* नमक मत छिड़को
" एक महीने के 30 दिन मे 60 बलात्कार अब कोई नई बात नहीं है ,चौंकिए मत, ये हरियाणा का हाल है जो बलात्कार जैसे गंभीर मामले मे देश मे 10 वे नंबर पर है मगर ये सोचिए की जो पहले नंबर पर है उसका ग्राफ कैसा होगा ? जहां दिल्ली की बात करे तो दिल्ली देश मे बलात्कार के मामले मे 4 थे स्थान पर है ,चिंता ना करे आप ऐसे ही सोते रहिए इस देश मे बलात्कार जैसे मामलो मे ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है ओर बढ़ेगा भी क्यू की आपके द्वारा चुनी हुई सरकार की मासिकता ही कुछ ऐसी है भाई ,कोई कोंग्रेसी नेता कहेता है की " 90 % शारीरिक संबंध लड़कियो की सहेमती से होते है |" तो कोई कहेता है की " बलात्कार तो देश भर मे हो रहे है |" मगर आज तक किसी कोंग्रेसी नेता ने इसके खिलाफ कार्यवाही करने की या फिर कोई कडक कदम उठाने की मांग नहीं की ओर अगर की भी है तो सिर्फ कागज पर ओर ...आ जाते है ऐसे मामलो पर अपना फालतू बयान देने के लिए, तुम देशवासियो की भावनाओ पर मरहम लगा रहे हो या फिर नमक छिड़क रहे हो ?ऐसे गैरजिम्मेदारा बयान देकर ,बाबा रामदेव ने सही कहा था अगर वैसा होता तो क्या तुम ऐसे बयान देते ? "
* बलात्कारी जात नहीं देखता है
" बलात्कार हिन्दू लड़की पर हो सकता है ,बलात्कार मुस्लिम लड़की पर हो सकता है ,बलात्कार ईसाई लड़की पर हो सकता है क्यू की बलात्कारी ,बलात्कार करते वक़्त उस लड़की की जात नहीं देखते है क्यू की वो हैवान होते है ,अगर बलात्कार जैसे गंभीर मुद्दो पर भी हम एक हो न सके तो कल हम मे से किसी को भी ये पीड़ा सहेन करनी पड़ सकती है ...भले ही इस देश का नारी संघठन ऐसे गंभीर मामलो पर चुप बैठा हो मगर आप सोचो की आपको ऐसे बढ़ते अपराधो के खिलाफ क्या करना है ? क्या इस देश का कानून मंत्री सही है ? क्या इस देश का कानून सही है ? अगर नहीं है तो फैसला आपके हाथ मे है की आपको क्या करना है | "
* वो चाह कहाँ से लाये ?
" पिछले कुछ बरसो से प्रतीत हो रहा है की भारत का संविधान सिर्फ आमआदमी पर ही सक्रिय है ओर नेता पर निष्क्रिय है क्यू की अगर सक्रिय होता तो आज उनके मुंह से अनाप सनाप बयान नहीं निकलते जब की वो एक जिम्मेदार पद पर बैठे है ओर न ही इस देश का कानून उनके सामने इतना बेबस हो जाता "असीम त्रिवेदी " ने देश की सच्चाई दर्शाता हुवा कार्टून बनाया तो नेताओ ने हंगामा कर दिया ओर संविधान ने त्रिवेदी को जेल की सलाखों के पीछे धकेल दिया मगर वही कानून वही संविधान ने ये नहीं सोचा की इस कार्टून मे कितनी सच्चाई है ?ओर अगर है तो फिर असीम त्रिवेदी गुनहगार कैसे हो सकता है ? क्या सच बोलना या फिर सच्चाई को दर्शाना गुनाह है कानून की नजर से ? असली गुनहगार तो देश के नेता है जो कानून को कटपुटली की तरहा नचा रहे है ओर आज़ाद हो कर घूम रहे है क्या यही है हमारा कानून जो सत्ता के आगे झुक जाता है ? जिसे देश मे फैलते बलात्कार जैसे गंभीर मामले दिखाई नहीं देते है ? कानून चाहे तो क्या नहीं कर सकता है ...मगर वो चाह कहाँ से लाये ? वही चाह तो किसी नेता की जेब मे कैद होकर पड़ी होती है |"
" अगर आज भी इस देश का कानून ओर आमआदमी गहेरी नींद से नहीं जागेगा तो वो दिन दूर नहीं जब हर गली मे हर चोक मे एक औरत रोती , चीखती ,चिल्लाती कहेती होगी " हाँ ,मुझ पर भी बलात्कार हुवा है | "
यहाँ भी एक नजर करिए
लोकशाही की हत्या राम बोलो भाई राम
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