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Thursday, July 25, 2013

आप अंधे है .... या गधे ? या समजदार

ये कोई जागो रे डॉट कॉम नहीं है
की मै कहूँगा की अब नहीं जागोगे तो कब जागोगे
हाँ ये बात जरूर कहूँगा की 

अब भी जो काँग्रेस का समर्थन करते है वो
या तो अंधे है
या फिर ........... गधे है

 
ये कैसा देश है भाई ? जहां खुद सरकार ही भेदभाव करती है ....
नीचे दिये हुवे ब्योरे को पढ़िये और फिर कहिए की काँग्रेस के लिए सच मे सभी धर्म समान है या फिर ...नहीं

कोंग्रेस के राज में,,,
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01. इस देश में तिरंगा झंडा फहराने पे आपत्ति
02.  इस देश में भारत माता की तस्वीर मंच पर लगाने से आपत्ति
03. इस देश में वन्दे मातरम बोलने पे आपत्ति
04. इस देश में अमरनाथ यात्रा पर आपत्ति
05. इस देश में सूर्य नमस्कार से आपत्ति
06. इस देश में मंदिर की घंटी बजाने पे आपत्ति
07. इस देश में राम मंदिर निर्माण पर आपत्ति
08. इस देश में गोधरा रेल जलाने पर प्रतिक्रिया पर आपत्ति
09. इस देश में इस देश में आतंकियों को मुडभेड में ढेर करने पे आपत्ति
10. इस देश में श्री रामनवमी शोभा यात्रा निकलने पे आपत्ति
11. वरुण गाँधी के ब्यान पे आपति
12. कश्मीरी हिंदुओं के पुनर्वास से आपति

............................और...................................

01.इस देश में पाकिस्तानी झंडा फहराने पर सहमती
02.हिंदू देवी देवताओं की नग्न तस्वीरे बनाने पे सहमती
03.इस देश में पाकिस्तान जिंदाबाद और भारत के नारे लगाने पे सहमती
04.इस देश में हज यात्रिओं मक्का जाने के लिए सब्सिडी देने पे सहमती
05.इस देश में गौ हत्या पर सहमती
06.इस देश में सड़क पर नमाज पढ़ने पे सहमती
07.इस देश में आसाम दंगों पे सहमती
08.इस देश में साधू संतों को ठग कहने पे सहमती
09.इस देश में बंगलादेशी घूसखोरो के बसने पर सहमति
10.अकबरुदीन के ह पन्द्रह मिनट में अस्सी करोड हिंदुओं को खत्म करने से सहमती
११ .इस देशं से आतंकी विरोधी कानून को हटाने पे सहमती
१२.सिमी का समर्थन पे सहमती
१३ संघ को आतंकी संगठन कहने से सहमती
१४ एक देश में दो निशान दो संविधान पर सहमती
१५.हजारों सिक्खो के कातिल टायटलर और सज्जन कुमार पर रहम की सहमति 


और भी है बहुत सारे प्रमाण मगर ...शायद आप सभी होशियार लोगो के लिए इतने काफी है

एक नजर यहाँ पर करिएगा

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ढींग चीका .... भारत निर्माण का

१. जब कहीं दामिनी सड़क पर पड़ी हो ,और मुख्य बलात्कारी अफ़रोज को जमानत मिल जाये तब समझ  लीजिये हो रहा भारत निर्माण।

२. जब अशोक खेमका "राष्ट्रीय दामाद" की जांच कर रहे हों और अगले ही दिन उनका तबादला हो जाये तो समझ लीजिये हो रहा भारत निर्माण।

३. जब शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे लोगों पर लाठियाँ भांजी जाएँ और राजबाला जी हुतात्मा हो जाएँ तो समझ लीजिये हो रहा भारत निर्माण।

४. जब गाँव मे कोई बच्चा स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव मे दम तोड़ दे तो समझ लीजिये हो रहा भारत निर्माण।

