" दुनियाँ का सबसे बड़ा लोकतंत्र आज सरासर तानाशाही में बदल चूका है , इस हद तक बदला है की " माननीय "और " मंत्रीश्री " शब्दआजकेसांसदोंकेनामकेआगेलगानाशायदउचितभीनाहोक्युकीयेभीहोसकताहैकी "माननीय "और "मंत्रीश्री "शब्दकाअपमानहोजाये,क्यु की ये वो लोकतंत्र है जहाँ जनता के साथ अमानवीय व्यव्हार करने पर भी "सांसदों" के नाम के आगे "माननीय"अल्फाज़ लगाना पड़ता है वर्ना इसे संविधान का अपमान समजा जाता है फिरचाहेकोईसांसदसभ्य "बलात्कारी" हीक्युनाहो..अजीब लोकतंत्र की अजीब माया है ?"
* अजीबखेल :
" संसदभवनकेअन्दरचालूकार्यकालमेंनोटोंकेबण्डलउछालना , संसदभवनमेंकिसीसांसदकाचालूकार्यकालमेंसोना ,याफिरसंसदमेंएकदुसरेकोगालीगलोचकरनेपरनहींहोताहैसंसदऔरसंविधानकाअपमान ....मग़रभ्रस्टाचारमेंफंसेकिसी " सांसद " कोगालीदेनायाफिरअनापसनापस्टेटमेंटदेनेवालेकिसीनेताकीतस्वीरकोजनताव्यंगभरीबनायेतो "संविधान " काअपमानहोजाताहैऔरजनताकेहाथमें"ऍफ़आरआई " कापरचाथमायाजाताहैऔर सबसे बड़ी हैरानी तो तब होती है जब देश का कानून भी ये नहीं सोचता है की जनतानेऐसाकदमक्युउठाया ?अगर इस सवाल के जड़ तक कोई जायेगा तो पता चलेगा की जनताकोऐसाकरनेपरमजबूर " मंत्रीयाफिरसांसद" नेहीकियाथायेतोजनताने "सांसदों "कीअनापसनापबकबककाजवाबहीदियाहै और मंत्री एवं सांसद ये भूल रहे है की देश की आबादी कितनी है और उनमे से अगर १० % जनतानेभीअगरउनकेबयानोंपरकेसदर्जकरदियातो "सांसदों"काक्याहालहोगा ..पूरी जिन्दगी ये कोर्ट से वो कोर्ट करते करते निकल जाएगी क्यु की उनके द्वारा किये गए बयां को जनता जानती है और जनता उनके गलत बयानों पर केस दर्ज कर भी सकती है |"
* अबइसेक्याकहे ?
" अफज़ल गुरु "जिसने देश की गरिमा पर हमला किया था ऐसे आतंकी को बचाने के लिए एक राज्यकेमुख्यमंत्रीखुल्लेआम कहे रहे है की "अफज़लकोफंसीदोगेतोदेशभरमेंआतंकीहमलेहोंगे |"..अब ऐसे मुख्यमंत्री को क्या माना जाये "आतंकीअफ़ज़लकासाथीदारयाफिरआतंकीअफज़लकारक्षक ?..ऐसेतोकलकोईदुसरेराज्यकामुख्यमंत्रीभी "कसाबबचाओअभियान"चालूकरदेगा ..तो ये सब आतंकी को बचाने का कार्य कर क्यु रहे है ..जनता को चुन चुनकर मारने के लिए ? ..जब "आतंकीहमलेकोरोकनाअसंभवहै " ऐसेबयानएकसांसद "राहुलगाँधी" देसकतेहैतो जब जनता इन से ये पूछेगी की आतंकी हमले रोकना असंभव है मग़र आतंकी फांसी देना गलत क्यु है ? क्यु रखते हो जिन्दा उन्हें ..क्या रहा है ये सब ?..आप जनता के रक्षक हो या फिर इन आतंकीयों के ? और सबसे ज्यादा हैरानी तो तब होती है जबइसदेशकेकानूनकेरखवालेऐसेभ्रष्ट "सांसदों "कोसलामकरतेहैऔरजनताकोसवालपूछनेपरडंडेमारतेहै |"
* माननीयया "अ"माननीय |
" लोगों को सिर्फ वोट देने का अधिकार है मग़र अपने द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों को सवाल पूछने का अधिकार नहीं है की आप ये सब क्या कर रहे हो ? ऐसा सवाल पूछने पर आपके साथ "अमानवीय "व्यव्हार हो सकता है और फिर भी इन भ्रस्टाचारी सांसदों के आगे और जो सांसद रोज लोकशाही की हत्या करता है उनके नाम के आगे आपको "माननीय "सब्द लगाना ही पड़ेगा नहीं तो हो सकता है "संविधान का अपमान "..नेताओंकेद्वारालोकशाहीकीसरेआमहत्यातोहोचुकीहैअबजनताकेपासबचेहै सिर्फयहीअल्फाज़जोआखरीकहेजातेहै" रामबोलोभाईराम |"
इसब्लॉगमेंपढनेलायकऔरभीहै :
१) "व्यंग- कसाब पाकिस्तान और फ़ोन " "इस पोस्ट में पढ़िए कसाब अगर पाकिस्तान में बैठे अपने आका को फ़ोन करेगा तो वो किस तरह से बात करेगा ..पढ़िए हुजुर ..मजा आएगा और सच्चाई भी यही है |"
बहुत सुन्दर प्रस्तुति सर लालू तो एक बार गणतंत्र दिवस की परेड में ध्वजारोहण के समय अपनी जगह से खडा भी नहीं हुआ| यह भी अपराध नहीं है| मूल उमर, कसाब का साथी या रक्षक नहीं, बल्कि उसका बाप है|
आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा आज के चर्चा मंच पर भी की गई है!
ReplyDeleteअधिक से अधिक लोग आपके ब्लॉग पर पहुँचेंगे तो चर्चा मंच का भी प्रयास सफल होगा।
sukriya mayank sir ..
ReplyDeleteबहुत सुंदर।
ReplyDeleteजन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएँ!
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एक यादगार सम्मेलन...
...तीन साल में चार गुनी वृद्धि।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति सर
ReplyDeleteलालू तो एक बार गणतंत्र दिवस की परेड में ध्वजारोहण के समय अपनी जगह से खडा भी नहीं हुआ| यह भी अपराध नहीं है|
मूल उमर, कसाब का साथी या रक्षक नहीं, बल्कि उसका बाप है|
आपको जन्मदिवस की ढेरों शुभकामनाएं|
bindas prastuti ke liye dhanyavad.
ReplyDeleteAapko janamdin kee haardik shubhkamnayen!
jakir ali sir ..aapka tahe dil se sukriya
ReplyDeletediwas sir , sahi kah aapne ..pared par bhi soye huve the lalu prasad tab nahi hota hai samvidhan ka apmaan ..sukriya sir
ReplyDeletekavita ji sukriya
ReplyDeletekavita ji sukriya
ReplyDeleteएक ही उल्लू काफी है बर्बाद गुलिस्तां करने को अंजामे गुलिस्तां क्या होगा हर शाख पे उल्लू बैठा है |
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