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Wednesday, April 14, 2010

क्या इस देश में जवानों का खून बहुत सस्ता है ?

" शायद इस देश में जवानों का खून बहुत सस्ता है ,आतंकवाद और नक्शलवाद के खिलाफ लड़ने वाले इन बहादुर जवानों के हाथों में बन्दुक तो है मगर आर्डर नहीं है |नक्शलवादी और आतंकवादियों की गोली सीने में खा कर देश के लिए जान देनेवाले " जवान " और "एस.आर.पी" के लिए सरकार के पास सिर्फ दुःख भरे अल्फाज़ है ,मगर कोई ठोश कदम नहीं है |"

" कहा जाता है की भारत याने " सोने की चिड़ियाँ "है , मगर जरा देखो इस देश को नोच नौच कर खानेवाले अपने राजनेता के पास आतंकवाद और नक्शल्वाद से निपटने के लिए शायद वक़्त नहीं है ...सिर्फ इसीलिए ही हम " हेडली ,राणा,मुंबई हमलावेर और ये नक्शलवाद का हम बाल भी बांका नहीं कर सकते है |"

" हमारे राजनेताओं को डर है ,अमरीका का | ये वही अमरीका है जिसने अमरीका से दूर इराक पर हमला बोल दिया था ...और उस हमले की वजह हम सब अच्छी तरह जानते है |अमरीका अपने देश के गुन्हेगारोँ को कभी छोडता नहीं है और भारत को शांति पूर्वक मसला हल करने को क्यों कहेता है ?एक अमेरिकेन नागरिक के हत्या के जुर्म में अमेरिका " आतंकवादियों को नहीं छोडता है और उस पर कड़ी से कड़ी सजा भरी कार्यवाही आरंम्भ करता है ....तो फिर हमारे देश में शेंकडो भारतीय नागरिकों की मौत होती है " आतंकवाद" से उसका क्या करैं ? अमरीका का एक आदमी " आतंकवाद " का भोग बनता है तो आतंकी के खिलाफ कड़ी कार्यवाही करता है अमेरिका तो फिर ऐसे मक्कार अमरीका का हम क्यों सुने ? क्या अमेरिका पुरे विश्व का कोतवाल है ?"

"पोखरण परीक्षण" के बाद अमेरिका ने हम पर प्रतिबन्ध लादे थे मगर इस प्रतिबन्ध का फायदा भारत को ही हुवा था और नुकशान हुवा था अमेरिका का ...जब ये बात उन्हें पता चली तो उन्होंने भारत पर से प्रतिबन्ध उठा लिए , ये बात से एक बात साबित होती है की हमें अमेरिका की जरुरत नहीं है मगर अमेरिका को हमारी जरुरत है| जब भारतसे बात करता है अमेरिका तब," पाकिस्तान को कोई मदद नहीं करेंगे हम" ,ये बात बार बार दोहरा कर कहते है की " पाकिस्तान आतंकवाद और पाकिस्तान में चल रहे आतंकी ट्रेनिंग कैंप बंध करे इस विधान के कुछ ही दिनों के बाद अमेरिका पाकिस्तान से शस्त्रों का सौदा करता है ,ये तो अब आम बात बन गयी है और ये बात हमारे नेता लोग भी जानते है मगर डरपोक कही के ..अमेरिका के मुहँ पर ये बात नहीं कर सकते है की "आतंकवाद की वजह से हजारों की संख्या में मरने वाले लोग हमारे भारतवाशी है ..अब बहुत हो गया |"

"खैर ...बात हो रही थी आतंकी और नक्ष्लवाद की ..अभी कुछ दिन पहले जब नक्ष्लवादियों ने कुछ लोगो को मार गिराया तब ..भारत के मिनिस्टर "पी .चिदम्बरम " ने कहा था की " मै उनसे वार्तालाप करूँगा "..भैया ...आप वार्तालाप की बात करते रहो और नक्शली आपके वार्ता लाप के टेबल पर ..लाशों का ढेर लगाते रहेंगे क्यों की नक्शली लातों के भुत है बातों से नहीं मानेंगे " और भेज दिए हमारे वीर " एश आर पी " जवानों के लाशों के ढेर ..लो करो "वार्तालाप"|"

" विरोध करने के और भी तरीके है ..अगर ये बात समजाने से भी नहीं समजते है नक्शली तो महेरबानी करके नक्शली को "एल.टी. टी . " बन ने मत दो , इस देश के जवानों का खून इतना सस्ता नहीं है ये उन्हें दिखा दो |"

" और हाँ ,इस देश में फैशन है और आगे से चली आती है की " पहले मिनिस्टर बनो ...फिर सिर्फ रिश्वत खाओ .....और जब देश में कोई बड़ा हाशा बन जाये तो, उस हाशे की सारी जिम्मेदारी अपने सर पर लेकर हीरो बन जाओ , क्यों की ये नेता लोग जानते है की यहाँ पर ऐसा कानून नहीं है इस देश में की कोई उन्हें पुछ सके की ऐसी गलती हुई कैसे की हजारों की जान गयी ...या सेंकडो की जान गयी |"

" शायद इस देश में जवानों का खून बहुत ही सस्ता है..... "

8 comments:

  1. ये नेता लोग जानते है की यहाँ पर ऐसा कानून नहीं है इस देश में की कोई उन्हें पुछ सके की ऐसी गलती हुई कैसे की हजारों की जान गयी ...या सेंकडो की जान गयी- यही वजह हो कि आराम से जिम्मेदारी ले लेते है.

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  2. विचारणीय लेख ......दरअसल हर हादसे का शिकार एक आम आदमी होता है .....इस दर्द को भला राजनेता कैसे समझेंगे ,

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  3. दादा.. हम आजतक जो भी फैसले करते हैं.. अमेरिका को कोतवाल समझकर ही तो करते हैं.. अंग्रेज़ों ने हमें गुलामी की ऐसी आदत डाल दी है, कि हम आज भी हर फैसले के लिए उनका ही मुंह ताकते हैं.. भला हो देश का..

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  4. झंझोड़ देने वाली पोस्ट ...

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  5. आपने बिल्कुल सही कहा है है और मैं आपकी बातों से पूरी तरह सहमत हूँ! हमारे देश में जिस तरह से आतंक फ़ैल रहा है उसे देखकर बेहद अफ़सोस होता है और इस आतंकवादी हमले में मासूम लोगों की जान चली जाती है! अमरीका की बात को गौर न करके अपने देश की हिफाज़त करने के लिए हम सबको सोचना चाहिए! पर हमारे देश के नेता अपना स्वार्थ देखते हैं और बड़ी बड़ी बातें कहते हैं पर किसी भी काम को अंजाम देने में असफल हैं! हमारे देश की प्रगति तभी हो सकती है जब हम सब मिलजुलकर हर मसले को सुलझाये!

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  6. सुलझाने में देर करने से समस्‍याएं बढती ही हैं .. पर इस बात को हमारे राजनेता समझे तब न !!

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  7. bilkul hi sachh kaha aapne...
    yeh baat hamare neta shayad kabhi nahi samjhenge ki desh ke liye jaan dena kya hota hai.....
    regards
    shekhar
    http://i555.blogspot.com/

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  8. आपके विचारों से अवगत हुआ -शुक्रिया !

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