किसीको तक़दीर ने मारा ,
हमको तेरी तस्वीर ने मारा |
क्या हमने पाया ,क्या तुमने पाया
ये खेल है ......
मिलके बिछड़ ने का ........
आओ इस वीराने में बैठकर
चंद बूंद गिराकर अश्को के
बुनले मंज़र यादों का |
किए थे कुछ हमने वादे ,
किए थे कुछ तुमने वादे ,
आओ बुनते है इन्ही से मंज़र यादो का |"
------ किसी की याद में { आवाज़ }
भावपूर्ण अभिव्यक्ति !
ReplyDeleteबहुत खूब बेहतरीन
ReplyDeleteहमने किये थे वादे
ReplyDeleteतुमने किये थे वादे
आओ बनले मंजर
इन्ही से यादों का
क्या खूब कहा बधाई!
किसीको तक़दीर ने मारा ,
ReplyDeleteहमको तेरी तस्वीर ने मारा |
क्या हमने पाया ,क्या तुमने पाया
वाह क्या बात है भाई तस्वीर ने ही मार गिराया? क्या बात है । नही सिर्फ तस्वीर नहीं
हमने किये थे वादे
तुमने किये थे वादे
आओ बनले मंजर
इन्ही से यादों का
इन सब ने मार गिराया। खैर ये तो हो गयी मज़ाक की बात मगर रचना बहुत अच्छी है ये पंकतियां बहुत अच्छी लगी
चंद बूंद गिराकर अश्को के
बुनले मंज़र यादों का | शुभकामनायें
aapki kavita main kisi ke dil ka dard he or ye kavita her love karne wale ke dil ko chu jayegi
ReplyDeletebahut achi he
meri shubhakamna he aap ese hi likhte rahe
" aap sabhi ka swagat hai ...aur dhanyawad ki aapne hamara hosla badhaya "
ReplyDelete----- eksacchai { AAWAZ }
वाह-वाह क्या बात है, लाजवाब रचना। आपकी हर एक पंक्ति दिल तक उतर रहीं हैं। आपके शब्दो का चयन बहुत ही बेहतरिन है। इस लाजवाब रचना के लिए बहुत-बहुत बधाई................
ReplyDeletenice
ReplyDeleteInheen tane-banon se zindagee kee chaddar bunee jaatee hai!
ReplyDeleteBehad samvedansheel rachna...!
http://shamasansmaran.blogspot.com
http://kavitasbyshama.blogspot.com
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kuch yadon ke manjar aise hi hote hain.........achchi rachna.
ReplyDeleteकिए थे कुछ हमने वादे ,
ReplyDeleteकिए थे कुछ तुमने वादे ,
आओ बुनते है इन्ही से मंज़र यादो का
sundar rachana .
achhi rachana hai ....badhai.
ReplyDelete" meri " yadoan ka manzar " rachana ko sarahnewale aap sabhi ka mai aabhari hu ....aabhari hu ki aap sab yahan aaye aur aapki pyari si comment ke jariye mera hosla badhaya ...."
ReplyDelete" dhanyawad "
----- eksacchai { aawaz }
kafi dard hai aapki poem mai........nice one......
ReplyDeleteवाह बहुत बढ़िया लगा! बहुत ही ख़ूबसूरत और भावपूर्ण रचना लिखा है आपने!
ReplyDeleteकिए थे कुछ तुमने वादे ,
ReplyDeleteआओ बुनते है इन्ही से मंज़र यादो का |"
jee sir....... phir to hum yaadon ke manzar hi bunte hain....... sir........ yeh line mujhe bahut achchi lagi hai........ aaapne aisa likha ki khud ko iss kavita se jod raha hoon.......
"मुझको तेरी तस्वीर ने मारा है" बिलकुल नया प्रयोग
ReplyDeleteकविता बहुत सुन्दर बन पड़ी है. पसंद आई.
हार्दिक बधाई.
चन्द्र मोहन गुप्त
जयपुर
www.cmgupta.blogspot.com
कम्बखत ये तस्वीर ....!!!
ReplyDeleteलाजवाब है आपकी यादों का मंजर ........... खूबसूरती से संजोया है आपने ...
ReplyDelete" aap sabhi ka aabhar ."
ReplyDelete----- eksacchai { AAWAZ }