" अरविंद केजरीवाल क्या धोखेबाज है ?क्या वो पैसे लेकर करता है आंदोलन ? इन अजीब सवालो के जवाब आपको इस पोस्ट मे मिलेंगे वो भी सबूत के साथ दोस्तो, केजरीवाल वो शख्स है जिस पर कुछ दिन पूर्व पूरे देश के आम आदमी की नीगाहे टिकी हुई थी अन्ना हज़ारे के कभी विश्वासु साथी हुवा करते थे केजरीवाल मगर जब से उन पर नयी पार्टी बनाने का भूत सवार हुवा पूरी अन्ना टीम बिखर गयी ,ये सबूत देखकर ऐसा ही लगता है की अरविंद केजरीवाल का मकसद " लोकपाल " लाने का नहीं मगर पैसे कमाने का ही था भला कोई देश सेवा के नाम पर पगार ले ये कहाँ का न्याय हुवा ? "
* अन्ना हज़ारे समाज सेवी मगर केजरीवाल धूर्त नीकला
" अन्ना हज़ारे जी को अंधेरे मे रखकर कुछ दिन पूर्व ही केजरीवाल ने कहा था की अन्ना हज़ारे की सहेमती से वो नयी पार्टी बनाना चाहते है मगर इस बात का खुलाषा खुद अन्ना हज़ारे ने किया की उनसे इस मुद्दे पर चर्चा हुई नहीं है और न ही उनकी सहेमती ली गयी है ये बात ही बताती है की केजरीवाल को सिर्फ और सिर्फ नेता ही बनना था उसे " लोकपाल " से कोई लेना देना है ही नहीं | "
* केजरीवाल का नाटक
" जब जब कॉंग्रेस पर कोई भी संकट आया है तब तब केजरीवाल ने किया है कॉंग्रेस का समर्थन ये कैसे ये भी देखिये ...अन्ना का आंदोलन देश मे फैले भ्रष्टाचार को मिटाने के लिए चल रहा है और उसका नेतृत्व केजरीवाल कर रहे थे जब भ्रष्टाचार मिटाने के लिए लड़ रहे हो आप और भ्रष्टाचार के खिलाफ आप चाहते है की "जनलोकपाल" जैसा कानून लाया जाए तो देश मे हुवे कोयला घोटाले के नायक ऐसे "प्रधानमंत्री" को जब विपक्ष ने भ्रष्टाचार के मुद्दे पर घेरने का ऐलान किया तब याद करो की क्या हुवा था ? दरअसल केजरीवाल को यहाँ पर विपक्ष को साथ देना चाहिए था मगर केजरीवाल ने उल्टा भ्रष्टाचारी " प्रधानमंत्री" को बचाते हुवे विपक्ष को ही घेरा " तो यहाँ पर बचाव किसका हुवा ? भ्रष्टाचारी का ही न ?तो ऐसे मे आप को जनलोकपाल कहाँ से मिलेगा जब "जनलोकपाल" के लिए भ्रष्ट कॉंग्रेस के ही लोग याने केजरीवाल जैसे नारेबाजी कर रहे है की "जनलोकपाल" लाओ | "
* जनलोकपालके लिए नहीं लड़ रहे केजरीवाल
" केजरीवाल अगर "जनलोकपाल " के लिए लड़ रहे होते तो याद करो कुछ दिन पूर्व केजरीवाल ने एक पत्रकार परिषद मे घोषणा की थी की उनके पास प्रधानमंत्री भ्रष्ट है इस बात के सबूत है साथ मे कई केंद्रीय मंत्री भी भ्रष्ट है उसके भी सबूत है मगर आजतक न ही वो सबूत जनता के सामने रखे और नहीं भ्रष्ट कॉंग्रेस सरकार के खिलाफ उन सबूतो का इस्तेमाल भी किया तो क्या केजरीवाल ने सबूतो का सौदा कर लिया क्या ?"
