ये सोचा की उसके संजय दत्त के अभिप्राय के साथ पूरा प्रेस काउंसिल सहेमत है या नहीं
           " ये तो अखबारवालों की अपनी राय थी मगर शायद अखबारवाले भूल रहे है की दिमाग ही ना हो तो दिमाग फिरेगा कैसे ? ये रहे काटजू को मेरी ओर से कुछ सवाल " 

* दिमाग नहीं है तो फिरेगा कैसे ?(जस्टिस काटजू )   
                         काटजू साहब देशभक्ति की परिभाषा क्या होती है उस पर कभी अध्ययन करना ओर उन परिवार की ओर भी नजर करना जिन्होने हादसे मे अपने परिवार के किसी सदस्य को खोया हो आज अगर मै अपने परिवार की रक्षा के लिए सरकार की मंजूरी लिए बगैर AK47 रखू तो क्या वो चलेगा क्या ? जब मुझे भी पुलिस पकड़े तब क्या आप मेरे जैसे मामूली आम आदमी का बचाव निर्दोष ,मासूम बच्चा कहके करेंगे क्या ?

* कानूनी मंजूरी क्यू नहीं ली
                 संजय दत्त को अगर AK47 रखनी ही थी तो वो सरकार से मंजूरी नहीं ले सकता था क्या ? किसने दी आपको जस्टिस की पदवी जनाब काटजू साहब ?कभी कुछ बोलते हो कभी कुछ ....अरे पहले आपकी देशभक्ति इस देश के प्रति साफ करो भाई ,देश का कानून ...वो कानून जो इस देश मे सर्वोपरि है ,सनमाननीय है वो भी जब कहेता है की संजय दत्त गुनहगार है तब आप क्यू अपनी सलाह दे रहे है ? क्या आप इस देश के कानून से भी बड़े है क्या ?

* यकीन हो गया की दिमाग नहीं है
                   पहले खुद को साबित करो की आप एक सच्चे देशभक्त है ....आपने भी तो आपके पद को संभालने से पूर्व एक शपथ ली होगी तो क्या उसमे ऐसा लिखा था क्या की गुनहगारों को मासूम का दर्जा देकर दूसरे निर्दोष लोगो पर अन्याय करूंगा ...क्या वो शपथ आप भूल गए क्या ? कमाल करते है आप भी काटजू साहब अब तो शंका हो रही है की आपके पास दिमाग ओर दिल है या नहीं ?”

            काटजू साहब अगर आप सच्चे देश भक्त है तो कभी इन मुद्दो पर भी बोले ओर लिखा करे ताकि देशवासियों को पता तो चले की आप देशभक्त है कानून की इज्जत करते है
  • आसाम दंगे
  • राजस्थान दंगे
  • रामलीला मैदान मे आधी रात मे खेला गया तांडव
  • ओवेसि जैसों की भाषा
  • सरकार के खिलाफ होने पर सीबीआई के द्वारा पड़ते तुरंत ही छापे
  • पाकिस्तान के द्वारा सैनिको के सर कलम करना ओर सरकार का चूप रहेना
  • बांगलादेसी घुसपेठीयों का आतंक 

* ऐसा कैसे हो सकता है बाप भला तो बेटा भला ?
             मुद्दे तो बहुत ही है काटजू साहब यहाँ जगह कम पड़ेगी मगर भैया आप कभी इन मुद्दो पर लिखते या बोलते नहीं है आपको इस वक़्त संजय दत्त की ही फिक्र है मगर एक बात आपको भी पता है की इस दुनिया मे ऐसे अनेक बेटे है जिसका बाप सन्मान के लायक हो मगर बेटे नालायक हो ,स्वर्गीय सुनील दत्त साहब एक सच्चे आदमी थे मगर क्या सिर्फ इसी बात पर संजय दत्त कानून तोड़कर अपने पास AK47 जैसा हथियार रखे ओर मासूम ,निर्दोष कहा जाए ये कहाँ का न्याय हुवा भाई ? ऐसे मे तो इस देश का हर आमआदमी अपनी ओर अपने परिवार की सुरक्षा के लिए बिना कानून की इजाजत लिए अपने पास ऐसे खतरनाक हथियार रखने लगेगा,तो उस वक़्त भी आप यही कहोगे की ये लोग तो मासूम है ....निर्दोष है |“

