" अन्याय को न्याय" में परिवर्तित करता है मीडिया मग़र जिस तरह से इस देश में फिलहाल हो रहा है उसे देख कर लग रहा है की "न्याय को अन्याय "में परिवर्तित करता है मीडिया ..आज देश की इस चौथी जागीर को बाजारू स्वरुप दे दिया गया है और उस स्वरुप को कहते है "टी आर पी " ..मग़र इस "टी आर पी" के साथ भी कुछ और ऐसे तत्व जुड़े हुवे है, जो तत्व देश की जनता को असलियत क्या है उसे बखूबी छुपाते है और इस कार्य में उनका अद्भूत साथ देती है हमारी इस देश की "चौथी जागीर "...। "
" आज मीडिया का केमेरा से लेकर जब कलम भी बिकी हुई है तभी देश की ये दुर्दशा है,जिसे आप.. मै ..और देश की जनता भली भांति जानती है दरअसल देखा जाये तो जितने गुनेहगार हमारे नेता है उस से कई गुना ज्यादा गुनेहगार ये मीडिया भी तो है ,क्यु अगर वक़्त वक़्त पर वो असलियत जनता को बता देती तो आज देश की ये हालात ना होती और नहीं संविधान के रखवाले कानून से लेकर मीडिया का दुरुपयोग करते ..बचपन में मैंने कठपुतलियों का खेल देखा था और उसे एक खेल समजकर भूल भी गया था मै मग़र आज बचपन में देखि कठपुतलियों में मुझे मीडिया नजर आता है जिसकी डोर बंधी हुई है कई बड़े बड़े नेता के हाथो में |"
" राजस्थान में सरे आम क़त्ल हो रहा था और बिकाऊ मीडिया नरेन्द्र मोदी के पीछे पड़ा था ..क्यु भाई ? क्या मीडिया की नजर में आज भी लोगों की जान से नरेन्द्र मोदी अहेम है ? या फिर मीडिया के आकाओं ने कहा था की "वो कत्ले आम मत दिखाना ? " ..अगर मीडिया वो दंगा फसाद दिखाती तो कुछ तो जाने जरूर बचती मग़र मीडिया के आका नहीं चाहते थे की कांग्रेस की सरकार पर ये कलंक लगे ...मीडिया ने जिस तरह से वो वारदात को नजर अंदाज किया उसीसे तो ये लगता है की ऐसा ही कहा होगा ..किसी एक पक्ष की सरकार को बचने के लिए लोगो की जाने दाव पर लगा देते है ,क्या मीडिया का फर्ज सिर्फ सरकार को बचाना ही है ? ...नरेन्द्र मोदी टोपी ना पहने तो बड़ा न्यूज़ बन जाता है मग़र जहाँ लोगो को सरेआम काटा जाता है उसकी भनक तक नहीं पहुँचने देते है ...क्या बात है ..शायद टोपी बड़ी होती है और लोगों की जान की कीमत छोटी होती है ..ऐसा ही ना ? "
" अन्ना हजारे के आन्दोलन के वक़्त जब आमिर खान ने गाँधी टोपी नहीं पहेनी तब कहाँ गए थे ये मीडियावाले जो आज इतने उछल रहे है ? धर्म के नाम पर लड़वाने का बंद करो और सच्चाई का दर्शन जनता को करवाओ ,आज जो भी इस देश में हो रहा है उसके जिम्मेदार ये "मीडिया और कानून" है ..माना की कानून के आँख पर पट्टी होती है मग़र मीडिया की आँख भी खुली है और केमेरा भी ..फिर भी उनको वो नज़ारे नहीं दिखाई देते है जहाँ पर धर्म के नाम पर लड़ाई होती है और फिर भी इस देश के बुद्धिजीवी मीडिया के इस करतूत को नहीं देखते है और कहते है नरेन्द्र मोदी ने टोपी नहीं पहेनी..नहीं पहेनी तो बुराई क्या है भाई ..आमिर खान ने भी तो यही किया था ...भारत के उपराष्ट्रपति श्री हामिद अंसारी जी ने भी तो यही किया था याद हैना "दशेरा "का दिन ..भाई जिसका जैसा मजहब ..क्यु टोपी को मजहब से जोड़कर लोगों के दिल में मजहब की गहेराई बढा रहे हो ? "