* आंदोलन कोई पैसे लेकर करे तो उसे आंदोलन नहीं कहा करते
" आंदोलन की व्याख्या क्या है ? इसी बात का पता शायद केजरीवाल को नहीं है की आंदोलन उसे कहा करते है जो देश के लिए सच्चे मन से बिना स्वार्थ के जनता की भलाई के लिए सरकार के द्वारा किए गए अन्याय के लिए लड़े ,क्या कभी कोई क्रांतिकारी ने किसी से पगार लिया था कभी ? जनता के सहारे ही आंदोलन होता है जब जनता आंदोलन से जुड़ती है तब जनता अपना कारोबार ,अपना घर छोड़कर आंदोलन मे समेलित होती है और शायद यही बात को देश सेवा कहते है मगर केजरीवाल ने लिया तगड़ा पगार जैसे कोई कंपनी का "सीईओ" हो | "
* तगड़ा पगार लेकर आंदोलन किया था
" आपको यकीन नहीं हो रहा है न तो ये देखिये ये है सबूत की केजरीवाल इस देश के भ्रष्टाचारी के साथ है जिसे सिर्फ पैसा कमाने का ही शौख है ...जनलोकपाल आए या ना आए कोई फर्क नहीं पड़ता है केजरीवाल को बस्स पैसा मिलना चाहिए |"
ये रहा सबूत की वो पगार लेकर करता था आंदोलन वो भी तगड़ा
ये बिल केजरीवाल ने ही दिया है देखिये
" 29,07825 का तगड़ा पगार ,ओह "29 लाख सात हजार आठसो पचीस" रुपये लेकर आंदोलन ...भैया इसे आंदोलन नहीं मगर खेल कहो या फिर "धंधा" कहो
इस ब्लॉग मे पढ़िये
सोनिया मोदी से डरती है
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* अन्ना हज़ारे समाज सेवी मगर केजरीवाल धूर्त नीकला
" अन्ना हज़ारे जी को अंधेरे मे रखकर कुछ दिन पूर्व ही केजरीवाल ने कहा था की अन्ना हज़ारे की सहेमती से वो नयी पार्टी बनाना चाहते है मगर इस बात का खुलाषा खुद अन्ना हज़ारे ने किया की उनसे इस मुद्दे पर चर्चा हुई नहीं है और न ही उनकी सहेमती ली गयी है ये बात ही बताती है की केजरीवाल को सिर्फ और सिर्फ नेता ही बनना था उसे " लोकपाल " से कोई लेना देना है ही नहीं | "
* केजरीवाल का नाटक
" जब जब कॉंग्रेस पर कोई भी संकट आया है तब तब केजरीवाल ने किया है कॉंग्रेस का समर्थन ये कैसे ये भी देखिये ...अन्ना का आंदोलन देश मे फैले भ्रष्टाचार को मिटाने के लिए चल रहा है और उसका नेतृत्व केजरीवाल कर रहे थे जब भ्रष्टाचार मिटाने के लिए लड़ रहे हो आप और भ्रष्टाचार के खिलाफ आप चाहते है की "जनलोकपाल" जैसा कानून लाया जाए तो देश मे हुवे कोयला घोटाले के नायक ऐसे "प्रधानमंत्री" को जब विपक्ष ने भ्रष्टाचार के मुद्दे पर घेरने का ऐलान किया तब याद करो की क्या हुवा था ? दरअसल केजरीवाल को यहाँ पर विपक्ष को साथ देना चाहिए था मगर केजरीवाल ने उल्टा भ्रष्टाचारी " प्रधानमंत्री" को बचाते हुवे विपक्ष को ही घेरा " तो यहाँ पर बचाव किसका हुवा ? भ्रष्टाचारी का ही न ?तो ऐसे मे आप को जनलोकपाल कहाँ से मिलेगा जब "जनलोकपाल" के लिए भ्रष्ट कॉंग्रेस के ही लोग याने केजरीवाल जैसे नारेबाजी कर रहे है की "जनलोकपाल" लाओ | "
* जनलोकपालके लिए नहीं लड़ रहे केजरीवाल
" केजरीवाल अगर "जनलोकपाल " के लिए लड़ रहे होते तो याद करो कुछ दिन पूर्व केजरीवाल ने एक पत्रकार परिषद मे घोषणा की थी की उनके पास प्रधानमंत्री भ्रष्ट है इस बात के सबूत है साथ मे कई केंद्रीय मंत्री भी भ्रष्ट है उसके भी सबूत है मगर आजतक न ही वो सबूत जनता के सामने रखे और नहीं भ्रष्ट कॉंग्रेस सरकार के खिलाफ उन सबूतो का इस्तेमाल भी किया तो क्या केजरीवाल ने सबूतो का सौदा कर लिया क्या ?"