* अब ये पट्टी हटाओ भाई
              आपको जस्टिस कहा जाता है .... जस्टिस का मतलब होता है न्याय करनेवाला मगर लगता है की आपने भी कानून की देवी की तरहा अपनी आँख पर पट्टी बांध रखी है जब की पट्टी बंधे हुवे भी कानून की देवी का न्याय सही होता है मगर आप है की अपनी आंखो से पट्टी उतारते ही नहीं है,भैया जरा पट्टी हटाओ ओर न्याय की भाषा बोलो इस देश का कानून आमआदमी से लेकर प्रधानमंत्री तक सब के लिए एक समान होता है ओर कानून से बड़ा इस देश मे ओर कोई भी नहीं है, क्या आप इस बात से सहेमत नहीं है ?”

           खैर .... इंतज़ार रहेगा हमे, की आप उन मुद्दो पर भी लिखे ओर अपनी राय दे जिस मुद्दो की सफाई के लिए देश तड़प रहा है .....ओर हाँ ,सच्चे देश भक्त होकर लिखना भाई ....कहीं उन मुद्दो पर लिखते वक़्त ये ना कहेना की कानून पर भरोषा रखो ..... कानून ही जाने ..... क्यू की आप तो कानून को भी संजय दत्त के मामले मे सलाह दे रहे हो ....याने आप कानून से बड़े हुवे .... चलो अब दिल खोलकर लिखो या बोलो उन मुद्दो पर जो ऊपर लिखे है,चलाओ अब अपना कलमवाला सुदर्शन |”



            " अब आप ही बताइये की मै ,आप ,ओर पूरा देश काटजू को उसकी एकतरफ़ी बात के लिए डांट रहा है वो क्या गलत है जब की उसके ही अपने कहते है की "विचित्र चित्र जैसा काटजू "
...भैया साफ साफ लिखोना ..... की "कार्टून "

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Friday, March 22, 2013

कुत्ता ,सीबीआई ओर वफादारी ( व्यंग )



                       वफादारी ओर स्वामीभक्ति क्या होती है ये अब सीबीआई से सीखो ...मै तो कहेता हु की पक्ष छोड़कर जानेवाले नेता को सीबीआई से कुछ सीख लेनी ही चाहिए, कम पगार मे ज़िंदगी भर वफादारी ओर स्वामीभक्ति का परफेक्ट उदाहरण है सीबीआई “,मालिक को तकलीफ पड़ने पर भूखे शेर की तरहा टूट पड़ती है |”

                       हालाकी देश की जनता भी अब यही कहेती है की कॉंग्रेस करप्शन ब्यूरो याने सीबीआई शायद इससे बड़ा स्वामीभक्ति का प्रमाण दुनिया मे कोई नहीं दे सकता है ओर इस बात को हर बार सीबीआई साबित भी कर देती है की देश की जनता सच बोल रही है ,अब तो चुट्कुले भी कैसे बनते है आप ही देखिये ........

           एक आदमी एक कुत्ता खरीदने बाजार मे जाता है ओर एक अच्छी दुकान देखकर अंदर जाता है
कल्लू : भाई साहब एक वफादार कुत्ता खरीदना है
व्यापारी : जी है ना ? ( थोड़ी देर मे ही वो एक कुत्ता लेकर आया ) ओर बोला ये है
कल्लू : ह्म्म ! इसकी वफादारी कैसी है ?
व्यापारी : इसके होते हुवे आपको कोई टच भी नहीं कर सकता है
कल्लू : ऐसा क्या ?
व्यापारी : जी
कल्लू : मगर मुझे तो इस से भी ज्यादा वफादार चाहिए जो मेरा कोई बुरा बोले वो भी ना सुने ,मेरी गलती पर मुझे कोई डांटे या बोले तो भी ये उसको सबक सिखाये ओर ऐसा सबक सिखाये की वो ज़िंदगी भर भूल ना सके
व्यापारी : भाई साहब ...... तो फिर आप सीबीआई को ही पालो ...उससे अच्छी वफादारी तो कुत्ते मे भी नहीं है ओर आपने जो गुण बताए वो सब उस मे मौजूद है ,अब देखो ... बाबा रामदेव ने सरकार के खिलाफ आवाज़ उठाई तो बाबा रामदेव की हर जगह पर सीबीआई ने छापे मारे, अरे ओर तो ओर मगर अगर कई दीवार पर भी किसिने गलती से पतंजलि लिखा हुवा है तो वहाँ पर भी सीबीआई के छापे पड़ने की संभावना थी,फिर आए करुणानिधि ..... जिसने समर्थन वापिस लिया तो स्वामी भक्त सीबीआई फिर से काम पर लग गई ....ओर करुणानिधि ,उसके बेटे,बेटी सभी जगह पर छापे मारे ..... अब बोलो इस से ज्यादा आपको स्वामी भक्त कहीं मिलेगा क्या ? ओर इतने सारे गुण तो वफादार कुत्ते मे भी नहीं होते है भाई ....|”