५. जब हिंदुओं की मेहनत की कमाई का एक बड़ा भाग टैक्स के रूप मे वसूला जाये और वहीं दूसरी ओर 22% की जनसंख्या वाले तथाकथित "अल्पसंख्यकों" को 1लाख 76 हज़ार करोड़ का मुफ्त मे लोन दिया जाए, तो समझ लीजिये हो रहा भारत निर्माण।

६. जब भारत के लोगों का कालधन स्विस बैंकों मे जमा हो और यहाँ पर गरीब भूख,गरीबी,मंहगाई से मर जाएँ तो समझ लीजिये हो रहा भारत निर्माण

७. जब राम लला एक फटे हुए टेंट के नीचे रहें और बड़े बड़े नेता,व्यापारी अपने आलीशान महलों मे रहें तो समझ लीजिये हो रहा भारत निर्माण।

. जब हर महीने एक से बढ़ कर एक नया नया घोटाला रिलीज़ हो तो समझ लीजिये हो रहा भारत निर्माण।

९. जब घोटालों के आरोपी को जमानत मिल जाये और जो दोषी पकड़े गए हैं उन्हे जेल मे वीआईपी (एसी,टीवी ,न्यूज़पेपर और भी बहुत कुछ) सेवा मिले तो समझ लीजिये हो रहा भारत निर्माण।

१०. जब अँग्रेजी शिक्षा पाये हुए तथाकथित नौजवान कहने लगें की "आई हेट इंडिया" तो समझ लीजिये हो रहा भारत निर्माण।

११. जब देश मे नक्सली,आतंकी,उपद्रवी,दंगाई किसी भी मासूम, निर्दोष बच्चे ,वृद्ध, महिला ,जवान को मार दें और कोई आवाज़ न उठे और जब नेता मारे जाएँ तो चारो ओर मातम पसर जाये तो समझ लीजिये हो रहा भारत निर्माण।

१२. जब आज़ादी के लगभग ७० साल के बाद भी पीने का पानी बोतलों मे भर कर बेंचा जाने लगे तो समझ लीजिये हो रहा भारत निर्माण।
१३. जब मदेराणा,सिंघवी,एनडी तिवारी, शमशेर बहादुर सिंह, काँड़ा जैसे लोग अश्लील विडियो मे काम करने लगें तो समझ लीजिये हो रहा भारत निर्माण।

१४. जब हिन्दू कश्मीर से भगा दिये जाएँ और उन्हे रहने का ठिकाना न मिले, असम से बोड़ो जनजाति के हिन्दू भगाए जाएँ तो समझ लीजिये हो रहा भारत निर्माण।

१५. जब पाकिस्तान हमारे जवानों का सर काट कर ले जाए और चीन हमारी 19 किलोमीटर की जमीन पर कब्जा कर ले इतने पर भी भारत सरकार चूड़ियाँ पहन कर बैठी रहे तो समझ लीजिये हो रहा भारत निर्माण।

१६. जब भगत सिंह, आज़ाद को उपद्रवी कहकर किताबों मे पढ़ाया जाएतो समझ लीजिये हो रहा भारत निर्माण""


मुबारक हो ....... भारत निर्माण हो रहा है ......... क्या आपको पता चला की भारत निर्माण हो रहा है ? अगर चला है तो फिर ....ढींग चीका ...ढींग चीका करो ओर इस कमीनी सरकार से यूनही लूटते रहो ...या फिर उठो जागो ओर अगले चुनाव मे इस कमीनी काँग्रेस का निर्वाण करो ...इस की ताबूत पर आखरी खील ठोको 

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स्वामी ने बजाई कॉंग्रेस की बैंड ( सबूत ,दस्तावेज़ पढ़िये )

* बराक ओबामा को लिखा गया खत पढ़िये 
* विषय था " नरेंद्र मोदी " की वीजा 
* 65 संसद सभ्यो ने किए थे दस्तखत 
* खत मे दस्तखत करनेवाले नेता आज काँग्रेस से डरते है 
* सुब्र्मण्यम स्वामी ने बजाई कॉंग्रेस की बैंड 