* आंदोलन कोई पैसे लेकर करे तो उसे आंदोलन नहीं कहा करते
" आंदोलन की व्याख्या क्या है ? इसी बात का पता शायद केजरीवाल को नहीं है की आंदोलन उसे कहा करते है जो देश के लिए सच्चे मन से बिना स्वार्थ के जनता की भलाई के लिए सरकार के द्वारा किए गए अन्याय के लिए लड़े ,क्या कभी कोई क्रांतिकारी ने किसी से पगार लिया था कभी ? जनता के सहारे ही आंदोलन होता है जब जनता आंदोलन से जुड़ती है तब जनता अपना कारोबार ,अपना घर छोड़कर आंदोलन मे समेलित होती है और शायद यही बात को देश सेवा कहते है मगर केजरीवाल ने लिया तगड़ा पगार जैसे कोई कंपनी का "सीईओ" हो | "
* तगड़ा पगार लेकर आंदोलन किया था
" आपको यकीन नहीं हो रहा है न तो ये देखिये ये है सबूत की केजरीवाल इस देश के भ्रष्टाचारी के साथ है जिसे सिर्फ पैसा कमाने का ही शौख है ...जनलोकपाल आए या ना आए कोई फर्क नहीं पड़ता है केजरीवाल को बस्स पैसा मिलना चाहिए |"
ये रहा सबूत की वो पगार लेकर करता था आंदोलन वो भी तगड़ा
ये बिल केजरीवाल ने ही दिया है देखिये
" 29,07825 का तगड़ा पगार ,ओह "29 लाख सात हजार आठसो पचीस" रुपये लेकर आंदोलन ...भैया इसे आंदोलन नहीं मगर खेल कहो या फिर "धंधा" कहो
इस ब्लॉग मे पढ़िये
सोनिया मोदी से डरती है
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YE CONGRESS KA APPRACHAAR HAI.....
ReplyDeleteकोणते ही आंदोलन पैश्याच्या पाठबळा शिवाय करता येत नाही. पक्षाचे कार्यकर्त्ये पैसा घेतल्या शिवाय पक्षाच्या सभाना हजेरी लावत नाहीत...केजारीवाल्च्या आंदोलनात जनता उस्फुर्त पाने सहभागी झाली असली तरी इतर अनेक खर्च करता पैसा लागतोच. आणि केजरीवाल यांनी पैश्याचा हिशोब दीला इतर राजकीय पक्षांनी गेल्या ६५ वर्षात असा कोणता हिशो दीला कि आपण केजरीवाल यांना चोर ठरवत आहात. हा सगळा अपप्रचार कॉंग्रेस आणि विरोधी पक्षांचे जन आंदोलनाला बदनाम करण्याचे षड्यंत्र आहे....केजरीवाल यांच्या ध्येया पेक्षा केजरीवाल ने टोपी बदली या वरच विरोधकांचा जोर आहे...
ReplyDeleteandolan karne walon ke pariwar nahi hota, unke bachche nahi hote hai...
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