* स्वामी भक्ति जागेगी ...अगर आप .....
           देश मे आतंकी चाहे कुछ भी करे ये सीबीआई सोई नजर आएगी ...... देश मे घोटाले कितने के भी हो ये सीबीआई सोई नजर आएगी मगर अगर कोई सरकार को कुछ भी कहे .....इसकी स्वामीभक्ति जाग जाएगी ओर ....दिन ओर रात एक करके अपनी स्वामी भक्ति का धर्म निभाएगी ....... जनता का पगार खाकर जनता को ही लुटनेवालों का साथ देने मे तो अव्वल है ही मगर ये अववलता मे उसकी स्वामी भक्ति साफ नजर आती है ....भैया वफादारी ही अगर खरीदनी है ओर देखनी है तो देश की सीबीआई को देखो ....कुत्तो से भी ज्यादा वफादारी नजर आएगी आपको ....|”

* फर्क ये रहा
          बाकी मेरे पास तो यही पालतू कुत्ते है जो रोटी चाहे मालिक के घर के किसी भी सदश्य के हाथ की खाये मगर रक्षा ओर ईमानदारी पूरे घर के प्रति होती है ...अफसोस इस बात का है की हमारे देश की सीबीआई रोटी जनता की खाती है ओर रक्षा सिर्फ एक ही परिवार की करती है ....... वफादारी तो कोई उनसे सीखे |

           आजकल सीबीआई का एक ही काम होता है ओर वो है सरकार के खिलाफ कोई भी बोले तो छापेबाजी करना और घोटाले की फाइलों पर बरसो तक काम करना ..... भैया तो बोलो सब मिलकर जय हो स्वामीभक्ति “|”

note : हसना सेहत के लिए अच्छा है ..... इस पोस्ट को दिल पर ना ले बस्स मुसकुराते रहिए महेंगाइ मे आपकी मुस्कुराहट गायब ना हो जाये

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चित्र : गूगल से साभार

Thursday, March 21, 2013

एडल्ट फिल्म 18 को देखो मगर SEX 16 मे .... ?


                    एडल्ट फिल्म या पॉर्न फिल्म देखने की मंजूरी 18 वे साल मे मिलती है तो फिर सेक्स की मंजूरी 16 वे साल मे कैसे दे रही थी सरकार ? कभी कभी तो लगता है की सरकार बुद्धिजीवी नहीं बल्कि बेवकूफ ही चला रहे है |



* कंडोम की बिक्री जरूर बढ़ती  

                       16 साल का कानून लागू करने मे से पहले आइये नजर करते है देश की हालत पर ......18 वी साल मे आप बालिग बनते है ऐसे मे भी हर साल भारत मे 1,90,80,00,000 कंडोम बिकते है तो कंही घोटालेबाज इस सरकार ने कोंडोम ओर कोंट्रासेप्टिव बेचनेवाली आंतर्राष्ट्रीय कंपनियों के साथ मिलकर नया घोटाला तो नहीं खोला है ना ? 1,90,80,00,000 तो सिर्फ कंडोम बिकते है कोंट्रासेप्टिव पिल्स तो अलग ओर आपको बता दु की कोण्ट्रासेप्तिव पिल्स की कीमत कंडोम से बहुत ही ज्यादा होती है ,ऐसे मे 18 की जगह 16 करके सरकार महिलाओ के योनशोषण को रोकेगी कैसे ?”



* ये सब कानून का क्या होता ?

* 16 बरस मे सहेमती से सेक्स को छूट देने पर इन कायदो का क्या होगा ?

