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Tuesday, September 11, 2012

टॉइलेट पेपर पर भी अशोक चक्र तो क्या सरकार भी है गुनेगार ?

 
                             " टॉइलेट पेपर पर जब सरकार खुद अशोक चक्र लगाती है तब वो क्यू नहीं कहेलाती देशद्रोही ? और क्यू नहीं दिखता उस "अशोक चक्र" मे देश के "संविधान का अपमान " ? कमाल है जब एक कार्टूनिस्ट सच्चाई बताता है देश की तो सरकार उस कार्टूनिस्ट को देशद्रोही करार देती है मगर टॉइलेट पेपर पर सरकार के द्वारा ही लगाए गए अशोक चक्र के लिए क्या काँग्रेस सरकार देश के रेलमंत्री को भी देश द्रोही करार देगी क्या ? "

* ये दोहरी चाल जनता के लिए ही क्यू ? 

                               " सरकार और मंत्री दल कुछ भी करे चाहे वो संसद मे सो जाए या संविधान का सारे आम भंग करे तब वो क्यू नहीं कहेलाते है देशद्रोही ? एक कार्टूनिस्ट ही क्यू ?क्या "एम एफ हुसैन" के खिलाफ भी कभी सरकार ने कडा रुख अपनाया था ? नहीं ...कभी नहीं अपनाया तो फिर आज "असीम त्रिवेदी" ही क्यू ? क्या ऐसा करके सरकार जनता की आवाज़ को रोक सकेगी तो जवाब आएगा नहीं ...नहीं रोक सकती जनता को ऐसे मे तो और भी सरकार की छबी जनता के मन मे खराब ही होगी | "

* घोटाले बाज सरकार को कोई उसके खिलाफ बोले ये पसंद नहीं है 

                               " जनता उसके घोटाले या सरकार के जुल्म के खिलाफ आवाज़ उठाए ये जरा भी सहेती नहीं है सरकार ...जैसे 4 जून की काली रात और आज ये असीम त्रिवेदी जी हाँ इंका गुनाह इतना है की ये जनता को सच्चाई बता रहे है तो क्या हर सच बोलनेवालों का अंजाम ये सरकार ऐसा ही करेगी ? क्या जनता सहेती रहे उनके घोटाले और जुल्म अगर ऐसा ही चलता रहा तो यकीनन ही भारत मे एक और क्रांति होगी जिसकी जिम्मेदार ये तानाशाही भरी सरकार ही होगी जो गैरजिम्मेदार भी है और घोटालो की पाठशाला भी ,खुद के पाप बचाने के लिए जनता पर जुल्म | "

* थूकता हु ऐसी सरकार पर

                            " सरकार अगर न्याय प्रिय है तो पहले रेल मंत्री को भी जेल मे डाले क्यू की उसने भी किया है देश के संविधान का अपमान अगर ऐसा नहीं करती है तो फिर थूकता हु इस सरकार पर ...हाक थू |"

* पढ़िये असीम त्रिवेदी का खत जो जेल मे बैठे लिखा है 

* ये है मनमोहन जिस पर सर रखते है वो तोलिया 
          तो मनमोहनको भी डालो जेल मे भाई संविधान का अपमान है ये





* और ये है असीम ने बनाया हुवा कार्टून 
           


                           " अब बोलो दोस्तो क्या मनमोहन गुन्हेगार नहीं है ? क्या रेल मंत्री गुनहगार नहीं है ? तो देश का कानून उनके खिलाफ क्यू कार्यवाही नहीं करता है? क्या इस देश का कानून फिर से एक बार साबित कर रहा है कीकानून सरकार के हाथ की कठपुतली है ?"

