" तेरे ख़त का इंतज़ार करते करते ,
बीत गया हर लम्हा ,
न तेरा "ख़त" आया ,न कम्बक्त "कासिद" आया ,
ये " कफ़न" न जाने कहाँ से आया ,
आज भी ओढ़े सोया हु " कफ़न" ,
ख़त के इंतज़ार में |"
waah ji waah behatrin dil ko choo gayee aapki ye rachna kuchh beete jamane ka yaad aa gaya
लाज़वाब
कफन के साये मे इंतजार क्या कहने
वाह !!
बहुत खूब!
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चंद लाइनों में गहरी बात ... कविता लाजवाब हैं .
bahut sunder aur laajawaab kavita...
bahut badiya... behtarin...
बहुत ही गहरे भाव के साथ आपने बड़े ही सुन्दरता से प्रस्तुत किया है! हर एक शब्द दिल को छू गयी! उम्दा रचना!
Stop Terrorism and be a human
waah ji waah behatrin dil ko choo gayee aapki ye rachna kuchh beete jamane ka yaad aa gaya
ReplyDeleteलाज़वाब
ReplyDeleteकफन के साये मे इंतजार क्या कहने
ReplyDeleteवाह !!
ReplyDeleteबहुत खूब!
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ReplyDeleteचंद लाइनों में गहरी बात ... कविता लाजवाब हैं .
ReplyDeletebahut sunder aur laajawaab kavita...
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ReplyDeleteबहुत ही गहरे भाव के साथ आपने बड़े ही सुन्दरता से प्रस्तुत किया है! हर एक शब्द दिल को छू गयी! उम्दा रचना!
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