* लड़कियो की शादी की उम्र सरकार के मुताबिक 18 साल की है

* आप बालिग 18 वे साल मे बनते है

* आपको ड्राइविंग लाइसेन्स भी 18 वे साल मे मिलता है



* एबोर्शन के केस बढ़ते अगर 16 का कानून आता  
    शादी 18 वी साल मे मगर सेक्स 16 वे साल मे ही ...? 

                 ऐसे मे अगर सरकार सहेमती से सेक्स बांधने की उम्र 18 की जगह 16 कर देती तो इन कायदो का क्या होता ? कमाल के नेता है हमारे ओर कमाल के बुद्धिजीवी पाल रखे है हमारी सरकार ने जो योनशोषण को लगाम कसने की बजाय छूट दे रहे है ,आप शादी करो 18 वे साल मे मगर सेक्स का मजा आप 16 वे साल मे ले सकते है ,भैया ऐसे मे तो एबोर्शन के केस ही बढ़ेंगे |”



* योनशोषण को बढ़ावा ही होता 16 का कानून

                 बेकार कानून बनाने से अच्छा है की आप एक ही कानून बनाओ की बलात्कारियों को सीधी फांसी दी जाए या कानून व्यवस्था को ही आप कडक बनाओ ...16 साल का कानून बनाने से योन शोषण को रोक कैसे लगेगी उल्टा बढ़ावा दे रही है सरकार ....अच्छा ही हुवा की ये कानून पास नहीं हुवा नहीं तो बाकी के कानून का क्या होता ? जो ऊपर दिये हुवे है ...इस पर कभी सोचा था कॉंग्रेस सरकार ने कभी ?



* क्या सरकारी बुद्धिजीवी पागल है ?

                  आपको एडल्ट फिल्म देखनी है तो यही सरकार कहेती है की आपकी उम्र 18 होनी चाहिए कमाल की है कॉंग्रेस सरकार ..... देखना मना है मगर वैसा करना छूट है ? या तो ये सरकार आंतर्राष्ट्रीय कंपनियो के साथ मिलकर कंडोम की बिक्री को बढ़ाना चाहती थी या फिर कॉंग्रेस सरकार के बुद्धिजीवी लोग सच मे पागल हो गए है  |"
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 चित्र साभार  : गूगल

Monday, March 18, 2013

" RTI " द्वारा दी गई गलत जानकारी : योजना आयोग कमाल


 * 21 अप्रैल से 29 अप्रैल 2007 आहुवालिया के चीन ओर जापान दौरे की जानकारी 
* RTI अर्जी क्रमांक RTI- 1317 / 2012 - RTI cell
* क्रमांक संख्या 33
* असल मे हुवा था 4,19,422 का खर्च
  योजना आयोग ने दी "आरटीआई" में गलत जानकारी

               " आरटीआई एक्टिविस्ट गोपाल प्रसाद को भेजे गए जानकारी में योजना आयोग द्वारा
गलत जानकारी दिया गया . जब गोपाल प्रसाद ने प्राप्त जानकारी पर संदेह व्यक्त करते हुए दोबारा पत्र लिखा तो जनसूचना अधिकारी ने टाईपिंग भूल मानते हुए राशि के बारे में नई जानकारी दी , जो पिछले जानकारी से सर्वथा भिन्न था।" 
 
* बात कुछ ऐसी बताई गई थी              
                 " आरटीआई एक्टिविस्ट गोपाल प्रसाद ने आरटीआई के तहत योजना आयोग के उपाध्यक्ष डा मोंटेक सिंह अहलुवालिया के विदेशी यात्राओं के खर्चों की जानकारी मांगी थी . योजना आयोग के उप जन सूचना अधिकारी डा वाई प्रभंजन कुमार यादव द्वारा दिनांक 21 अगस्त 2012 को भेजे गए पत्र के पत्रांक संख्या :RTI -1317/2012-RTI Cell के अनुसार क्रमांक संख्या -33 में डा मोंटेक सिंह अहलुवालिया द्वारा 21-29 अप्रैल 2007 के मध्य की गई जापान और चीन की विदेश यात्रा का खर्च एक लाख चार हजार ग्यारह रूपए मात्र दर्शाया गया था | "
* ऐसे मे योजना आयोग की योजनाओ पर संदेह उठेगा ही                  " गोपाल प्रसाद द्वारा जब इस खर्च को पुनः सत्यापित करने का अनुरोध किया गया तब योजना आयोग की अंडर सेक्रेटरी सुनीता बेक ने इसे टाईपिंग भूल मानते हुए खर्च की राशि चार लाख उन्नीस हजार चार सौ बाईस रूपए बताया। इस सन्दर्भ में आरटीआई एक्टिविस्ट गोपाल प्रसाद ने कहा की "ऐसे में योजना आयोग के उत्तर एवं आंकड़ों की विश्वसनीयता पर संदेह उठाना स्वाभाविक है।"
 