                           " सुब्रमण्यम स्वामी ने फिर से काँग्रेस की बैंड बजाई .... मगर इस बार मुद्दा था " नरेंद्र मोदी " ,गुजरात के इस मुख्यमंत्री को अमेरिका वीज़ा नहीं दे रहा है हालाकी अमेरीकन संसद मे भी कई संसद सभ्य मोदी को वीज़ा देने की मांग कर रहे है ... ऐसे मे भारत के सांसदो ने भी अमेरीकन राष्ट्रपति बराक ओबामा को एक अनुरोध भरा खत लिखा की नरेंद्र मोदी जी को वीजा न दी जाए ओर लोकसभा के 25 सभ्य ने अपने दस्तखत किया खत बराक ओबामा को भेजा ...साथ मे 40 एमपी के भी उस खत मे हस्ताक्षर थे ...मगर सीताराम येचूरी ने कहा की उन्होने उस खत मे हस्ताक्षर नहीं किया है तो सुब्र्मण्यम स्वामी ने आज जनता के सामने वो खत रख दिया जो बराक ओबामा ( BARACK OBAMA ) को भेजा गया था "

                         " अमेरीकन संसद भी वहाँ की संसद मे हँगामा कर रहे है की मोदी को वीजा दो ..... तो फिर कॉंग्रेस को इतनी मिर्ची क्यू लग रही है भाई ? ...कॉंग्रेस को ये सोचना चाहिए की राहुल गांधी कभी अम्रीका नहीं जा सकता है उस पर सोचो ...ओर उसको दिला ओ वीजा |"

                            " लीजिये आप भी पढे वो खत ओर जाने उन 65 सांसदो के नाम जो नरेंद्र मोदी को अमेरिका वीजा न दे ऐसी मांग कर रहे है ...जो की नाजायज है ...मगर कॉंग्रेस के डर से सीताराम येचूरी जैसे नेता कैसे डरते है वो भी देख लीजिये "

ये रहा वो खत 
                   " अमेरीकन सरकार को 65 भारतीय संसद ने खत लिखकर जो कार्य किया है वो प्रसंसनीय है ? मगर कॉंग्रेस से इतना डर क्यू भाई ? झूठ बोलने से क्या होगा भैया ..... दस्तखत करने के बाद अगर सीताराम येचूरी कहे की मैंने दस्तखत नहीं किए है तो शायद वो भूल गए है की स्वामी सबूत तो कहीं से भी ढूंढ कर ला  सकते है | "

               

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Monday, July 22, 2013

कानून क्या है ? ... एक सड़ा हुवा अंडा

                         " कानून जिसे हम सिस्टम कहते है ... मगर इस सिस्टम को क्या आप जानते है ? आज कल जो भी आता है इस सिस्टम का डर दिखा रहा है मगर दरअसल मे हमारे देश का सिस्टम बोले तो फुल्टू सड़ियल सिस्टम है ...आपने मर्डर किया है ...आपको डर लगेगा ..... आपने किसी की जेब काटी है ...सिस्टम के डंडे पड़ेंगे ..... आओ तो जानते है इस मुशकेली मे से कैसे बाहर नीकल सकते हम ...तरीका एक दम आसान है भाई ..... बहुत से लोग जानते भी होंगे ओर जो नहीं जानते है वो नीचे दिया उदाहरण पढ़ ले सब जान जाएंगे |"

* ये पूरा जरूर पढ़िये ..फिर आप भी कहेंगे की हाँ ,यही है हमारा सिस्टम
                " एक आदमी था " दिनकर शर्मा " जो खाना खाने एक फाइव स्टार होटल मे जाता है ...उसके पास होटल का वेटर आकर बड़े प्यार से खाने का ऑर्डर लेता है ओर वो भाई साहब ... अपने दिनकर शर्मा जी खाने का जमकर ऑर्डर देते है ... खाने के बाद आइसक्रीम वगैरा जमकर खाते है ..अब तक तो सब सही चल रहा था मगर तकलीफ यहाँ से शुरू होती है जब वेटर दिनकर बाबू के हाथ मे बिल थमा देता है ... जो की पूरा 3000 हजार रुपये का था | "

