देश की असली सच्चाई ये रही :
* ४६००००००० लोग भरपेट खाना नहीं खा सकते है
* २४००००००० आदमी भूखे रहते है
* ५००० बच्चे रोज मरते है सिर्फ अच्छा भोजन ना मिलने पर
* १९९१ में भूख से मरनेवालो का अंक था २१ करोड़
* ५२५००००००००० रुपयों की सब्सिडी भारत सरकार अनाज पर देती है मगर ये जाती कहाँ है ?
* सरकार का झूठ और भारत में बढ़ती भुखमरी का सच आप जान सकते है विश्व प्रसिद्द "यूनिसेफ " संस्था की वेब साईट पर
ऐसे में कांग्रेस सरकार की ७००० करोड़ के मोबाईल फोन योजना कितनी सही है और कितनी गलत है ये आप ही बताये ?
* ये राजनीती क्या सही है ?
" करोडो गरीबो के मुंह पर कांग्रेस सरकार का और एक तमाचा ,करोडो गरीबो को २८ रुपये में अमीर बनानेवाली सरकार अब उन गरीबो की भूख को मोबाईल फोन देकर भूखे गरीबो की भूख मीटानेवाली है ७००० करोड़ का बजेट का ये प्रोजेक्ट दरअसल है वोट की राजनीती मगर क्या ये मोबाईल योजना से भूखे गरीबो का पेट भरेगा ? "
* हालात में सुधर क्यों नहीं ?
" वैश्विक संस्था " यूनिसेफ" के मुताबिक भारत में भूख से मरनेवालो की संख्या बढ़ रही है ऐसे में ७००० करोड़ की मोबाईल फोन जैसी योजना बनाना कितना उचित है कही ये योजना बनाकर गरीबो का फिर से मजाक तो नहीं उडा रही है ना सरकार ? अगर नहीं तो फिर भी जब देश में गरीबी का दर बढ़ रहा है तब सरकार को कोई ठोस कदम उठाने चाहिए ना ही ऐसी बेकार योजना पर ७००० करोड़ जैसी रकम को बर्बाद करना चाहिए अगर यही ७००० करोड़ देश के गरीब वर्ग के पीछे इस्तेमाल किये जाये तो यक़ीनन ही देश के गरीबो की हालात में सुधर आ सकता है | "
* हर गरीब आदमी बहुत ही सस्ता हो गया है | "
* गरीब की क्रांति ही बदल देती है किस्मत
" कमाल का देश है, इस देश में गरीब को रोटी की भूख है और नेता को वोट की भूख है और ये भूख कभी मिटेगी भी नहीं क्यों की इस देश की राजनीती "गरीबी " पर ही तो चलती है ...घर में आटा ..दाल ..चावल का ठिकाना नहीं और गरीबो के हाथ में मोबाईल देना चाहती है ये सरकार ..ये कैसी राजनीती है भाई ? और ऐसी गन्दी राजनीती को कोई बदल नहीं सकता सीवा इस देश के "गरीब" ..जिस दिन ..जिस दिन इस देश का गरीब सरकार से सवाल करना सीख जायेगा की " क्या ये तुम्हारा मोबाईल मेरी भूख मिटा सकेगा ? उस दिन समज लेना की एक क्रांति की शुरुवात इस देश में हो चुकी है ..और वही क्रांति इस देश की किस्मत को बदल देगी |"
* रोटी से ज्यादा कीमती है मोबाईल
" इस देश में गरीब कटते है, गरीब ही मिटते है और गरीब ही भूख से तडपकर मरते है क्यों की गरीब बहुत ही सस्ता है गरीबो का पेट काटकर गरीबो के हाथ में मोबाईल का खिलौना देनेवाली सरकार आखिर ये ७००० करोड़ लाएगी कहाँ से ? जब की उसके पास तो पानी में भीगते गेंहू के लिए बोरियां खरीदने के भी पैसे नहीं है तब ७००० करोड़ आयेंगे कहाँ से भाई ? तो गरीबो की जेब काटकर ," यूनिसेफ" का सच्चा आंकड़ा छुपाकर सरकार फिर से एक बार गरीबो को मोबाईल देकर बेवकूफ बना रही है |"
* संविधान आखिर है क्या ?
" क्या भारत के संविधान में गरीब के लिए रोटी से भी ज्यादा कीमती है मोबाईल फोन ? भूख से तडपने हर आदमी के पास मोबाईल तो होगा मगर उस गरीब आदमी के पेट में अनाज का दाना भी नहीं होगा ऐसे में वो मोबाईल का क्या करेगा ? ...सायद २८ रुपये वाले अमीर के हाथ में मोबाईल भी होना जरूरी है | " ऊपर दिए गए आंकड़े सही है या गलत इसके लिए आप खुद ही यहाँ जाकर देख लीजिये ..ये रही यूनिसेफ की वेब साईट
http://www.ifpri.org
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ये भगतसिंह कौन है बे ?
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हमारी मर्जी कौन पूछ रहा है
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