* सच्चा खर्चा ये रहा 
                  " इसी आरटीआई के एक अन्य जानकारी के अनुसार वर्ष 2007-11 के मध्य योजना आयोग के वार्षिक रिपोर्ट हिंदी के छपाई पर पांच लाख सैंतालिस हजार चार सौ सोलह रूपए तथा वार्षिक रिपोर्ट अंग्रेजी पर सात लाख सतासी हजार चार सौ इकतालीस रूपए खर्च हुए . बर्ष 2011-12 का खर्च अभी तक उपलब्ध नहीं होने की सूचना योजना आयोग ने अपने जबाब में दिया |"
 
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  गोपाल प्रसाद स्वतंत्र पत्रकार एवं आर.टी.आई एक्टिविस्ट हैं . *
 
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Saturday, March 9, 2013

करे वाघेला ओर भुगते नरेंद्र मोदी ?


              " अदानी को 500 एकर जमीन वाघेला ने दी थी फिर भी कॉंग्रेस मोदी जी पर झूठे इल्ज़ाम लगा रही थी मगर आज सच्चाई सामने आ ही गई ....  "

* शंकरसिंह वाघेला ने उध्योगपति अदानी को 500 एकर जमीन महज 1 रुपये प्रति  
  एकड़ के दाम से दी थी

* 1980-1990 के दशक मे कॉंग्रेस सरकार ने गौ-चर की 93 % जमीन उध्योगपतियों 
  को दी थी
           
             गुजरात विरोधपक्ष के नेता श्री शंकरसिंह वाघेला जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब उन्होने क्या किया था, उस फाइल को लेकर आज गुजरात के महेसुल मंत्री आनंदीबेन पटेल विधानसभा मे आई थी उन्होने ये बताते हुवे कहा की 15/4/1997 को किसकी सत्ता थी वो सब जानते है ( मुख्यमंत्री थे शंकरसिंह वाघेला )उस वक़्त अदानी ग्रुप ने 150 एकर जमीन की मांग सरकार से की थी जो जमीन 1 रुपैया प्रति चोरसमीटर के हिसाब से देनी थी मगर फाइल मे नोटिंग कुछ ओर ही हुवा के 150 एकर नहीं बल्कि 300 एकर जमीन दी जाए ,अदानी पोर्ट को 325 एकर जमीन देने के बाद ओर भी 175 एकर जमीन अदानी को दी जाए ऐसा नोटिंग फाइल पर अधिकारियों का था जिसमे कहा गया था की इस से पहले जो शर्त पर जमीन दी गई है उसकी समीक्षा करने पर ही उसे जमीन दी जाए |
            
               आगे बताते हुवे आनंदीबेन पटेल ने कहा की सबसे हैरानीवाली बात ये है की इस फाइल पर उस वक़्त के मुख्यमंत्री ओर आज की विधानसभा के विरोध पक्ष के नेता शंकरसिंह वाघेला ने भी नोटिंग किया हुवा था की नगर नियोजक नक्की करे वही दाम मे जमीन दी जाए | आनंदीबेन ने आगे बताया की इन सभी सरकारो ने जमीन लुटाई थी मगर हमारी सरकार उनके जैसे उध्योगों पर बरसती नहीं है हम भी जमीन देते है मगर नियम के मुताबिक ही |”
           
          आइये आनंदीबेन ने दिये आंकड़ो पर नजर करते है
* 1985 से 1990 मे 10 उध्योगपतियों को महज 5 पैसो से लेकर 20 पैसो के हिसाब
  से जमीन दी गई थी
* 1991 से 1995 मे 18 उध्योगपतियों को 1 रुपये से कम दाम मे जमीन दी गईथी
* 1996 से 2000 मे 10 उध्योगपतियों को 1 रुपये से कम दाम मे जमीन दी गई थी
* 2001 से 2012 मे 2 उधयोगपतियों को 1 रुपये से कम दाम मे जमीन दी गई थी
  बाकी की जमीन 32 रुपये ,350 रुपये से लेकर 1500 के दाम से दी गई है 