* 3000 के सामने 100 ?
                            " दिनकर बाबू ने जेब मे हाथ डाला तो सिर्फ 100 रुपये ही निकले ... अब क्या किया जाए ... उन्होने वेटर से कहा की भाई मेरे पास पैसे नहीं है .... अब फाइव स्टार होटल थी तो वेटर ने अपने मेनेजर को बुलाया ...मेनेजर ने आते ही कहा "सर, आपका बिल 100 रुपये नहीं बल्कि पूरे 3000 रुपयो का है " इस पर दिनकर बाबू ने कहा " जी, वो तो मै भी जानता हु पर मेरी जेब मे इस वक़्त 100 रुपये ही है "...

* सिस्टम ( पुलीस ) आई पार्सल लेकर चली गई 
                             "अब इतनी बड़ी होटल थी तो वहाँ पर हाथापाई तो नहीं की जा सकती है इस लिए होटल के मेनेजर ने इस देश की असली सिस्टम याने जिसे हम पुलीस (कानून ) कहते है उसे बुलाया ओर सारी घटना पुलीस ( कानून ) के सामने रख दी ...तो सिस्टम याने कानून को गुस्सा आया ओर उसने दिनकर के गिरेबान पर हाथ डाला ओर अपने साथ आए दूसरे कानून के रखवालों से कहा की इसे उठाकर जीप मे फेंको ....थाने चलकर इसका खाना हजम करवाते है " ...मेनेजर ने कानून के रखवाले याने उस पुलीस को उस सिस्टम को धन्यवाद कहा ओर अपनी होटल से मस्त खाना पार्सल करवा भी दिया |"

* दोबारा मत करना ... 100 रुपये का कमाल
                            " बाहर नीकलते ही सिस्टम दिनकर के पास गया जो की कानून की जीप मे बैठा था ...तभी दिनकर के दिमाग की बत्ती जली उसने अपनी जेब मे हाथ डाला ओर जेब मे पड़े 100 रुपये इस देश के सिस्टम के हाथ मे थमा दिये ...100 रुपये देखकर सिस्टम के चहेरे पर मुस्कान छा गई ...100 रुपये सिस्टम ने अपनी जेब मे रखे ओर कहा " चल अब दोबारा ऐसी गलती मत करना ...आगे के चौराहे पर तुझे उतार देता हु |"

                            " ये सच है दोस्तो ...ओर यही हमारा सिस्टम है तभी तो इस देश मे सरेआम कत्ल से लेकर गुंडागर्दी बढ़ रही है ....औरते बाहर नीकलने से डर रही है ....क्यू की आजकल हर अपराधी इस देश के सिस्टम को ..... पुलिश को अपनी जेब मे रखता है ...ओर वक़्त पड़ने पर जैसे घर के पालतू कुत्ते को वो बोटी डालता है वैसा ही समजकर वो इनको रिश्वत देकर छूट जाता है ..."

क्यू की यही हमारा सिस्टम है ...चाहे चौराहे पर खड़े RTO हो या फिर पुलीस जो फालतू ओर झूठा बोर्ड लगाकर घूमती है की " जनता की सेवा मे " ...मगर क्या वो सच मे जनता की सेवा मे है ? ... 

                           " न्याय का ये हथोड़ा महज 100 रुपये मे भी बिक जाता है ...... तो फिर अपराधियो का सच जनता के सामने कैसे आएगा ?"

