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Monday, March 26, 2012

सेना में १४ करोड़ की रिश्वत,..ओह ये भ्रस्टाचार

* सेना में भी रिश्वत और भ्रस्टाचार
* १४ करोड़ की रिश्वत की ऑफर सेना अध्यक्ष को
* ७००० गाड़िया खरीदने के लिए हुई थी ये ऑफर
* ऑफर ठुकराने से सेना अध्यक्ष को फसाया गया

" १४ करोड़ की रिश्वत की ऑफर भारतीय सेना अध्यक्ष को हुई थी , ये सच्चाइ जानकर चौंक गए ना ? मग़र आज "जनरल वी.के.सिंह" ने दैनिक अखबार " ध हिन्दू " को एक इंटरवीव देते हुवे ये कहा जब भारत की जनता उनके नेताओं के द्वारा किये जानेवाले भ्रस्टाचार को सहे रही थी तभी ये चिंता जनक समाचार आये है की जो उनकी रक्षा करती है वो सेना भी आज भ्रस्टाचार से बच नहीं पाई है ...जी हाँ भ्रस्टाचार सेना में भी पहुँच चूका है ...आइये जाने कैसे ...."

" सेना अध्यक्ष वी.के.सिंह को सारा देश जानता है जो कुछ दिन पूर्व ही अपने उम्र के विवाद में फसे हुवे थे मग़र ये विवाद का खुलाशा करते हुवे जनरल ने कहा की दरअसल मुझे ७००० बेकार और बकवास गाड़िया खरीदने के लिए कहा गया था और बदले में मुझे १४ करोड़ की रिश्वत की ऑफर हुई थी और ये ऑफर करने वाला और कोई नहीं मग़र सेना का ही एक आदमी था और उसने साफ़ तौर से मुझे कहा था की " आप से पहले भी पैसे लिए जाते थे और आपके बाद भी पैसे लिए जायेंगे "...मैंने उनका ऑफर ठुकरा दिया मग़र मुझे पता चला की यही कंपनी की ७००० बेकार और बकवास गाड़िया पहले से ही लश्कर में मौजूद थी और अब और ७००० गाड़िया खरीदने का मुझ पर दबाव हो रहा था मैंने इस बात की सारी जानकर देश के " रक्षा मंत्री" को भी दी थी "

" जनरल को १४ करोड़ की रिश्वत की ऑफर करनेवाला इन्सान हाल ही में लश्कर से रिटायर हुवा है और सबसे बड़ी बात तो ये है इन दलालों की हिम्मत तो देखो की वो बिन्दस्त कहते है की अगर तुम पैसा नहीं लोगे तो कोई और लेगा और शायद उसकी बात सच भी है क्यु की इस से पूर्व भी वही कंपनी की रद्दी ७००० गाड़िया लशकर में मौजूद भी है और हैरत की बात ये है की ऐसे रिश्वत खोर और दलाल आज भी सेना में मौजूद है जो आज गाडियों का सौदा कर रहे है कल वही लोग पैसो की लालच में देश की ख़ुफ़िया जानकारी देश के दुश्मन को नहीं देंगे इस बात की क्या गरंटी है ? "

" जनरल ने ये भी कहा की जैसे ही मैंने इस ऑफर को ठुकराया मुझे जन्म तारीख के विवाद में घसीटा गया था मग़र जन्म तारीख का नियम बिलकुल स्पष्ट है अगर आप सरकारी नौकरी करना चाहते है और करतो हो तो सरकार आपकी १० वि का प्रमाण पत्र को ही मान्य रखती है और प्रमाण पत्र के मुताबिक मेरी जन्म तारीख १९५१ ही है ..मग़र मै जानता हु की ये विवाद भी उसी लोबी ने उठाया है जिसकी ऑफर को मै ठुकरा चूका हु और ये विवाद उठाने के लिए भी काफी पैसे खर्च किये गए थे उस लोबी के द्वारा "

" जनरल की ये बातो से ये साफ़ होता है की देश की जो सुरक्षा कर रहे है वही सेना में भी अब भ्रष्टाचार आ चूका है जो की देश की सुरक्षा के लिए घातक साबित हो सकता है और अगर आपको ये खबर अंग्रेजी में पढ़नी हो तो आप ये लिंक को क्लिक तो करे : ध हिन्दू

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Friday, March 23, 2012

राजनीती और अँधेरा जारी रहेगा

" सरकार एक तरफ कहे रही है बच्चो को पढाओ और दूसरी तरफ "एम् बी ए" पास मंत्री को हटाकर बारवी पास को बना रही है रेलवे मंत्री ..अजीब राजनीती ,ममता की ममता ने सरकार को मजबूर कर दिया की कम पढ़े लिखे इंसान को मंत्री बनाया जाये हालाकि ये सौदा सिर्फ सत्ता में बने रहने के लिए ही हुवा है मग़र ये सौदा सरकार की तरफ से शिक्षा को महत्त्व दिए जानेवाले हर वो फैसले को गलत बता भी रहा है जिसे सरकार ने जोरो से प्रचार करते हुवे लोगो तक पहुँचाया है ..क्या यही महत्त्व है "एम् बी ए" किये हुवे इंसान का ? "

" सरकार का ये फैसला तो ये बता रहा है की "एम् बी ए" से भी ज्यादा महत्त्व बारवी पास वालो का है.. जब ऐसे बारवी पास वाले लोग रेलवे मंत्री बनते है तो उसका नतीजा आज जो सरकार चिल्ला रही है वैसा ही आता है की रेलवे के पास पैसा नहीं है ..शायद बारवी पास लोग रहे तो घोटाले करने में आसानी भी रहे ..कमाल की राजनीती और कमाल का गढ़बंधन है ये ममता और कांग्रेस का ..सिर्फ सत्ता में बने रहने के लिए देश को ..देशवासीयो को अँधेरे में रखने जैसा ही ये कार्य है ..."