मैंने कभी कमेन्ट नहीं मांगी है आप से मगर आज दीजिये 


इस ब्लॉग मे पढ़ने लायक और भी 

कोंग्रेसी नेता को पड़े जूते 
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5 comments:

  1. तहे दिल से शुक्रिया रविकर साहब

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  2. यही तो दुख है कि खुद करें तो शहंशाह और दूसरा करे तो राजद्रोह ………ये दोहरा आचरण सिर्फ़ ऐसी सरकार ही कर सकती है अब इसे जाना चाहिये तभी देश का भला हो सकता है और कहीं यदि जनता ने गलती कर दी इस बार तो उसका खामियाज़ा हमारी आने वाली पीढियाँ तक भुगतेंगी।

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  3. देश की तो अवधारणा ही खत्म कर दी है इस सरकार ने
    आज भारत के लोग बहुत उत्तप्त हैं .वर्तमान सरकार ने जो स्थिति बना दी है वह अब ज्यादा दुर्गन्ध देने लगी है .इसलिए जो संविधानिक संस्थाओं को गिरा रहें हैं उन वक्रमुखियों के मुंह से देश की प्रतिष्ठा की बात अच्छी नहीं लगती .चाहे वह दिग्विजय सिंह हों या मनीष तिवारी या ब्लॉग जगत के आधा सच वाले महेंद्र श्रीवास्तव साहब .

    असीम त्रिवेदी की शिकायत करने वाले ये वामपंथी वहीँ हैं जो आपातकाल में इंदिराजी का पाद सूंघते थे .और फूले नहीं समाते थे .

    त्रिवेदी जी असीम ने सिर्फ अपने कार्टूनों की मार्फ़त सरकार को आइना दिखलाया है कि देखो तुमने देश की हालत आज क्या कर दी है .

    अशोक की लाट में जो तीन शेर मुखरित थे वह हमारे शौर्य के प्रतीक थे .आज उन तमाम शेरों को सरकार ने भेड़ियाबना दिया है .और भेड़िया आप जानते हैं मौक़ा मिलने पर मरे हुए शिकार चट कर जाता है .शौर्य का प्रतीक नहीं हैं .
    असीम त्रिवेदी ने अशोक की लाट में तीन भेड़िये दिखाके यही संकेत दिया है .

    और कसाब तो संविधान क्या सारे भारत धर्मी समाज के मुंह पे मूत रहा है ये सरकार उसे फांसी देने में वोट बैंक की गिरावट महसूस करती है .
    क्या सिर्फ सोनिया गांधी की जय बोलना इस देश में अब शौर्य का प्रतीक रह गया है .ये कोंग्रेसी इसके अलावा और क्या करते हैं ?

    क्या रह गई आज देश की अवधारणा ?चीनी रक्षा मंत्री जब भारत आये उन्होंने अमर जवान ज्योति पे जाने से मना कर दिया .देश में स्वाभिमान होता ,उन्हें वापस भेज देता .
    बात साफ है आज नेताओं का आचरण टॉयलिट से भी गंदा है .
    टॉयलट तो फिर भी साफ़ कर लिया जाएगा .असीम त्रिवेदी ने कसाब को अपने कार्टून में संविधान के मुंह पे मूतता हुआ दिखाया है उसे नेताओं के मुंह पे मूतता हुआ दिखाना चाहिए था .ये उसकी गरिमा थी उसने ऐसा नहीं किया .
    सरकार किस किसको रोकेगी .आज पूरा भारत धर्मी समाज असीम त्रिवेदी के साथ खड़ा है ,देश में विदेश में ,असीम त्रिवेदी भारतीय विचार से जुड़ें हैं .और भारतीय विचार के कार्टून इन वक्र मुखी रक्त रंगी लेफ्टियों को रास नहीं आते इसलिए उसकी शिकायत कर दी .इस देश की भयभीत पुलिस ने उसे गिरिफ्तार कर लिया .श्रीमान न्यायालय ने उसे पुलिस रिमांड पे भेज दिया .
    देश की तो अवधारणा ही खत्म कर दी है इस सरकार ने .

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  4. अपने-अपने माप से नाप रहे हैं देश।
    भेद-भाव के साथ में, बिगड़ रहा परिवेश।।

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  5. ये जो कर रहे हैं कर ही रहे हैं
    जो इनको डिफेण्ड कर रहे हैं
    उनको कोई भी तो नहीं कहीं
    हम आप सस्पेंड कर रहे हैं !!

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