" अब तो कोर्ट ने भी कहा है की मिडिया स्टिंग ओपरेशन कर सकती है ..तो फिर दम है तो करो किसी बड़े नेता के काले करतूत का पर्दाफाश ..ये मजहब के नाम पर लडवाना बंद करो वैसे भी मीडिया के बदोलत ही जनता आज महेंगाई और भ्रस्टाचार का सामना कर रही है क्यु की उनको सच्चाई पता ही नहीं चलती है की हमारे द्वारा चुने हुवे नेता हमारे साथ क्या खेल खेल रहे है , जनता को गुमराह क्यु कर रहा है ये मीडिया ? कालेधन के मुद्दे को सभी ने दबा दिया मग़र "रशिया और चीन" ने अपनी जनता को लिखित में दिया की पैसा वापस लायेंगे और उसे " बाबा रामदेव इफेक्ट"भी बताया है ..स्विस बैंक से अरबो रुपये बाबा रामदेव के आन्दोलन बाद ट्रांसफर हुवे और स्विस सरकार ने भी कहा की " बाबा रामदेव से हमारी इकोनोमी को खतरा है " ..मग़र इस देश की जनता का नसीब तो देखो यहाँ की मीडिया ही जनता को सपोर्ट नहीं कर रही है |"
" स्वित्ज़र्लेंद के एक मेगेजिन ने तस्वीरों के साथ ये बात कही की राजीव गाँधी का कला धन स्विस बैंक में मौजूद है फिर भी किसी भारतीय मीडिया ने इस खबर को लोगो तक पहुँचाया ..नहीं ..क्यु ? क्यु की शायद ये मीडिया बिकी हुई है जो सच्चाई को छुपा देती है और जनता का ध्यान दूसरी जगह बटोर देती है अगर यही मीडिया सही जगह पर अपना ध्यान रखे और जनता को हर वो सच बात से अवगत कराये तो किसी की मजाल नहीं की इस देश में घोटाले हो ॥|"
" मै जनता हु की मेरा ये आलेख पढ़कर कई बुद्धिजीवी लोग आयेंगे और सलाह देंगे की मीडिया का दोष नहीं ...सरकार का दोष नहीं ...तो फिर दोष किसका था ? ...राजस्थान के दंगो में मारे जानेवाले उन गरीबों का ? ..गांधारी जैसी अपनी आँखों पर पट्टी मत बांधो ..मेरे भारतवासियों और देखो ..सोचो की आपके साथ कौनसा खेल खेला जा रहा है ..मत बैठो "गांधारी" जैसे पट्टी बांधे, नहीं तो शायद बड़ी महाभारत आपका ,मेरा हम सब का इंतज़ार करती होगी ..ये तय है ॥|"
" मैंने वही कहा है जो मुझे दिखा है शायद आपको भी यही दिखा होगा फिर चाहे वो हिन्दू हो या मुसलमान इस लिए सभी बुद्धिजीवी मेरे भाई बहेनो को मै गुजारिश करता हु की कुछ भी कहने से पहले आप महेरबानी करके आपकी आँखों पर जो "गांधारी पटी "बंधी हुई है उसे उतारे और फिर सलाह दे ..आपकी हर सलाह मेरे लिए भी कीमती बनेगी और देश के लिए भी ..एक बार आँख पर से पट्टी उतार के तो देखो | "
पढ़िए मेरा इसी विषय पर पुराना आलेख :
" मीडिया : कलम जहाँ बिकती है "
प्रभावी प्रस्तुति , आभार.
ReplyDeleteकृपया मेरे ब्लॉग पर भी पधारने का कष्ट करें.
मीडिया किसके हाथों बिका है ये जग हाजिर है अब ... कांग्रेस की पोल अब खुल चुकी है सबके सामने ...
ReplyDelete.
ReplyDeleteअंग्रेज अंग्रेजी छोड़ गए,
गांधारी पट्टी छोड़ गयीं ।
और राजीव सोनिया छोड़ गए।
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बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDelete--
यहाँ पर ब्रॉडबैंड की कोई केबिल खराब हो गई है इसलिए नेट की स्पीड बहत स्लो है।
सुना है बैंगलौर से केबिल लेकर तकनीनिशियन आयेंगे तभी नेट सही चलेगा।
तब तक जितने ब्लॉग खुलेंगे उन पर तो धीरे-धीरे जाऊँगा ही!
Satyam Shvam Sunderm
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