              याने नरेंद्र मोदी के शासन मे अदानी को जमीन नहीं दी गई थी बल्कि अदानी को जमीन शंकरसिंह वाघेला ने ही दी थी जो उस वक़्त गुजरात के मुख्यमंत्री थे तो सवाल ये उठता है की आखिर क्यू गुजरात कॉंग्रेस नरेंद्र मोदी पर इल्ज़ाम लगा रही है की अदानी परिवार को नरेंद्र मोदी ने ही जमीन दी है ? जब की गुजरात सरकार की फाइल कुछ ओर ही बोलती है जो असल मे गुनहगार है वही आज ज्यादा चिल्ला रहा है की गुजरात सरकार गौ-चर की जमीन उधयोगपतियों को दे रही है मगर आंकड़े बता रहे है की गौ चर की जमीन तो सबसे ज्यादा कॉंग्रेस के शासन मे उध्योगग्रहो को दी गई है |”

              “ नरेंद्र मोदी की सरकार ने 11 साल के शासन मे गौ चर की जमीन तो सिर्फ 4.97 प्रतिशत ही दी है मगर कॉंग्रेस ने जितनी भी जमीन दी उसमे से गौचर की जमीन थी 93% |”    
 
        सरकारी फाइल मे जो लिखा हुवा होता है वो आंकड़े झूठ नहीं बोलते ओर आज जब आनंदीबेन पटेल ये फाइले खोलखोलकर कॉंग्रेस का काला चिट्ठा सामने रख रही थी तब सदन मे पूरा विरोध पक्ष ( कॉंग्रेस ) चुपचाप ये सब सुन रहा था ... सायद उनकी खामोशी ही सब बयान करती है |”


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Monday, March 4, 2013

तीस्ता शीतलवाड का पर्दाफास : गोधराकांड की सच्चाई (1 )

तीस्ता शीतलवाड का पर्दाफास ( part 1 )

