"भारत की महान संस्कृति पर सीरियल द्वारा क्या "हमला नही हो रहा है ?" क्या आपको नही लगता की संस्कृति की ख़राब पेशकश हो रही है ?आपके बच्चो पर इनका ख़राब असर होगा भी "
"पहली नज़र मे पारिवारिक लगनेवाली कथा न जाने कैसे कैसे मोड़ लेती है ऐसे मोड़ जो कभी यकीन ही नही होते है अपने ही खुशहाल परिवार को तबाह होते देखकर खुश होना क्या सम्भव है ?सीरियल के परिवार के किसी बेटे से शादी करने के वास्ते या फिर कराने के वास्ते कैसे कैसे उल्टे सीधे रस्ते अपनाते है ये आप सबको पता है कोई सीरियल का नायक मर जाता है तो फिर अपने टी.आर.पि रेटिंग के लिए उसे जिन्दा दिखाते है छोड़ो भी ये सब देखकर इतना जरूर सोचना की क्या ये प्रोड्यूसर आपके बच्चो पर या आपके परिवार पर ख़राब संस्कार नही फेंक रहे ?क्या ये सब देखकरआपके परिवार की शान्ति बनी रहेती है ?क्या बने रहते है आपके बच्चोको दिए गए संस्कार ?क्यों की बच्चो को माँ बाप के द्वारा दिए गए संस्कार अनमोल होते है .....ये मेरा मानना हे "
" मगर आप सोचना जरूर "
"और तो और प्रोपर्टी हथियाने के अलग अलग रस्ते भी ये लोग बताते है मैंने पहले भी कहा था भारतीय संस्कति के बारे में की भारतीय नारी के गुन क्या है " क्या सीरियल में दिखाई जाती है वैसी है हमारे देश की नारी ? अरे अपने आन्तेरात्मा से ये सवाल पूछकर देखो अगर आ़प जाग रहे है तो आपका जवाब ना ही होगा आपने घर में झांककर देखा क्या घर की लक्ष्मी आपका बुरा चाह सकती है ?क्या आपके परिवार का बुरा चाह सकती है ?मैं मानता हूँ की निर्माता को सीरियल का खर्चा और मुनाफा मिलना चाहिए मगर क्या ये तरीका सही है ?अपने ही देश की संस्कति की ख़राब पेशकश करके पैसा बटोरना सही नही है कोई कोई सीरियल में तो मर्डर करने वाले बिन्दस्त घूमते है और अन्याय सहन करनेवाला रोता है भगवन से मिन्नतें करता है फिर भी परिणाम क्या तो अन्याय करने वाला जीतता है "
"डॉक्टर और टेक्नोलॉजी को धन्यवाद देते रहेंगे ये सीरियल निर्माता क्यों की डॉक्टर की वजह से तो वो लोग मरे हुवे को जिन्दा करके या प्लास्टिक सेर्गेरी करके वापस सीरियल की लम्बाई बढ़ा सकते है "
"अरे भारतीय नारी अपने परिवार के लिए भगवन के पास सदैव प्राथना करती है तो भला क्यूँ उसे इस अंदाज़ में दर्सको के सामने पेश करते है ? "
"भइया मेरे घर में तो नारी शक्ति का रूप maani जाती है क्या आपके घर में नारी शक्ति का रूप नही है ?अगर है तो आओ हम सब मिलकर अपनी संस्कृति को बचाए कमसे कम कोशिश तो करे , और हाँ
भारतीय नारी के गुन ये रहे १] शीतलता
२] त्याग
३] बलिदान
४] mamata
५] प्यार और पतिव्रता
" क्यूँ ....इसका उल्टा दिखातेहेना ये सीरियलवाले ? कुछभी बकवास दिखता है टीवी सीरियल सचमें ये इडियट बॉक्स ही है ......"
............................वन्देमातरम .......................
हुज़ूर आपका भी ....एहतिराम करता चलूं .......
ReplyDeleteइधर से गुज़रा था, सोचा, सलाम करता चलूं ऽऽऽऽऽऽऽऽ
ये मेरे ख्वाब की दुनिया नहीं सही, लेकिन
अब आ गया हूं तो दो दिन क़याम करता चलूं
-(बकौल मूल शायर)
सही कह रहे हो यार लेकिन आज कल यही दिखता है और यहीं पसंद किया जा रहा है क्या कर सकते है
ReplyDeleteभाई जी लेख अच्छा बन पडा। पर मै और आप बस कोशिश ही कर सकते है। इस प्रकार के सिरीयल को ज्यादा पसन्द किया जा रहा है, जो की चिन्तनीय है।
ReplyDeleteअब कुछ हालत बदलती लग रही है . सामाजिक सरोकारों के सीरियल ज्यादा देखे जा रहे हैं ओर कुछ धार्मिक भी
ReplyDeleteसचाई को तो सामने आना चाहिए अपने को क्यों छुपा रखा है आपने
ReplyDeleteSnehsahit swagat hai...
ReplyDeleteswaagat hai
ReplyDeleteYe serial to aise hi chalenge........ sanskriti koi chuyee muyee nahi hai jo in serials se kharaab ho jaayegi
ReplyDeleteहिंदी ब्लॉग की दुनिया में आपका हार्दिक स्वागत है......
ReplyDeleteswagat hai
ReplyDeletesahi baat hai. narayan narayan
ReplyDeleteमै इतना कहूँगी , कि , औरत को न तो किसी देवी का स्थान दें , न चुडैल का ! वो एक इंसान है , जिसमे अच्छाई और बुराई, दोनों होती है ..! गर उससे ज़रा -सी भी ग़लती हो जाय , तो इतना अधिक अपराध बोध महसूस कराया जाता है जिसकी हद नही ..! और ग़लती भी क्या ...घर खर्च ज़्यादा हो गया ! बस !
ReplyDeleteऔरत एक माँ , बेहेन , बेटी , पत्नी के तौरसे हमेशा प्यार करती है , रहेगी ..लेकिन हरेक उम्मीद की एक मर्यादा होती है ...उसे इतना भी ना खींचा जाय ,कि , वो टूट जाय !
हमारे धारावाहिक या तो औरत को एक सदगुणों की मूर्ती बताते हैं...... इस हद तक,कि, वो बेवक़ूफ़ लगे, या फिर जिसमे दुर्गुणों के अलावा कुछ और वास ही ना करता हो!
नायिका या खलनायिका...! यही हाल हमारी फिल्मों का रहा...!
Pls, word verification hata den, to achha rahega!