पिछले दिनों नेता जी से मुलाकात हुई
देश की गरीबी के बारे में उनसे बात हुई
मेरी बाते सुन कर नेता जी गुस्सा दिखाने लगे
उनके दिल का गुबार फिर गुस्से में सुनाने लगे
नेता जी कहने लगे
तुम बेकार आम आदमी, बहुत बवाल करने लगे हो
हम नेताओं से हर बात पर सवाल करने लगे हो
कभी हम नेताओं की सम्पत्ति पर सवाल करते हो
कभी हमारे अवैध रिश्तों से हमारा बुरा हाल करते हो
कभी संसद के सस्ते खाने पर अपनी नजरे गडाते हो
कभी भ्रष्टाचार के खिलाफ सडको पर उतर आते हो
मै उन्हें चुप कराता रहा,
नेता जी गुस्से में जाने कब तक सुनाते रहे
उनकी हर पीड़ा का दोष
मुझ जैसे आम इंसान पर ही लगाते रहे
जब उनके गुस्से का ज्वार थोडा सा नीचे आया
मैंने बड़ी शांति से मेरी बात को उन्हें समझाया
मै बोला नेता जी मैंने तो बस गरीबी की बात की है
आप इतनी सी बात पर ऐसे क्यों भडक रहे हैं |
मेरी एक छोटी सी बात को सुन कर
आप क्यों जैसे जल बिन मछली तडप रहे हैं |
नेता जी फिर तडप कर बोले जल्दी अपना सवाल बताओ
अपने सचिव से इशारों में बोले इससे हमारा पीछा छुडवाओ
मैंने बस उनसे एक सवाल किया
आप संसद में जब सस्ता. स्वादिष्ट और स्वस्थ खाना खाते हैं,
तब क्या आप खुद को कभी गरीब भूखों के लिए शर्मिंदा नहीं पाते हैं ?
उनके जवाब के पहले नेता जी का सचिव बोला
ये देखो आम इंसान ने फिर से मुह है खोला
अब उनका सचिव ऐसे सवाल न करूँ ये समझा रहा था
नेता जी दिल के मरीज है ये बात वो मुझे बता रहा था
जब तक मै सचिव महोदय से पीछा छुड़ाता नेताजी जा चुके थे
उन्हें कभी शर्म नहीं आती मेरे प्रश्न का उत्तर मुझे बता चुके थे
उन्हें कभी शर्म नहीं आती मेरे प्रश्न का उत्तर मुझे बता चुके थे
देश की गरीबी के बारे में उनसे बात हुई
मेरी बाते सुन कर नेता जी गुस्सा दिखाने लगे
उनके दिल का गुबार फिर गुस्से में सुनाने लगे
नेता जी कहने लगे
तुम बेकार आम आदमी, बहुत बवाल करने लगे हो
हम नेताओं से हर बात पर सवाल करने लगे हो
कभी हम नेताओं की सम्पत्ति पर सवाल करते हो
कभी हमारे अवैध रिश्तों से हमारा बुरा हाल करते हो
कभी संसद के सस्ते खाने पर अपनी नजरे गडाते हो
कभी भ्रष्टाचार के खिलाफ सडको पर उतर आते हो
मै उन्हें चुप कराता रहा,
नेता जी गुस्से में जाने कब तक सुनाते रहे
उनकी हर पीड़ा का दोष
मुझ जैसे आम इंसान पर ही लगाते रहे
जब उनके गुस्से का ज्वार थोडा सा नीचे आया
मैंने बड़ी शांति से मेरी बात को उन्हें समझाया
मै बोला नेता जी मैंने तो बस गरीबी की बात की है
आप इतनी सी बात पर ऐसे क्यों भडक रहे हैं |
मेरी एक छोटी सी बात को सुन कर
आप क्यों जैसे जल बिन मछली तडप रहे हैं |
नेता जी फिर तडप कर बोले जल्दी अपना सवाल बताओ
अपने सचिव से इशारों में बोले इससे हमारा पीछा छुडवाओ
मैंने बस उनसे एक सवाल किया
आप संसद में जब सस्ता. स्वादिष्ट और स्वस्थ खाना खाते हैं,
तब क्या आप खुद को कभी गरीब भूखों के लिए शर्मिंदा नहीं पाते हैं ?
उनके जवाब के पहले नेता जी का सचिव बोला
ये देखो आम इंसान ने फिर से मुह है खोला
अब उनका सचिव ऐसे सवाल न करूँ ये समझा रहा था
नेता जी दिल के मरीज है ये बात वो मुझे बता रहा था
जब तक मै सचिव महोदय से पीछा छुड़ाता नेताजी जा चुके थे
उन्हें कभी शर्म नहीं आती मेरे प्रश्न का उत्तर मुझे बता चुके थे
उन्हें कभी शर्म नहीं आती मेरे प्रश्न का उत्तर मुझे बता चुके थे
आ रही है... धीरे धीरे..
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