ओर ऐसा इसलीये हो रहा है क्यू की हम सो रहे है 
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Saturday, July 6, 2013

वन्दे मातरम Vs जन-गण-मन ( टागोर का लिखा खत पढ़िये )

history of jan gan man and " vandemataram "

* बंकिम चन्द्र चटर्जी ने 7 नवंबर 1875 के दिन लिखा था वन्देमातरम

* अपने उपन्यास आनंदमठ मे उन्होने बहुत जगह पर किया है वन्देमातरम का प्रयोग

* 1905 मे वन्देमातरम राष्ट्रीयगीत बन गया था ...मगर

ये रहा जन गण मन का सच

* अपने बहनोई को रबीन्द्र नाथ टागोर ने एक पत्र लिखा था (ये1919 के बाद की घटना है,इसमें उन्होंने लिखा है कि ये गीत 'जन गण मन' अंग्रेजो के द्वारा मुझ पर दबाव डलवाकर लिखवाया गया है

आगे क्या हुवा ओर कैसे हुवा ये खुद ही पढ़िये


वन्दे मातरम की कहानी

ये वन्दे मातरम नाम का जो गान है जिसे हम राष्ट्रगीत के रूप में जानते हैं उसे बंकिम चन्द्र चटर्जी ने 7 नवम्बर1875 को लिखा था, बंकिम चन्द्र चटर्जी बहुत ही क्रन्तिकारी विचारधारा के व्यक्ति थे ,देश के साथ-साथ पुरे बंगाल में उस समय अंग्रेजों के खिलाफ जबरदस्त आन्दोलन चल रहा था

             एक बार ऐसे ही विरोध आन्दोलन में भाग लेते समय इन्हें बहुत चोट लगी और बहुत से...उनके दोस्तों की मृत्यु भी हो गयी ,इस एक घटना ने उनके मन में ऐसा गहरा घाव किया कि उन्होंने आजीवन अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने का संकल्प ले लिया उन्होंने.. बाद में उन्होंने एक उपन्यास लिखा जिसका नाम था"आनंदमठ",जिसमे उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ बहुत कुछ लिखा, उन्होंने बताया कि अंग्रेज देश को कैसे लुट रहे हैं, ईस्ट इंडिया कंपनी भारत से कितना पैसा ले के जा रही है, भारत के लोगों को वो कैसे मुर्ख बना रहे हैं, ये सब बातें उन्होंने उस किताब में लिखी , वो उपन्यास उन्होंने जब लिखा तब अंग्रेजी सरकार ने उसे प्रतिबंधित कर दिया ,जिस प्रेस में छपने के लिए वो गया वहां अंग्रेजों ने ताला लगवा दिया,तो बंकिम दा ने उस उपन्यास को कई टुकड़ों में बांटा और अलग-अलग जगह उसे छपवाया औए फिर सब को जोड़ के प्रकाशित करवाया , अंग्रेजों ने उन सभी प्रतियों को जलवा दिया फिर छपा और फिर जला दिया गया, ऐसे करते करते सात वर्ष के बाद 1882 में वो ठीक से छ्प के बाजार में आया और उसमे उन्होंने जो कुछ भी लिखा उसने पुरे देश में एक लहर पैदा किया, शुरू में तो ये बंगला में लिखा गया था, उसके बाद ये हिंदी में अनुवादित हुआ और उसके बाद, मराठी, गुजराती और अन्य भारतीय भाषाओँ में ये छपी और वो भारत की ऐसी पुस्तक बन गया जिसे रखना हर क्रन्तिकारी के लिए गौरव की बात हो गयी थी , इसी पुस्तक में उन्होंने जगह जगह वन्दे मातरम का घोष किया है और ये उनकी भावना थी कि लोग भी ऐसा करेंगे,

* बंकिम बाबू की बेटी ने कहा

           बंकिम बाबु की एक बेटी थी जो ये कहती थी कि आपने इसमें बहुत कठिन शब्द डाले है और ये लोगों को पसंद नहीं आयेगी तो बंकिम बाबु कहते थे कि अभी तुमको शायद समझ में नहीं आ रहा है लेकिन ये गान कुछ दिन में देश के हर जबान पर होगा, लोगों में जज्बा पैदा करेगा और ये एक दिन इस देश का राष्ट्रगान बनेगा, ये गान देश का राष्ट्रगान बना लेकिन ये देखने के लिए बंकिम बाबु जिन्दा नहीं थे लेकिन जो उनकी सोच थी वो बिलकुल सही साबित हुई, 1905 में ये वन्दे मातरम इस देश का राष्ट्रगान बन गया |