“शर्मनिरपेक्षता” के खेल की धुरंधर खिलाड़ी, सेकुलर गैंगबाजों की पसन्दीदा अभिनेत्री, झूठे और फ़र्जी NGOs की “आइकॉन”, यानी सैकड़ों नकली पद्मश्रीधारियों में से एक, तीस्ता सीतलवाड के मुँह पर सुप्रीम कोर्ट ने एक तमाचा जड़ दिया है। पेट फ़ाड़कर बच्चा निकालने की जो कथा लगातार हमारा सेकुलर मीडिया सुनाता रहा, आखिर वह झूठ निकली। सात साल तक लगातार भाजपा और मोदी को गरियाने के बाद उनका फ़ेंका हुआ “बूमरेंग” उन्हीं के थोबड़े पर आ लगा है।
सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों के तहत गठित “स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम” (SIT) ने सुप्रीम कोर्ट में तथ्य पेश करते हुए अपनी रिपोर्ट पेश की जिसके मुख्य बिन्दु इस प्रकार हैं –
1) कौसर बानो नामक गर्भवती महिला का कोई गैंगरेप नहीं हुआ, न ही उसका बच्चा पेट फ़ाड़कर निकाले जाने की कोई घटना हुई।
2) नरोडा पाटिया के कुँए में कई लाशों को दफ़न करने की घटना भी झूठी साबित हुई।
3) ज़रीना मंसूरी नामक महिला जिसे नरोडा पाटिया में जिंदा जलाने की बात कही गई थी, वह कुछ महीने पहले ही TB से मर चुकी थी।
4) ज़ाहिरा शेख ने भी अपने बयान में कहा कि तीस्ता ने उससे कोरे कागज़ पर अंगूठा लगवा लिया था।
5) तीस्ता के मुख्य गवाह रईस खान ने भी कहा कि तीस्ता ने उसे गवाही के लिये धमकाकर रखा था।
6) सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि सारे एफ़िडेविट एक ही कम्प्यूटर से निकाले गये हैं और उनमें सिर्फ़ नाम बदल दिया गया है।
7) विशेष जाँच दल ने पाया कि तीस्ता सीतलवाड ने गवाहों को धमकाया, गलत शपथ-पत्र दाखिल किये, कोर्ट में झूठ बोला।
कुल मिलाकर कहानी में जबरदस्त मोड़ आया है और धर्मनिरपेक्षता के झण्डाबरदार मुँह छिपाते घूम रहे हैं। NGO नामक पैसा उगाने वाली फ़र्जी संस्थाओं को भी अपने विदेशी आकाओं को जवाब नहीं देते बन रहा, गुजरात में उन्हें बेहतरीन मौका मिला था, लेकिन लाखों डॉलर डकार कर भी वे कुछ ना कर सके। हालांकि देखा जाये तो उन्होंने बहुत कुछ किया, नरेन्द्र मोदी की छवि खराब कर दी, गुजरात को बदनाम कर दिया, “भगवा” शब्द की खूंखार छवि बना दी… यानी काफ़ी काम किया।
अब समय आ गया है कि विदेशी मदद पाने वाले सभी NGOs की नकेल कसना होगी। इन NGOs के नाम पर जो फ़र्जीवाड़ा चल रहा है वह सबको पता है, लेकिन सबके अपने-अपने स्वार्थ के कारण इन पर कोई कार्रवाई नहीं होती। हाल ही में रूस ने एक कानून पास किया है और उसके अनुसार विदेशी पैसा पाने वाले NGO और अन्य संस्थाओं पर रूसी सरकार का नियन्त्रण रहेगा। पुतिन ने साफ़ समझ लिया है कि विदेशी पैसे का उपयोग रूस को अस्थिर करने के लिये किया जा रहा है, जॉर्जिया में “गुलाबी क्रांति”, यूक्रेन में “ऑरेंज क्रांति” तथा किर्गिस्तान में “ट्यूलिप क्रांति” के नाम पर अलगाववाद को हवा दी गई है। रूस में इस समय साढ़े चार लाख NGO चल रहे हैं और अमेरिकी कांग्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार इन संगठनों को 85 करोड़ डॉलर का चन्दा “रूस में लोकतन्त्र का समर्थन”(?) करने के लिये दिये गये हैं। ऐसे में भारत जैसे ढीले-ढाले देश में ये “विदेशी पैसा” क्या कहर बरपाता होगा, सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। हालांकि इस प्रकार के NGO पर भारत सरकार का नियन्त्रण हो भी जाये तो कोई फ़र्क नहीं पड़ने वाला, क्योंकि जब “माइनो सरकार” का पीछे से समर्थन है तो उनका क्या बिगड़ेगा?
हमेशा की तरह हमारा “सबसे तेज” सेकुलर मीडिया इस मामले को दबा गया, बतायें इस खबर को कितने लोगों ने मीडिया में देखा है? पहले भी कई बार साबित हो चुका है कि हमारा मीडिया “हिन्दू-विरोधी” है, यह उसका एक और उदाहरण है। बड़ी-बड़ी बिन्दियाँ लगाकर भाजपा-संघ के खिलाफ़ चीखने वाली महिलायें कहाँ गईं? अरुंधती रॉय, शबाना आजमी, महेश भट्ट, तरुण तेजपाल, बरखा दत्त, राजदीप सरदेसाई आदि के फ़टे हुए मुँह क्यों नहीं खुल रहे?
अब सवाल उठता है कि जिस “गुजरात के दंगों” की “दुकान” लगाकर तीस्ता ने कई पुरस्कार हड़पे उनका क्या किया जाये? पुरस्कारों की सूची इस प्रकार है –
1) पद्मश्री 2007 (मजे की बात कि पद्मश्री बरखा दत्त को भी कांग्रेसियों द्वारा ही मिली)
2) एमए थॉमस मानवाधिकार अवार्ड
3) न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री हेलेन क्लार्क के साथ मिला हुआ डिफ़ेंडर ऑफ़ डेमोक्रेसी अवार्ड
4) न्यूरेनबर्ग ह्यूमन राईट्स अवार्ड 2003
5) 2006 में ननी पालखीवाला अवार्ड।
अब जबकि तीस्ता सीतलवाड झूठी साबित हो चुकी हैं, यानी कि ये सारे पुरस्कार ही “झूठ की बुनियाद” पर मिले थे तो क्या ये सारे अवार्ड वापस नहीं लिये जाने चाहिये? हालांकि भारत की “व्यवस्था” को देखते हुए तीस्ता का कुछ भी बिगड़ने वाला नहीं है, वह अपने इन नकली कामों में फ़िर से लगी रहेगी…


सौजन्य : http://indianhitler.wordpress.com