" अंडे खाये ,जूते खाये पता नहीं सोनिया के लिए ओर क्या क्या खाना पड़ेगा ? "जयचंद कोंग्रेसी बोला " चापलूसी करते करते ,तलवे चाटते चाटते कभी ये नहीं सोचा था की ऐसे अंडे ओर जूते खाने के दिन भी आएंगे | " उस पर सोम सिंह कोंग्रेसी बोला की " अब तो ऐसे दिन आ गए है और ऐसा हाल हो गया है की घर पहुँचने पर बच्चे दरवाजा खोलते ही पूछते है " पापा,आज आपने क्या खाया ?अंडे या जूते ? "
" सही कहा तूने सोम सिंह " जयचंद बोला " माल खाये राजा ओर लड़ाई के मैदान मे मरे सैनिक जैसा ही हाल है हमारा |"जयचंद के चहेरे पर वेदना थी "हमारे ही बच्चे आपस मे शर्त लगते है की लगी शर्त 500 की आज पापा ने जूते ही खाये होंगे | "..तो सोम सिंह बोला " हाँ यार सही कहा तूने अब तो जनता को भी पता चल गया है की सोनिया के जूते इतने चमकते क्यू है ? ...कोई तलवे चाटता है तो कोई जूते "..अब तो जब भी 10 जनपथ जाता हु तो कमर पर पहले से ही "मूव" की मालिश करके जाता हु ..साला बार बार झुक कर सलाम करना जो पड़ता है ओर ताजूब तो तब होता है की जब जनता भी अंडे मारती है तो वो अंडे भी विदेसी ही होते है |"
" बेटे को सलाम मारो ,माँ को सलाम मारो ,जमाई राजा को सलाम मारो और जनता कहेती है की इन सब को जूते मारो.... ओर जनता ने शुरू भी कर दिया कार्यक्रम ,तूने देखा नहीं वो वीडियो "शीला दीक्षित " पर कैसे अंडो की बारिश हुई " ...बहुत बुरी तरहा से मारे है अंडे जनता ने भाई ...अगर नहीं देखा है वो वीडियो तो यहाँ जाकर देखो भाई |" ...तो जयचंद बोला " सब्र कर मेरे भाई ,सब्र का फल मीठा होता है ओर शुक्र मान भगवान का की आजतक सिर्फ जूते ओर अंडे ही पड़े है पत्थर नहीं |"
" चल अब बहुत देर हो चुकी है जयचंद अब तू भी घर जा "..."नहीं नहीं आज घर बिलकुल नहीं जाऊंगा " जयचंद बोला " यार कल जब मै घर पहुंचा ओर जैसे ही मेरे बेटे ने दरवाजा खोला वैसे मौजे पूछा "पापा आज क्या खा कर आए हो ? अंडे या जूता ? "......मैंने कहा जूता, तो वो फटाक से बोला धत ! तेरे की आप मेरे किसी काम के नहीं हो पापा ...आज अंडा खाना था न अगर आज आप अंडा खाकर आते तो पड़ोसवाले सुनील से मै 5000 हजार जीत जाता ....मगर आप भी न पापा सिर्फ सोनिया के काम के ही हो | "
* याद रहे
" महेंगाइ ओर घोटाले के जमाने मे इंसान हसना भूल गया है ........ये एक प्रयास है उन लोगो के लिए जिनहोने मुस्कान को अपने लबो से दूर कर दिया है | "
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