* ओह ये बन्दर ...!
" गाँधीजी तो गए मगर अपने वफादार बंदरों को छोड़ गए की देश का ध्यान रखना और इन बंदरों ने बखूबी ध्यान रखा इस देश का और बदल दिया दुनिया के सबसे बड़े " लोकतंत्र " को "तानाशाही" में , ये बन्दर न ही किसी की सुनते है और न ही कुछ बोलते है सिर्फ उनके खिलाफ बोलनेवालों को कुचलते है, इनकी ताकत तो देखो " दुनिया के सब से बड़े " लोकतंत्र " पर सरे आम लाठियां आधी रात में बरसा रहे है ...ओह ये बन्दर ...! "
* गोरे और काले का भेद :
" गोरे अंग्रेजों ने इस देश को लुटा और खुद के देश को मजबूत किया ,मगर इन काले अंग्रेजों ने अपने ही देश को लुटा और स्विट्जर्लैंड को मजबूत किया , हैना कमाल ... स्विस बैंक में अपना खाता मजबूत करने के लिए इन बंदरों ने सभी रास्ते अख्तियार किये और देश को दिए " भय , भूख ..और भ्रस्ताचार "..यही तो है इनकी देन इस देश को ..याने मेरे लिए, आपके लिए ..और इस देश के आनेवाले भविष्य के लिए | मुद्दा चाहे जो भी हो चाहे वो " जनलोकपाल " का हो या फिर " काले धन "का ये लोग बखूबी उसे दबाना जानते है | "
" बोलो कैसा रहा डंडे का फंडा ..ये बंदरों को कम न समजो ये भारत को लंका और स्विट्जर्लैंड को अपना देश समज रहे है तभी तो सभी हमे लूटकर स्विस बैंक को मजबूत कर रहे है |"
" गाँधीजी तो गए मगर अपने वफादार बंदरों को छोड़ गए की देश का ध्यान रखना और इन बंदरों ने बखूबी ध्यान रखा इस देश का और बदल दिया दुनिया के सबसे बड़े " लोकतंत्र " को "तानाशाही" में , ये बन्दर न ही किसी की सुनते है और न ही कुछ बोलते है सिर्फ उनके खिलाफ बोलनेवालों को कुचलते है, इनकी ताकत तो देखो " दुनिया के सब से बड़े " लोकतंत्र " पर सरे आम लाठियां आधी रात में बरसा रहे है ...ओह ये बन्दर ...! "
* गोरे और काले का भेद :
" गोरे अंग्रेजों ने इस देश को लुटा और खुद के देश को मजबूत किया ,मगर इन काले अंग्रेजों ने अपने ही देश को लुटा और स्विट्जर्लैंड को मजबूत किया , हैना कमाल ... स्विस बैंक में अपना खाता मजबूत करने के लिए इन बंदरों ने सभी रास्ते अख्तियार किये और देश को दिए " भय , भूख ..और भ्रस्ताचार "..यही तो है इनकी देन इस देश को ..याने मेरे लिए, आपके लिए ..और इस देश के आनेवाले भविष्य के लिए | मुद्दा चाहे जो भी हो चाहे वो " जनलोकपाल " का हो या फिर " काले धन "का ये लोग बखूबी उसे दबाना जानते है | "
* इनकी चाल को समजो :
" मुद्दे से लोगों का ध्यान हटाने के लिए ये लोग हर वक़्त नया रास्ता अपनाते है जैसे c.w.g के गफ्ले के वक़्त इन्होने देश को " मोदी " की तरफ मोड़ दिया था और आज जब " जन लोकपाल " और "काले धन " का मुद्दा देशवासियों के सामने है तो इन्होने ' दिग्विजय " नमक वफादार को अनाप सनाप बोल कर जनता का ध्यान मुद्दे से हटे इस लिए खड़ा कर दिया है ..जब की "अन्ना हजारे जी" जैसे लोग भी कह रहे है की इसे पागल खाने भेज दो मगर कुछ असर पड़ा सरकार पर ...नहीं न अरे इसको अगर चुप कर देगी सर्कार तो जनता का ध्यान वापस " जन लोकपाल " और " काले धन " की तरफ जायेगा और सरकार की मुश्किले और भी बढ़ेगी और सरकार ऐसा कतई नहीं चाहेगी और हमारा ध्यान इस " दिग्विजय " की अनाप सनाप बातों पर ही लगा रहता है ..