* धर्म के नाम पर बटवारा

        1905 में क्या हुआ था कि अंग्रेजों की सरकार ने बंगाल का बटवारा कर दिया था ,अंग्रेजों का एक अधिकारी था कर्जन जिसने बंगाल को दो हिस्सों में बाट दिया था, एक पूर्वी बंगाल और एक पश्चिमी बंगाल , इस बटवारे का सबसे बड़ा दुर्भाग्य ये था कि ये धर्म के नाम पर हुआ था, पूर्वी बंगाल मुसलमानों के लिए था और पश्चिमी बंगाल हिन्दुओं के लिए, इसी को हमारे देश में बंग-भंग के नाम से जाना जाता है , ये देश में धर्म के नाम पर पहला बटवारा था उसके पहले कभी भी इस देश में ऐसा नहीं हुआ था, मुसलमान शासकों के समय भी ऐसा नहीं हुआ था | “

* 1905 बाद हर सभा मे वन्देमातरम गूंज रहा था

          खैर...............इस बंगाल बटवारे का पुरे देश में जम के विरोध हुआ था , उस समय देश के तीन बड़े क्रांतिकारियों लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक,लाला लाजपत राय और बिपिन चन्द्र पल ने इसका जम के विरोध किया और इस विरोध के लिए उन्होंने वन्दे मातरम को आधार बनाया  और 1905 से हर सभा में, हर कार्यक्रम में ये वन्देमातरम गाया जाने लगा ,कार्यक्रम के शुरू में भी और अंत में भी , धीरे धीरे ये इतना प्रचलित हुआ कि अंग्रेज सरकार इस वन्दे मातरम से चिढने लगी ,अंग्रेज जहाँ इस गीत को सुनते, बंद करा देते थे और और गाने वालों को जेल में डाल देते थे, इससे भारत के क्रांतिकारियों को और ज्यादा जोश आता था और वो इसे और जोश से गाते थे ,

* वन्देमातरम कहेकर पहेना फांसी का फंदा

              एक क्रन्तिकारी थे इस देश में जिनका नाम था खुदीराम बोस, ये पहले क्रन्तिकारी थे जिन्हें सबसे कम उम्र में फाँसी की सजा दी गयी थी , मात्र 14 साल की उम्र में उसे फाँसी के फंदे पर लटकाया गया था और हुआ ये कि जब खुदीराम बोस को फाँसी के फंदे पर लटकाया जा रहा था तो उन्होंने फाँसी के फंदे को अपने गले में वन्दे मातरम कहते हुए पहना था | इस एक घटना ने इस गीत को और लोकप्रिय कर दिया था और इस घटना के बाद जितने भी क्रन्तिकारी हुए उन सब ने जहाँ मौका मिला वहीं ये घोष करना शुरू किया चाहे वो भगत सिंह हों, राजगुरु हों,अशफाकुल्लाह हों, चंद्रशेखर हों सब के जबान पर मंत्र हुआ करता था , ये वन्दे मातरम इतना आगे बढ़ा कि आज इसे देश का बच्चा बच्चा जानता है |

जन-गण-मन की कहानी

* जॉर्ज पंचम का भारत मे आगमन

         सन1911 तक भारत की राजधानी बंगाल हुआ करता था , सन 1905 में जब बंगाल विभाजन को लेकर अंग्रेजो के खिलाफ बंग-भंग आन्दोलन के विरोध में बंगाल के लोग उठ खड़े हुए तो अंग्रेजो ने अपने आपको बचाने के लिए के कलकत्ता से हटाकर राजधानी को दिल्ली ले गए और 1911 में दिल्ली को राजधानी घोषित कर दिया ,पूरे भारत में उस समय लोग विद्रोह से भरे हुए थे तो अंग्रेजो ने अपने इंग्लॅण्ड के राजा को भारत आमंत्रित किया ताकि लोग शांत हो जाये ,इंग्लैंड का राजा जोर्ज पंचम 1911 में भारत में आया

