आज देश में उथल-पुथल क्यों,
क्यों हैं भारतवासी आरत?
कहाँ खो गया रामराज्य,
और गाँधी के सपनों का भारत?
आओ मिलकर आज विचारें,
कैसी यह मजबूरी है?
शान्ति वाटिका के सुमनों के,
उर में कैसी दूरी है?
क्यों भारत में बन्धु-बन्धु के,
लहू का आज बना प्यासा?
कहाँ खो गयी कर्णधार की,
मधु रस में भीगी भाषा?
कहाँ गयी सोने की चिड़िया,
भरने दूषित-दूर उड़ाने?
कौन ले गया छीन हमारे,
अधरों की मीठी मुस्काने?
किसने हरण किया धरती का,
कहाँ गयी केशर क्यारी?
प्रजातन्त्र की नगरी की,
क्यों आज दुखी जनता सारी?
कौन राष्ट्र का हनन कर रहा,
माता के अंग काट रहा?
भारत माँ के मधुर रक्त को,
कौन राक्षस चाट रहा?
कौन राष्ट्र का हनन कर रहा,
माता के अंग काट रहा?
भारत माँ के मधुर रक्त को,
कौन राक्षस चाट रहा?
" ये रचना के रचियेता है मेरे आदर और मेरे मार्गदर्शक "श्री रूपचन्द्र शास्त्री जी" जिन्होने हर वक़्त मेरा उत्साह बढ़ाया है "
उनके ब्लॉग की आप भी सफर करे ( यहाँ क्लिक करे ) :
यहाँ पर भी मीलेंगे आदरणीय शास्त्री जी
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क्यों हैं भारतवासी आरत?
कहाँ खो गया रामराज्य,
और गाँधी के सपनों का भारत?
आओ मिलकर आज विचारें,
कैसी यह मजबूरी है?
शान्ति वाटिका के सुमनों के,
उर में कैसी दूरी है?
क्यों भारत में बन्धु-बन्धु के,
लहू का आज बना प्यासा?
कहाँ खो गयी कर्णधार की,
मधु रस में भीगी भाषा?
कहाँ गयी सोने की चिड़िया,
भरने दूषित-दूर उड़ाने?
कौन ले गया छीन हमारे,
अधरों की मीठी मुस्काने?
किसने हरण किया धरती का,
कहाँ गयी केशर क्यारी?
प्रजातन्त्र की नगरी की,
क्यों आज दुखी जनता सारी?
कौन राष्ट्र का हनन कर रहा,
माता के अंग काट रहा?
भारत माँ के मधुर रक्त को,
कौन राक्षस चाट रहा?
" देश की असलियत दर्शाती ये रचना ने दिल जीत लिया ये सच ही है की " सोने की चिड़िया " कहाँ गई ? ...इस रचना का आखरी पड़ाव तो बेहतरीन है जो बहुत कुछ कहे रहा है जरा आप भी गौर करे इन अल्फ़ाज़ों पर जो आज के दौर का सचोट चित्रण कर रहे है ..."
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कौन राष्ट्र का हनन कर रहा,
माता के अंग काट रहा?
भारत माँ के मधुर रक्त को,
कौन राक्षस चाट रहा?
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" आदरणीय रूप चन्द्र शास्त्री जी " |
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आभार आपका!
ReplyDeleteआदरणीय शास्त्री जी आभारी तो मै आपका रहूँगा की आपने मुझे इस शानदार दिल को छूनेवाली रचना इस ब्लॉग पर लगाने के लिए अनुमति दी
Deleteआपकी इस प्रविष्टी की चर्चा शनिवार(1-6-2013) के चर्चा मंच पर भी है ।
ReplyDeleteसूचनार्थ!
वंदना जी आपका बहुत बहुत आभार
Deleteसुन्दर रचना !!
ReplyDeleteपूरण जी... सही कहा आपने मगर इस सुंदर रचना के असली हकदार है आदरणीय शास्त्री जी
Deleteबेहतरीन लिखा है शास्त्री जी ने...
ReplyDeleteशाह नवाज भाई सही कहा ये दिल को छूनेवाली रचना है
Deleteसच कहा आपने ये है ही प्रभावी रचना
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