भैया असली मुद्दे से आपकी नजर हटाई जा रही है और हम सभी दिग्विजय की बातों में ही उल्जे रहते है और उस पर टिपण्णी करते ही रहते है कोई ...f.i.r दर्ज करवा रहा है तो कोई देश द्रोह का आरोप लगा रहा है ..भैया इस से इनको कुछ फर्क नहीं पड़ने वाला है क्यों की चाहे कितनी भी f .i .र दर्ज करवाओ ..कानून का गलत इस्तेमाल कैसे करना चाहिए ये इनको आता है ..इसलिए असली मुद्दे को मत भूलो " जन लोकपाल" और "काला धन " ये यही चाहते है की आप असली मुद्दे को भूल जाये |" * दर्द की बात :
" दर्द की बात तो ये है दोस्तों की जब भारत ने क्रिकेट का वर्ल्ड कप जीता तो सारे भारतीय सडकों पर उतर आये थे मगर जब देश हित की बात आती है तो अपने घरों में बैठे है ,क्या भारत का क्रिकेट में बादशाह होना देश के भ्रस्ताचारियोँ के खिलाफ लड़ने से भी ज्यादा महत्व पूर्ण है ? अरे जागो दोस्तों वर्ना इस कदर ये लोग हमे चूसेंगे की हम न ही क्रिकेट देखने के काबिल रहेंगे और न ही विरोध करने के काबिल क्यों की विरोध करने का नतीजा सरकार ने हमे दिखा ही दिया है ...अब वक़्त है की आम जनता इस के खिलाफ आवाज़ उठाये वर्ना आपका पैसा यूँही जाता रहेगा "स्विस बैंक" में ..मैंने तो आवाज़ उठाने का शुरू कर दिया है अब बारी आपकी है ......| "" बोलो कैसा रहा डंडे का फंडा ..ये बंदरों को कम न समजो ये भारत को लंका और स्विट्जर्लैंड को अपना देश समज रहे है तभी तो सभी हमे लूटकर स्विस बैंक को मजबूत कर रहे है |"
आओ इस सिस्टम को बदले ..मिलकर करे प्रयाश ............
आपके सुर में हम भी अपना सुर मिलाते हैं!
ReplyDeleteहम साथ हैं...आओ सिस्टम को बदलें.
ReplyDeleteबिलकुल पूरी तरह इस व्यवस्था को बादल कर ही दम लेंगे ......4 जून से एक भी दिन चैन नहीं लिया है ....चाहे जान ही क्यो न देनी पड़े .......स्वामी रामदेवजी का पूरा साथ देंगे ...माँ भारती का गौरव वापस लौटाएँगे
ReplyDeleteआया नया ज़माना है,
ReplyDeleteअब बंदर हुआ सयाना है।
लेकिन बंदर ये भूल रहे हैं की डंडा इनके हाथ में मदारी ने पकड़ाया था और अब मदारी वही डंडा इनके ऊपर चलाएगा।
अब क्रान्ति लाकर रहेंगे।
जय माँ भारती................
आपके द्वारा दिए देश हित के इस प्रेरणा मयी सन्देश से पूर्ण सहमत हूँ और हम तो साथ हैं ही आप ऐसे ही देशहित में लिखते रहीऐ पढ़ने वालों पर खुद ब खुद असर होता रहेगा वैसे मैंने क्रिकेट देखना छोड दिया है, प्रण है जो भी करूँगा देखूंगा देश हित में होना चाहिए, आपका आभार अच्छी पोस्ट के लिए
ReplyDeleteजय हिंद बंदे मातरम
जनता के दिल की आवाज हूँ मैं
ReplyDeleteअब तक था दबा अब नहीं दबूंगा.
जनता के ऊपर नित भ्रष्टाचार
बहुत सहा अब नहीं सहूंगा.
हो रहे उजागर नित प्रतिदिन
भ्रष्ट आचरण और भ्रष्टाचार.
सुबह उठा और देखा पेपर
सुर्ख़ियों में छाया भ्रष्टाचार.
आचार विचार सब गौड़ हुए
हुआ प्रधान अब भ्रष्टाचार.
अब होती है इसपर चर्चा इतनी
लोकप्रिय न हो जाय भ्रष्टाचार.
रोज रोज जब जाप करोगे
परस्पर विरोधी बातकरोगे.
नियम कानून ताक पे रख
कहीं छा न जाए भ्रष्टाचार.
नयी पीढ़ी दीवानी शार्टकट की
उसे भा न जाए यह भ्रष्टाचार.
