Tuesday, August 16, 2011
" हाक थू ..मुजरेवाली इस पुलिश पर | "
* मुजरेवाली और दिल्ही पुलिश ..कोई फर्क नहीं है
" दिल्ही पुलिश याने वो " मुजरेवाली " है, जिसे सरकार जब चाहे मुजरा करवा सकती है ,आम आदमी के लिए " संविधान " की हर बात लागु पड़ती है मग़र उन हरामखोर और जिन पर कई संगीन गुनाहों के आरोप लगे हुवे है ऐसी " सरकार " और उनके "सांसद "पर इस देश का " संविधान " नहीं लगा सकती है दिल्ही पुलिश ..शायद कानून की सभी धाराए और सभी सेक्शन " आम आदमी " के लिए ही बने है उन सांसदों के लिए नहीं जिन पर कई संगीन जुर्म दर्ज है|"
* वफ़ादारी ..कुत्ता और धोखा |
" देश भर में जब " श्री अन्ना हजारे जी की घरपकड़ का विरोध हो रहा है तब बेशर्म दिल्ही पुलिश अपने " आकाओं " का साथ दे रही है याने उन भ्रस्टाचारीयों का साथ दे रही है जिन्होंने इस देश के हर आम आदमी के साथ धोखा करके " भ्रस्टाचार " किया है ..क्या भ्रस्टाचारी सांसद दिल्ही पुलिश की नजर में बेगुनाह है ? शायद दिल्ही पुलिश भी वफादार कुत्ते की तरह अपनी वफ़ादारी ..दाऊद इब्राहीम और गोरे अंग्रेज से भी ज्यादा खतरनाक गुनेहगार इस "सरकार" से दिखा रही है ... जिस सरकार को सिर्फ तानाशाही करनी ही आती है ..जो भ्रस्टाचारी होते हुवे भी सरकार को भ्रस्टाचारी कहनेवालों पर लाठिय और जेल देती हो उस सरकार की तरफदारी क्यों कर रही है ये पुलिश ...क्या दिल्ही पुलिश गुलाम बन गई है ? "
* झूठ की बुनियाद ... और हद है पुलिश की
" बाबा रामदेव , पर लाठियां बरसानेवाली पुलिश ने ये नहीं सोचा था की शांतिपूर्वक और सही मुद्दे पर कर रहे प्रदशनकारियों लाठियां चलन कितना सही है और कितना गलत जब की बाबा रामदेव का मुद्दा पुरे देशवाशियों के हित ही था ..भ्रस्टाचार करके जो धन विदेशों की बैंक में जमा किया गया है उसकी तपास करना भी क्या पुलिश का काम नहीं है ? ..शायद नहीं है उनका काम क्यों की यहाँ पर भी दिल्ही पुलिश ने दिल्ही में बैठे उनके आकाओं की ही बात सुनी थी ...क्यों की उनके आका ..वही कालेधन के मुद्दे में कही फस ना जाये ..क्या इसी को कहते है " संविधान " और "सेक्शन " ? "
* मुजरेवाला कानून भी यही चाहता है |
" पुलिश भी यही चाहती है शायद की देशवासी उनके आकाओं के द्वारा हो रही " बैमानी ,भ्रस्टाचार ,झूठ ,और हर गुनाह चुप चाप सहेति रहे ...शायद दिल्ही पुलिश के " सेक्शन " में झूठे , मक्कार,बिमान ,और गुनेहगार सांसदों ,और इस कमीनी सरकार को बचाने का ही लिखा है ..तो याद रहे जिस दिन जनता जनार्दन " कानून " को हाथ में लेकर " कानून के रखवालों " को "असली संविधान "सम्जाएगी उस दिन शायद ये " मुजरेवाले कानून " को संविधान की और भी कलमे मालूम पड़ेगी और अगर ऐसे ही होता रहा तो शायद वो दिन भी दूर नहीं है की जनता जनार्दन कानून को अपने हाथ में ले | "
* " मुजरेवालो कान खोलकर सुन लो | "
" इस देश की हर गली , हर बस्ती , हर गाँव और हर घर में एक " अन्ना हजारे " और एक "भगत सिंह " रहते है ..जिस दिन "भगत सिंह " रस्ते पर आ गए उस दिन आपका ये " मुजरा "भी छुट जायेगा और आपके आकाओं का आकापन भी ..मत आने दो उस "भगत सिंह" को रस्ते पर वर्ना आपका तो क्या आपके आकाओं का भी अस्तित्व मिट जायेगा ..याद है ना मिस्त्र की क्रांति ... ? "
श्री अन्ना हजारे जी सही है और कड़क "जन लोकपाल " आना ही चाहिए ..प्रंत प्रधान से लेकर सभी सरकारी कर्मचारी इस कायदे के तले आने ही चाहिए ... पढने वालो आप सब क्या कहते हो कड़क "जन लोकपाल " आना चाहिए की नहीं ?
