"शीला दीक्षित और काँग्रेस सत्ता पाने के लिए कितना झूठ बोल सकती है वो खुद आप ही देखिये सायद काँग्रेस को अब सत्ता का एक ऐसा नशा हो गया है, जैसे किसी "चरसी को चरस" का बिना चरस लिए चरसी को चैन नहीं आता है और अगर उसके पास पैसे न हो तो वो कुछ भी करता है मगर चरस तो लेता ही है बिलकुल वैसा ही काँग्रेस पार्टी सत्ता पाने के लिए कर रही है और किया भी था "दिल्ली चुनाव के वक़्त " ये मै नहीं मगर एक "आरटीआई"कहे रही है |"
* ये योजना क्या थी ?
" सुनीता भारद्वाज द्वारा दाखल की गयी "आरटीआई" ने दिल्ली की शीला दीक्षित सरकार को झुका ही दिया है बात उन दिनो की है जब दिल्ली मे 2008 का चुनाव था और चुनाव के वक़्त बड़े ज़ोर शोर से शीला दीक्षित ने " राजीव रत्न आवास योजना" की घोषणा की थी और जिसे कहा गया था " सच होगा सपना जब होगा एक घर अपना " जिस मे कहा गया गया था की जिन परिवार की वार्षिक इन्कम 60000 है और जिन लोगो के पास घर नहीं है और जो लोग दिल्ली मे पिछले 10 साल से रहते है उनको सरकार देगी एक घर वो भी आपको तो सिर्फ 60000 हजार ही भरने है और पा सकते है आप " राजीव रत्न आवास योजना" के अंतर्गत खुद का मकान | "
* शीला दीक्षित के झूठे वादे और बटोरे पैसे
" आरटीआई " के रिपोर्ट की बात करने से पहले आपको बता दु की शीला दीक्षित ने उस वक़्त हर मीडिया मुलाक़ात मे ये ज़ोर शोर से कहा था की " 50000 मकान की जगह हमारी सरकार ने 60000 हजार मकान तैयार किए है" और देखनेवाली बात ये है की शीला दीक्षित के कहने के मुताबिक अगर मकान तैयार किए गए है तो आजतक किसिकों क्यू मकान नहीं मिला है ?और आगे शीला दीक्षित ने कहा था की "हमारी सरकार 2012 तक 4 लाख मकान तैयार हो जाएंगे और वो मकान गरीबो को दिये जाएंगे और आपको सिर्फ 60000 हजार रुपये भरने है बाकी 1 लाख की सहाय आपको केंद्र की काँग्रेस सरकार करेगी और आपकी बाकी रक्कम दिल्ली के काँग्रेस सरकार भर देगी " ऐसा कहेकर प्रति फोरम 100 रुपये लेकर फॉर्म भरवाये गए थे और उस वक़्त 2 लाख 63 हजार फॉर्म उन्होने भरे थे गरीबो से 100 रुपये लेकर के याने आप हिसाब लगाए 26300000 रुपये उन्होने झूठ बोलकर बटोरे |"
* सुनीता ने खोली थी पोल
" 2008 से लेकर अब तो 2012 आ गयी मगर किसी को मकान नहीं मिला है आजतक और मिलेगा भी कैसे मकान बने ही नहीं है और न ही सरकार की कोई ऐसी योजना भी है और इस बात का खुलासा हुवा सुनीता भारद्वाज द्वारा लगाई गयी एक "आरटीआई " से आइये देखते है "आरटीआई" ने क्या कहा ? "
* वो "आरटीआई" क्या थी ?
" जब सुनीता ने "आरटीआई" से जवाब मांगा तो दिल्ली के लोकायुक्त " जस्टिस मनमोहन सरीन "ने अर्जी नंबर सी-244/लोक/2009 जिसकी तारीख थी 12/11/2009 के तहत ये कहेकर जवाब दिया की " इतनी जमीन ही नहीं है तो सरकार मकान कहाँ बनाएगी ? "लोकयुक्त ने आगे ये भी कहा की रजिस्ट्रेशन एक्ट 1985 के तहत सरकार गरीब लोगो को मकान दे सकती है मगर जूठे वादे कर नहीं सकती जब की सरकार के पास सिर्फ 9439 मकान ही बन सके उतनी ही जमीन है और वो जमीन सरकार हस्तक भी है तो फिर जब पर्याप्त जमीन ही नहीं है सरकार के पास और जहां 9439 मकान बन सकते है वहाँ सरकार ऐसा कैसे बोल सकती है की 60000 मकान तैयार हो चुके है ? या तैयार करेंगे अगर 60000 हजार मकान बनाने के लिए भी पर्याप्त जमीन सरकार के पास नहीं है तो वो कैसे कहे सकती है की 4 लाख मकान 2012 तक बन जाएंगे गरीबो के लिए ....ये तो गरीबो की गरीबी का सरासर मज़ाक ही उड़ाया |"शीला दीक्षित सरकार को फटकारते हुवे आगे कहा गया है की "शीला दीक्षित सरकार झूठ बोलती है और गरीबो को सपने दिखाकर चुनाव जीतने मे ही मानती है |"
* लोकयुक्त ने पूछा ये 100 का चक्कर क्या है ?
" लोकयुक्त के द्वारा जब शीला दीक्षित सरकार से लोगो के पास से 100 रुपये प्रति फॉर्म लेने के बारे मे पूछा गया तो देखिये शीला दीक्षित सरकार ने कितना झूठ बोला था उसने कहा था की " 100 रुपये प्रति फॉर्म तो हमने दिल्ली मे बसनेवाले गरीबो की गिनती के लिए लिये हुवे थे " याने 26300000 रुपये बटोरे ,तो क्या गरीबो की संख्या कितनी है उसकी जानकारी भी सरकार के पास नहीं है जो उन्हे गरीबो से ही पैसे लेकर गिनती करनी पड़ी ? "
* शीला दीक्षित ने किया कबूल :
" शीला दीक्षित ने किया कबूल एक एफ़िडेविट के जरिये की " उनके पास 60000 हजार मकान तो नहीं है गरीबो के देने के लिये क्यू की उतनी जमीन नहीं है फिलहाल सरकार के पास सिर्फ 9436 फ्लेट ही उपलब्ध है जो सरकार गरीबो को दे सकती है " राजीव रत्न आवास योजना " के तहत ...अब आप खुद ही देख लीजिये एक तरफ काँग्रेस सरकार मकान देने का वादा करती है और चुनाव जीतने के बाद एफ़िडेविट के जरिये कहेती की पर्याप्त जमीन नहीं है हम मकान नहीं दे सकते है जब 60000 हजार मकान भी नहीं तो 4 लाख मकान 2012 तक बन जाएंगे कहेकर गरीबो को सपने दीखानेवाली ऐसी सरकार के बारे मे आपका क्या खयाल है ?
इस ब्लॉग मे पढ़ने लायक :
कोंग्रेसी नेता को पड़े जूते ( अमेरिका मे )
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