"अफज़ल और कसाब को फांसी मिलनी ही चाहिए : नासिर असलम
" आज पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट के "रिटायर जज नासिर असलम" ने राजकोट में कहा की "अफ़ज़ल और कसाब" जैसे आतंकियों को फांसी मिलनी ही चाहिए ये बयां उन्होंने उस वक़्त दिया जब उनके साथ जुडिशियल कमिटी ऑफ़ भारत एंड पाकिस्तान के मेंबर "इकबाल हैदर" साथ में थे ..याद रहे उनका ये दौरा मानव अधिकार मुंबई के "जतिन भाई देसाई" और "ऍम क पाल" की बिनती से हुवा है | "
" मानव अधिकार पंच के जतिन देसाई ने मुद्दे को साफ़ करते हुवे कहा की भारत और पाकिस्तान के बिच तीन बार करार हुवे है मग़र फिर भी दोनों ही देश की सेना एक दुसरे के खिलाफ करोड़ों रुपये का धन शस्त्र में बर्बाद कर रही है अगर यही धन गरीब लोगों के पीछे खर्च किया जाये तो दोनों ही देश में खुशहाली आएगी १९६५ में हुवा था जो युद्ध तो अंत में एक करार हुवा था जिसे ताशकंद करार कहते है ..और उसके बाद में फिर से १९७१ में शिमला करार हुवा और तीसरी बार १९९९ में भी एक करार हुवा था मग़र फिर भी दोनों देश अपनी मिलिटरी ताकत के पीछे ही अपना धन बर्बाद कर रहे है ..आखिर ऐसा क्यु ? क्यु ये दोनों देश " जियो और जीने दो " की नीति नहीं अपना रहे है |"
" जब एक पत्रकार ने कसाब के बारे में सवाल पुछा तो पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जज ने कहा की " अफज़ल और कसाब को फांसी होनी ही चाहिए और उसमे कोई भी दया नहीं रखनी चाहिए और ये भी कहा की जैसे भारत के सम्बन्ध बंगलादेश और श्रीलंका के साथ अच्छे है वैसे ही सम्बन्ध दोनों ही दशों ने एक दुसरे के साथ रखने चाहिए और साथ में ये भी कहा की वो पाकिस्तानी कोर्ट से गुजारिश करेंगे की भारत के जो मछुआरे पाकिस्तान की कैद में है उनको रिहा किया जाये |"
" जब पाकिस्तान के जज भी कहे रहे है की "कसाब" को फांसी मिलनी ही चाहिए तब भारत सरकार का "कसाब और अफज़ल" के प्रति दयाजनक रवैया क्यु ? यही बात समज नहीं आ रही है की आखिर "अफज़ल और कसाब" सरकार के लिए खाश क्यु है? की उनकी तरफ इतनी नर्माइश रख रही है ये सरकार ..बात चाहे जो भी हो मग़र ये तो साफ़ होता है की जब पडोसी देश के जज भी कहते है की " अफज़ल और कसाब " को फांसी मिलनी ही चाहिए तब भारत सरकार का अफज़ल और कसाब के प्रति ढीला रवैया लोगों के मन में शंका पैदा कर सकता है |"
बिलकुल सही कहा उन्होंने ! भारत सरकार तो वश चले तो - भारत रत्न - की उपाधि दे देगी !
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