Friday, October 7, 2011
लोकशाही की ह्त्या : राम बोलो भाई राम
" दुनियाँ का सबसे बड़ा लोकतंत्र आज सरासर तानाशाही में बदल चूका है , इस हद तक बदला है की " माननीय "और " मंत्री श्री " शब्द आज के सांसदों के नाम के आगे लगाना शायद उचित भी ना हो क्यु की ये भी हो सकता है की "माननीय "और "मंत्री श्री "शब्द का अपमान हो जाये ,क्यु की ये वो लोकतंत्र है जहाँ जनता के साथ अमानवीय व्यव्हार करने पर भी "सांसदों" के नाम के आगे "माननीय"अल्फाज़ लगाना पड़ता है वर्ना इसे संविधान का अपमान समजा जाता है फिर चाहे कोई सांसद सभ्य "बलात्कारी" ही क्यु ना हो..अजीब लोकतंत्र की अजीब माया है ?"
* अजीब खेल :
" संसद भवन के अन्दर चालू कार्यकाल में नोटों के बण्डल उछालना , संसद भवन में किसी सांसद का चालू कार्यकाल में सोना ,या फिर संसद में एक दुसरे को गाली गलोच करने पर नहीं होता है संसद और संविधान का अपमान ....मग़र भ्रस्टाचार में फंसे किसी " सांसद " को गाली देना या फिर अनाप सनाप स्टेटमेंट देनेवाले किसी नेता की तस्वीर को जनता व्यंग भरी बनाये तो "संविधान " का अपमान हो जाता है और जनता के हाथ में "ऍफ़ आर आई " का परचा थमाया जाता है और सबसे बड़ी हैरानी तो तब होती है जब देश का कानून भी ये नहीं सोचता है की जनता ने ऐसा कदम क्यु उठाया ?अगर इस सवाल के जड़ तक कोई जायेगा तो पता चलेगा की जनता को ऐसा करने पर मजबूर " मंत्री या फिर सांसद" ने ही किया था ये तो जनता ने "सांसदों "की अनाप सनाप बक बक का जवाब ही दिया है और मंत्री एवं सांसद ये भूल रहे है की देश की आबादी कितनी है और उनमे से अगर १० % जनता ने भी अगर उनके बयानों पर केस दर्ज कर दिया तो "सांसदों"का क्या हाल होगा ..पूरी जिन्दगी ये कोर्ट से वो कोर्ट करते करते निकल जाएगी क्यु की उनके द्वारा किये गए बयां को जनता जानती है और जनता उनके गलत बयानों पर केस दर्ज कर भी सकती है |"
* अब इसे क्या कहे ?
" अफज़ल गुरु "जिसने देश की गरिमा पर हमला किया था ऐसे आतंकी को बचाने के लिए एक राज्य के मुख्यमंत्री खुल्ले आम कहे रहे है की "अफज़ल को फंसी दोगे तो देश भर में आतंकी हमले होंगे |"..अब ऐसे मुख्यमंत्री को क्या माना जाये "आतंकी अफ़ज़ल का साथीदार या फिर आतंकी अफज़ल का रक्षक ?..ऐसे तो कल कोई दुसरे राज्य का मुख्यमंत्री भी "कसाब बचाओ अभियान" चालू कर देगा ..तो ये सब आतंकी को बचाने का कार्य कर क्यु रहे है ..जनता को चुन चुनकर मारने के लिए ? ..जब "आतंकी हमले को रोकना असंभव है " ऐसे बयान एक सांसद "राहुल गाँधी" दे सकते है तो जब जनता इन से ये पूछेगी की आतंकी हमले रोकना असंभव है मग़र आतंकी फांसी देना गलत क्यु है ? क्यु रखते हो जिन्दा उन्हें ..क्या रहा है ये सब ?..आप जनता के रक्षक हो या फिर इन आतंकीयों के ? और सबसे ज्यादा हैरानी तो तब होती है जब इस देश के कानून के रखवाले ऐसे भ्रष्ट "सांसदों "को सलाम करते है और जनता को सवाल पूछने पर डंडे मारते है |"
* माननीय या "अ"माननीय |
" लोगों को सिर्फ वोट देने का अधिकार है मग़र अपने द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों को सवाल पूछने का अधिकार नहीं है की आप ये सब क्या कर रहे हो ? ऐसा सवाल पूछने पर आपके साथ "अमानवीय "व्यव्हार हो सकता है और फिर भी इन भ्रस्टाचारी सांसदों के आगे और जो सांसद रोज लोकशाही की हत्या करता है उनके नाम के आगे आपको "माननीय "सब्द लगाना ही पड़ेगा नहीं तो हो सकता है "संविधान का अपमान "..नेताओं के द्वारा लोकशाही की सरेआम हत्या तो हो चुकी है अब जनता के पास बचे है सिर्फ यही अल्फाज़ जो आखरी कहे जाते है " राम बोलो भाई राम |"
इस ब्लॉग में पढने लायक और भी है :
१) "व्यंग- कसाब पाकिस्तान और फ़ोन "
"इस पोस्ट में पढ़िए कसाब अगर पाकिस्तान में बैठे अपने आका को फ़ोन करेगा तो वो किस तरह से बात करेगा ..पढ़िए हुजुर ..मजा आएगा और सच्चाई भी यही है |"
२) "नरेन्द्र मोदी बेकार है चोर है "
" इस पोस्ट में पढ़िए उन पहेलु को जो सब जानते है मग़र फिर भी अनजान बने हुवे है "
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आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा आज के चर्चा मंच पर भी की गई है!
ReplyDeleteअधिक से अधिक लोग आपके ब्लॉग पर पहुँचेंगे तो चर्चा मंच का भी प्रयास सफल होगा।
sukriya mayank sir ..
ReplyDeleteबहुत सुंदर।
ReplyDeleteजन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएँ!
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एक यादगार सम्मेलन...
...तीन साल में चार गुनी वृद्धि।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति सर
ReplyDeleteलालू तो एक बार गणतंत्र दिवस की परेड में ध्वजारोहण के समय अपनी जगह से खडा भी नहीं हुआ| यह भी अपराध नहीं है|
मूल उमर, कसाब का साथी या रक्षक नहीं, बल्कि उसका बाप है|
आपको जन्मदिवस की ढेरों शुभकामनाएं|
bindas prastuti ke liye dhanyavad.
ReplyDeleteAapko janamdin kee haardik shubhkamnayen!
jakir ali sir ..aapka tahe dil se sukriya
ReplyDeletediwas sir , sahi kah aapne ..pared par bhi soye huve the lalu prasad tab nahi hota hai samvidhan ka apmaan ..sukriya sir
ReplyDeletekavita ji sukriya
ReplyDeletekavita ji sukriya
ReplyDeleteएक ही उल्लू काफी है बर्बाद गुलिस्तां करने को अंजामे गुलिस्तां क्या होगा हर शाख पे उल्लू बैठा है |
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