"ये शायरी उन लोगो के नाम जो किसी के प्यार में डुबे हुवे है , ये प्यार भी अजीब है .. न जाने कितने रंग है इसके ...कभी कोई प्यार में हँसता है, तो कभी कोई रोता है ..दिल की सुननेवाले अक्सर क्यों रोते है ? "
"कहते है दर्द और जुदाई का दूसरा नाम याने "प्यार" ..."महोब्बत" है ..लाख कठनाइयां हो ने के बावजूद भी प्यार का दर्द क्यों मीठा होता है यारो ?..प्यार करनेवाला हर कोई "लैला मजनू" बन नहीं सकता ..कभी कभी ऐसा भी होता है "लैला तो बन जाती है ...मगर मजनू नहीं बन सकता "
" लैला तो मिली, मगर मै मजनु बन ना सका ,
वो मेरे प्यार में " फ़ना "हो गई ,
मगर मै ,
उसके प्यार में "मिट" भी न सका ,
लैला तो मिली ,मगर मै मजनु बन ना सका "
वो मेरे प्यार में फ़ना हो गयी पर मैं उसके प्यार में मिट न सका... बहुत खूब.... मिट कर देखते तो मोहब्बत का मजा आता....
ReplyDeletesahi kaha Lokendra ji ne...
ReplyDeletehttp://dilkikalam-dileep.blogspot.com/
अच्छा प्रयास है मित्र जारी रखिये
ReplyDeleteये क्या कह रहे है
ReplyDeleteमजनू बनना चाहते है
अरे जमाने की ठोकरे मिलेगी
क्यों पत्थर खाना चाहते हैं
बहुत सुन्दर
Kya baat hai .. par dil mein pyaar ho to aisa ho sakta hai ..
ReplyDeleteवाह क्या बात है! बहुत खूब! बढ़िया प्रस्तुती!
ReplyDeleteप्रयास करो हो जाओगे ।
ReplyDeleteअग्रिम समर्पण ।
bilkul hi sahi kaha aapne....
ReplyDeleteachha laga mujhe padhna....
yun hi likhte rahein.......
लेकिन आपको ये सब लिखने की ज़रूरत क्यों पड़ गई..
ReplyDeletesab se hat kar yah rachana thi aap ki
ReplyDeleteओ भी क्या पल थे जब लोग हम्है किस कीया करते थे अपसोस तो इस बात का है तब हम दो साल के थे
ReplyDeleteBahut acha he mgar ek baat our he ki ab majnu miljata he ya hum khud ek majnu banjate he kisike pyar me par har koi laila nahi banpati wo laila ek laila thi jo sirf apne majnu ko pyar karti thi ab esa koi nahi hota.
ReplyDeleteAb 1 side love bahot chalta he tum kisi ladki ya ladke ko chahte ho par wo kisi or ko chahta hoga kehne ka matlab laila laila thi majnu wo majnu thaa or ab vo to tum jante hi ho sab
मीलों तक चलता रहा, यूँ हीं मोहब्बत का कारवाँ
ReplyDeleteना लैला ऊँट से उतरी, ना मजनूँओ ने पीछा छोड़ा