जय हिंद .... जय हिंद ....जय हिंद
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नहीं आना चाहिए। इसमें (,) इसे लगा लो जहां पर उचित समझो।
ReplyDeleteआना चाहिये...इसमें क्या शक है भला...
ReplyDeleteअविनाश सर का भी जवाब नहीं .... क्या शानदार बात कही है उन्होंने ... भाई ( , ) इस चिन्ह का प्रयोग तो वाक्य में करो आप.. देखो तो सही ...मजा आएगा ..और जवाब भी मिल जायेगा
ReplyDeleteसुक्रिया गुरुदेव ... कोई शक नहीं है इस में
ReplyDeleteआज रोने से चील्लाने रास्ते पर धरना धरने से कुछ नही होगा. हमने गये ६५ साल में मतदान करते वक्त जो पाप कीया उसका ही यह फल है. आपने-हमने भ्रष्ट्र तरीका अपनाते हुवे मतदान कीया, फिर किस मुह से हम भ्रष्ट्राचार के खिलाफ आवाज उठायेगे. कभी धर्म मजहब के नाम कभी जात-पात देखकर कभी पैसा लेकर, कभी नेता पर अंध विश्वास रखकर, कभी एक शराब की बाटल तो कभी शबाब बदले में तो कभी भाषावाद के आड़ में , कभी तो कीसी गल्ली में मंदिर बनवाने के बदले तो कभी कंही मस्जिद बनवाने के बदले तो कभी यात्रा के बदले सौदा करते हुवे गलत आदमी को चुन के देते है. . हमने विष बोया उसे अमृत लगे ये अपेक्षा करना ही गलत है. हम गुलाम थे हम आझादी में रहने के लायक नही और भविष्य में गुलाम ही रहने के लायक है.
ReplyDeleteआदमी से गलती एक बार हो सकती और उसे प्रथम गलती की वजह माफ़ भी कीया जाता है. हमको हर ५ साल के बाद गलती दुरुस्त करने के कई मौके मिले फिर भी बेवकूफों जैसी वही गलती हर बार करते रहे . १०० में से ४०-४५ टक्के नागरिक तो मतदान करते ही नही. वो सीधे कंही मंदिर कंही मस्जिद कंही दर्शन करने बाहर निकल जाते है जैसे ये भगवान उनकी सब मुसीबते दूर करेगा. और बाकी जो करते है वो कंहा इमानदारीसे मतदान करते है.
ham jo bote hain, wahi kaatenge... main ye sochta hoon ki angrejon ke samay kaise halat rahe honge..
ReplyDeleteपापो का फल या बेवकूफी या फिर () नेताओं की बांटो ओर राज करों की नीति. शायद इसमें बाँरवर बूटांन महोदय का कथन ज्यादा सटीक है कि जहाँ 6 अर्थशास्त्री मिलते है वहां 7 मत होते है. यानी की बुद्धिमानी की पहचान ही यही है कि कभी किसी की माने मत बल्कि अपना हमेशा अपना एक मत रखो.
ReplyDeleteबिलकुल कड़क जन लोकपाल आना चाहिए| यह तो एक शुरुआत है| इसके बाद भ्रष्टाचार के विरुद्ध लड़ना और सरल हो जाएगा|
ReplyDeleteअविनाश वाचपस्ती जी का जवाब बेहद शानदार लगा...
सही मुद्दे को लेकर आपने शानदार रूप से प्रस्तुत किया है! उम्मीद है की हमारा देश हर कदम में आगे रहेगा और भ्रष्टाचार जल्द ही ख़त्म हो जायेगा!
ReplyDeleteभ्रष्टाचार के खिलाफ ...जंग छिड़ गई ....अब सरकार हार के रहेगी .
ReplyDeleteठनठनपाल जी , उम्दा कमेन्ट के लिए तहे दिल से सुक्रिया ..मगर जो गलती हुई है उसे सुधरने का क्या अब वक़्त नहीं आया है ? ... या फिर अगर हम इसी तरह गलती हुई है ..गलती हुई है कहते रहेंगे तो मेरे ख्याल से और भी हालात बिगड़ते जायेंगे ..आओ हमने ..आपने ...हम सब ने की हुई गलती को सुधारे ..सायद अब वक़्त आ गया है | "
ReplyDeleteबबली , सायद इसी कदम से भारत बनेगा मजबूत ...कांग्रेस के नारे से तो भारत की हालत बहुत ही ख़राब बन गयी थी ..आओ अन्ना हजारे जी का समर्थन करे ...और कड़क लोकपाल को लाये | "
ReplyDeleteअजित कुमार सर ... ये सही है की कभी किसी का मानना नहीं चाहिए ..मगर जब देश पर विपदा आन पड़ती है और जब देशवासियों के लिए एक बुजुर्ग इंसान जब जंग छेड़ता है ...तब उनका समर्थन देने में हम लोगों को सायद कोई हर्ज नहीं होना चाहिए ... क्यों की ये लड़ाई जब देश के कोई युवा नहीं लड़ सके है तब एक बुजुर्ग " अन्ना हजारे जी " लड़ रहे है और वो भी एक कानून के लिए ..जो कानून हम लोगों के हीत में है
ReplyDeleteदिवास सर ...अविनाश सर का जवाब नहीं है ...और आपका भी ... आपकी कमेन्ट का मै हमेशा इंतज़ार करता रहेता हु ...