है कोढ़ समाज का भ्रष्टाचार.
मिटाना हमे है यह भ्रष्टाचार.
करो बात यदि भ्रष्टाचार की.
एक स्वर से फिर यही बात करो.
लो मिट्टी हाथ और करो संकल्प
मिटायेंगे इस देश से भ्रष्टाचार.
बहुत बढिया , टिका टिका के मारा है आपने तुलसीभाई । आज इन्हीं तेवरों और शब्दों की जरूरत है जो सत्ता को तिलमिला के रख दे । सरकार की ये तिलमिलाहट आम आदमी के आक्रोश को और बढाएगी और फ़िर सब कुछ जब चरम पर होगा तभी परिवर्तन संभव है । बेहतरीन पोस्ट । बहुत बहुत शुभकामनाएं
ReplyDelete' मयंक सर ... तहे दिल से सुक्रिया ,स्नेह बनाये रखना सर |"
ReplyDeleteजी जरूर ..आओ बदले इस सड़ी हुई सिस्टम को
ReplyDeleteतरुण भारतीय सर ...आपसे मै सहेमत हु वो ४ जून वाली घटना को सच्चा भारतीय कभी भूल ही नहीं सकेगा ..तभी तो इस सिस्टम को बदलना ही चाहिए ऐसा मै भी कहे रहा हु
ReplyDeleteहिन्दुस्तानी सर ...आपकी इस शानदार व्यंग भरी रचना के लिए सुक्रिया और सही कहा की बन्दर भूल गए है की डंडा मदारी के हाथ में रहेता है
ReplyDeleteक्रन्तिकारी देश भक्त सर , बहुत बहुत सुक्रिया आपका ...और आपके साथ हम सब है ...तेवर बरक़रार रखे ...आओ मिलकर बनाये देश नया बदल दी इस सिस्टम को
ReplyDeleteडॉ. तिवारी सर ...दिल में उतर गयी आपकी ये खुबसूरत रचना ... वाह ! क्या शानदार बात कहे दी है चंद अल्फाज़ में
ReplyDeleteअजय सर , ये तेवर यूँही बरक़रार रहेंगे अब ..जब तक ये सिस्टम ना बदले
ReplyDeleteवाह क्या बात है tulsi भाई ......बहुत खूब ......कडवी सच्चाई है
ReplyDeleteChahte to sabhi hain khada hona aur ho bhi rahe ahin ... bas sabko ek saath khade hone ki jaroorat hai ... dat ke ...
ReplyDeleteasli mudde se bhatakna nahin hai hamein chahe kitni bhi koshish kare sarkaar, kale dhan ki vapsi aur jan lok pal bill bus do hi target
ReplyDeleteअजी ये बेचारे बन्दर तो शुरू से लांछित रहे हैं.. पितामह "तुलसी" ने खुद इनके गुण-दोषों का विवेचन किया...फिर इस कलयुग में इनका उत्पात किसी के रोके नहीं रुकता... ऊपर से गाँधी-नाम का कॉपीराइट भी तो है इनके पास...
ReplyDeleteहम सब साथ हैं...
ReplyDeleteकाश आपकी कही ये बात हर हिन्दुस्तानी समझ सके मगर नही समझ पाता।
ReplyDeleteआपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (13-6-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com/
सिस्टम तो बदलना ही चाहिए।
ReplyDelete---------
हॉट मॉडल केली ब्रुक...
लूट कर ले जाएगी मेरे पसीने का मज़ा।
bp sinh @facebook : "sarkar ka matlab taakat, taakat se hi sahi ko jhoot aur jhoot ko sahi thaharaya ja sakta he. atah janta ko apni taakat chunav men dikhani chahiye."
ReplyDeleteनास्वा साहब आपसे सहेमत हु की अब वक़्त कहे रहा है की " मै नहीं हम " कहो
ReplyDelete" गाँधी नाम है इनके पास तो क्या हुवा ..क्या हम बहेरूपिये के चहरे से नकाब नहीं निकल सकते
ReplyDelete" वंदना जी ...आपका तहे दिल से सुक्रिया की आपने मेरी इस पोस्ट को भी चर्चा मंच के लायक समजा ..मेरी खुश नसीबी है की पिचली ४ पोस्ट चर्चा मंच से गौरवविन्त हुई है |
ReplyDeletesukriya aapka mera hosla badhane ke liye
sundar/ sarthak aavhaan! we are with you!
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