" इस में गलती हमारी ही है की हम ही ऐसे कमीने और स्वार्थी नेताओ को चुनकर जो देते है ... जो सत्ता पाने के लिए कोई भी गलत फैसला लेकर गलत इंसान को मंत्री बना सके सिर्फ और सिर्फ अपने स्वार्थ के खातिर ही "

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" रिश्वत देना तो खुद पापा ने सिखाया |"

कंधो को किताबो के बोज ने झुकाया ,
रिश्वत देना तो खुद पापा ने सिखाया ,
९९% मार्क्स लाओगे तो घडी ...वर्ना छड़ी

" यही है हमारे भ्रष्ट सिस्टम की नीव क्यु की हम खुद ही हमारे बच्चों को रिश्वत देना सीखा रहे है और बच्चों को हमारी तरफ से दी गई रिश्वत को एक प्यारा सा नाम दे रहे है ...बक्षीश ,इनाम , अवार्ड ...कमाल है क्या आपकी और से आपके बच्चों को अच्छे मार्क्स लाने के लिए दिए जा रहे बक्षीश को रिश्वत नहीं कहा जाता ...ये तो सरासर एक रिश्वत ही हुई काहिर जो भी हो मग़र डाबर जन्म घूटी की तरह आप ही अपने बच्चो को रिश्वत की घुटी पिला रहे है ये तो तय है और ताजुब तो तब होता है जब जो माँ बाप अपने बच्चो को रिश्वत लेना और देना सिखाते है वही माँ बाप जोर जोर से " भ्रस्टाचार मिटाओ " के नारे लगाते है ...या यूँ कहे की नारे लगाते फिर रहे है "

* क्या सिस्टम ऐसे बदलेगी ?
"सिर्फ जोर जोर से "भ्रष्टाचार मिटाओ "के नारे लगाने से या फिर बड़े बड़े मोर्चे निकालने से इस सड़ी हुई सिस्टम को आप बदल नहीं सकते और इस सिस्टम को तब तक आप बदल नहीं सकते हो जब तक अपने आप में बदलाव नहीं लाते है ..खुद को बदलना पड़ेगा सिस्टम अपने आप बदल जायेगा ..इस सिस्टम को बदलने का मैंने ..आपने ..हम सब भारतवासियों ने प्रयत्न किया भी है मग़र परिणाम हमारे सामने है की हम आज तक ना ही विदेश में पड़ा कालाधन वापस ला सके और नहीं शशक्त लोकपाल ला सके क्यु की अभी तक हम अपने आप को बदल नहीं सके है वर्ना किसकी मजाल है की १२० करोड़ की आबादी पर चंद संसद मनमानी करे "

* सिस्टम ..क्या है ये सिस्टम ?
" सिस्टम आप ही से बनता है ..समाज से बनता है सिस्टम ...जनता से बनता है सिस्टम और जब तक हम ..ये समाज ..ये जनता अपने आप में बदलाव नहीं करते है तब तक ये भ्रष्ट सिस्टम हमें निगलती ही रहेगी ..याद रहे मै से हम होता है ..हम से मै नहीं ..हम से जनता होती है ..और जनता से ये सरकार होती है जिसे हम सिस्टम कहते है ....मै कभी झूठ नहीं बोलता हु कहनेवाला सबसे बड़ा झूठा है क्यु की देश में फैले भ्रष्टाचार के खिलाफ आज भी उसकी जुबान बंद है और सिस्टम बदलने की बात कर रहे है "

* पिलाओ ..और सुनो
" पिलाओ और पिलाओ अपने बच्चो को ये भ्रष्ट घुटी और चुप रहो भ्रस्टाचार के खिलाफ ..क्यु की भ्रस्टाचार मिटाने के लिए ऐसे लोगो की जरूरत होती है जो खुद को बदल सके और वही कहे सकते है सिस्टम बदलनी है और बाकी लोग उस दिन का इंतज़ार करे जिस दिन उनका बेटा बड़ा होकर कहे की "रिश्वत देना तो खुद पापा ने सिखाया "

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Tuesday, March 20, 2012

क्यु की ? सिस्टम जो मेरे हाथ में है


वो हमारे सीतम को भूल जाते है


और हम उन्हें रोज मारते है ,


उनकी आदत है भूलने की ,


हमारी आदत है मारने की ,


५ साल में हम एक बार मांगते है ,


और वो ५ साल तक मांगते है ,


तुलसी, वो लोन लेने रोज नयी बेंक ढूँढते है ,


हम पैसे रखने रोज नयी बैंक ढूँढते है ,


वो मुझे मारने के लिए जरिया बनाते है कानून को


मग़र रोज उसे ही मारता है कानून ,


मै जब चाहे किसे भी फंसा सकता हु कानून के दायरे में ,


और मै सिर्फ ५ साल में एक बार फंसता हु जनता के दायरे में ,


मै फिर नए वादे करता हु ,


मग़र वो भूल जाता है ,


मेरा वादा सपनों की तरहा है ,


उनका मेरी तरफ का गुस्सा भी तो सपनों की तरहा है ,


तुलसी, ना मेरा वादा सच में परिवर्तित होता है ,


ना ही उनका कोई आन्दोलन सच में परिवर्तित होता है ,


भ्रष्ट हु मै , मुझे कोई हरा नहीं सकता


क्यु की ?


सिस्टम जो मेरे हाथ में है ....................



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