ReplyDeleteअंग्रेजों के समय में हालात सायद इस से बहेतर होंगे ..क्यों की अंग्रेज पराये थे और पराये के द्वारा दिया जानेवाला दुःख ..दर्द उतना घटक सिद्ध नहीं होता है जितना अपनो के द्वारा दिया जाता है
ReplyDeleteWah ...
ReplyDeleteBahut Khoob .
अन्ना तो पूरा अन्ना है और देसी है , कांग्रेसी है
ReplyDeleteअगर कोई गन्ना भी खड़ा हो किसी बुराई के खि़लाफ़ तो हम हैं उसके साथ।
कांग्रेसी नेता कह रहे हैं कि अन्ना ख़ुद भ्रष्ट हैं।
हम कहते हैं कि यह मत देखो कौन कह रहा है ?
बल्कि यह देखो कि बात सही कह रहा है या ग़लत ?
क्या उसकी मांग ग़लत है ?
अगर सही है तो उसे मानने में देर क्यों ?
अन्ना चाहते हैं कि चपरासी से लेकर सबसे आला ओहदा तक सब लोकपाल के दायरे में आ जाएं और यही कन्सेप्ट इस्लाम का है।
कुछ पदों को बाहर रखना इस्लाम की नीति से हटकर है।
अन्ना की मांग इंसान की प्रकृति से मैच करती है क्योंकि यह मन से निकल रही है, केवल अन्ना के मन से ही नहीं बल्कि जन गण के मन से।
इस्लाम इसी तरह हर तरफ़ से घेरता हुआ आ रहा है लेकिन लोग जानते नहीं हैं।
आत्मा में जो धर्म सनातन काल से स्थित है उसी का नाम अरबी में इस्लाम अर्थात ईश्वर के प्रति पूर्ण समर्पण है और भ्रष्टाचार का समूल विनाश इसी से होगा।
आप सोमवार को
ब्लॉगर्स मीट वीकली में भी हमने यही कहा था।
"blog ki khabare "par isi post par " shalini ji ne kaha hai
ReplyDeleteशालिनी कौशिक said...
पुलिस की तो छोडिये पर हम क्या हैं हम ही तो हैं जो इन्हें कानून बनाने का अधिकार देते हैं ज़रुरत है हमारे जागने की और एक ऐसी सरकार चुनने की जो स्वयं को भी उसी श्रेणी में रखे जिसमे आम जनता है किन्तु ऐसा होता नहीं है और जब चुनने का समय आता है तो हम अपने और स्वार्थों में पड़ जाते हैं और यही कारण है की हमेशा हम मुंह की खाते हैं ..सार्थक पोस्ट आभार .
वह दिन खुदा करे कि तुझे आजमायें हम.
is blog ki ye rahi link
http://blogkikhabren.blogspot.com/2011/08/blog-post_1305.html
sukriya shalini ji
BHASAN NAHI ACHRAN CHAHIYE SHANTI KE NAAM PAR AATM
ReplyDeleteHATYA NAHI EK CHHAN CHAHIYE BHASAN NAHI ACHRAN CHAHIYE
BADH RAHA HAI PAAP FIR KANSH KE IS RAJYA ME KRISHN
KA FIR AWATARAN CHAHIYE BHASAN NAHI ACHRAAN CHAHIYE[ MERE DIL ME NAHI TO TERE DIL ME SAHI PAR EK AAG DIL JALNI CHAHIYE]
आँखें देखती हैं लेकिन बोल नहीं सकती । जुबान बोल सकती है लेकिन देख नहीं सकती ।
ReplyDeleteom,
ReplyDeletedilli police swami bhakt police hai ,jisme desh ke prati koi sambedansheelta nahi hai,sirf chamcha geeri hibachi aur ho bhi na kyo,kya in police balo ko chaplusi abm lootne ki training di jati ,is desh ka bhagwan hi malik.
vandematram,
jai hind.