* टागोर के परिवार का पैसा ईस्ट इंडिया कंपनी मे लगा हुवा था

              रविंद्रनाथ टैगोर पर दबाव बनाया गया कि तुम्हे एक गीत जोर्ज पंचम के स्वागत में लिखना ही होगा , उस समय टैगोर का परिवार अंग्रेजों के काफी नजदीक हुआ करता था, उनके परिवार के बहुत से लोग ईस्ट इंडिया कंपनी के लिए काम किया करते थे, उनके बड़े भाई अवनींद्र नाथ टैगोर बहुत दिनों तक ईस्ट इंडिया कंपनी के कलकत्ता डिविजन के निदेशक(Director) रहे, उनके परिवार का बहुत पैसा ईस्ट इंडिया कंपनी में लगा हुआ था  और खुद रविन्द्र नाथ टैगोर की बहुत सहानुभूति थी अंग्रेजों के लिए रविंद्रनाथ टैगोर ने मन से या बेमन से जो गीत लिखा उसके बोल है "जन गण मन अधिनायक जय हे भारत भाग्य विधाता" ...  इस गीत के सारे के सारे शब्दों में अंग्रेजी राजा जोर्ज पंचम का गुणगान है, जिसका अर्थ समझने पर पता लगेगा कि ये तो हकीक़त में ही अंग्रेजो की खुशामद में लिखा गया था

 इस राष्ट्रगान का अर्थ कुछ इस तरह से होता है

               "भारत के नागरिक,भारत की जनता अपने मन से आपको भारत का भाग्य विधाता समझती है और मानती है ... हे अधिनायक(Superhero) तुम्ही भारत के भाग्य विधाता हो | तुम्हारी जय हो ! जय हो! जय हो ! तुम्हारे भारत आने से सभी प्रान्त पंजाब, सिंध, गुजरात,मराठा मतलब महारास्त्र,द्रविड़ मतलब दक्षिण भारत, उत्कल मतलब उड़ीसा, बंगाल आदि और जितनी भी नदिया जैसे यमुना और गंगा ये सभी हर्षित है, खुश है, प्रसन्न है, तुम्हारा नाम लेकर ही हम जागते है और तुम्हारे नाम का आशीर्वाद चाहते है , तुम्हारी ही हम गाथा गाते है | हे भारत के भाग्य विधाता(सुपर हीरो ) तुम्हारी जय हो जय हो जय हो | "

* 1911 मे जॉर्ज पंचम भारत आए

           जोर्ज पंचम भारत आया 1911 में और उसके स्वागत में ये गीत गाया गया ,जब वो इंग्लैंड चला गया तो उसने उस जन गण मन का अंग्रेजी में अनुवाद करवाया , क्योंकि जब भारत में उसका इस गीत से स्वागत हुआ था तब उसके समझ में नहीं आया था कि ये गीत क्यों गाया गया और इसका अर्थ क्या है ,जब अंग्रेजी अनुवाद उसने सुना तो वह बोला कि इतना सम्मान और इतनी खुशामद तो मेरी आज तक इंग्लॅण्ड में भी किसी ने नहीं की ,वह बहुत खुश हुआ  ओर उसने आदेश दिया कि जिसने भी ये गीत उसके(जोर्ज पंचम के) लिए लिखा है उसे इंग्लैंड बुलाया जाये , रविन्द्र नाथ टैगोर इंग्लैंड गए .. जोर्ज पंचम उस समय नोबल पुरस्कार समिति का अध्यक्ष भी था |

* नोबल एवार्ड की बात इस तरहा थी

            उसने रविन्द्र नाथ टैगोर को नोबल पुरस्कार से सम्मानित करने का फैसला किया टैगोर ने कहा की आप मुझे नोबल पुरस्कार देना ही चाहते हैं तो मैंने एक गीतांजलि नामक रचना लिखी है उस पर मुझे दे दो लेकिन इस गीत के नाम पर मत दो और यही प्रचारित किया जाये क़ि मुझे जो नोबेल पुरस्कार दिया गया है वो गीतांजलि नामक रचना के ऊपर दिया गया है ,जोर्ज पंचम मान गया और रविन्द्र नाथ टैगोर को सन 1913 में गीतांजलि नामक रचना के ऊपर नोबल पुरस्कार दिया गया |

* एक हत्याकांड ओर गांधी का खत

               रविन्द्र नाथ टैगोर की अंग्रेजों के प्रति ये सहानुभूति ख़त्म हुई 1919 में जब जलियावाला कांड हुआ और गाँधी जी ने उनको पत्र लिखा और कहा क़ि अभी भी तुम्हारी आँखों से अंग्रेजियत का पर्दा नहीं उतरेगा तो कब उतरेगा, तुम अंग्रेजों के इतने चाटुकार कैसे हो गए, तुम इनके इतने समर्थक कैसे हो गए ? फिर गाँधीजी स्वयं रविन्द्र नाथ टैगोर से मिलने गए और कहा कि अभी तक तुम अंग्रेजो की अंध भक्ति में डूबे हुए हो ? तब जाकर रविंद्रनाथ टैगोर की नीद खुली| इस काण्ड का टैगोर ने विरोध किया और नोबल पुरस्कार अंग्रेजी हुकूमत को लौटा दिया|

रबीन्द्रनाथ टागोर ने लिखा खत ओर किया इकरार

            सन1919 से पहले जितना कुछ भी रविन्द्र नाथ टैगोर ने लिखा वो अंग्रेजी सरकार के पक्ष में था और 1919 के बाद उनके लेख कुछ कुछ अंग्रेजो के खिलाफ होने लगे थे | रविन्द्र नाथ टेगोर के बहनोई,सुरेन्द्र नाथ बनर्जी लन्दन में रहते थे और ICS ऑफिसर थे| अपने बहनोई को उन्होंने एक पत्र लिखा था (ये 1919 के बाद की घटना है) | इसमें उन्होंने लिखा है कि ये गीत 'जन गण मन' अंग्रेजो के द्वारा मुझ पर दबाव डलवाकर लिखवाया गया है ,इसके शब्दों का अर्थ अच्छा नहीं है ,इस गीत को नहीं गाया जाये तो अच्छा है ,लेकिन अंत में उन्होंने लिख दिया कि इस चिठ्ठी को किसी को नहीं दिखाए क्योंकि मैं इसे सिर्फ आप तक सीमित रखना चाहता हूँ लेकिन जब कभी मेरी म्रत्यु हो जाये तो सबको बता दे | 7 अगस्त 1941 को रबिन्द्र नाथ टैगोर की मृत्यु के बाद इस पत्र को सुरेन्द्र नाथ बनर्जी ने ये पत्र सार्वजनिक किया,और सारे देश को ये कहा क़ि ये जन गन मन गीत न गाया जाये|

* नहेरु परिवार की राजनीति ओर गरम दल

                1941 तक कांग्रेस पार्टी थोड़ी उभर चुकी थी लेकिन वह दो खेमो में बट गई  जिसमे एक खेमे में बाल गंगाधर तिलक के समर्थक थे और दुसरे खेमे में मोतीलाल नेहरु के समर्थक थे मतभेद था सरकार बनाने को लेकर मोती लाल नेहरु वाला गुट चाहता था कि स्वतंत्र भारत की क्या जरूरत है, अंग्रेज तो कोई ख़राब काम कर नहीं रहे है, अगर बहुत जरूरी हुआ तो यहाँ के कुछ लोगों को साथ लेकर अंग्रेज साथ कोई संयोजक सरकार (Coalition Government) बने ,जबकि बालगंगाधर तिलक गुट वाले कहते थे कि अंग्रेजो के साथ मिलकर सरकार बनाना तो भारत के लोगों को धोखा देना है ,इस मतभेद के कारण कोंग्रेस के दो हिस्से हो गए , एक नरम दल और दूसरा गरम दल ...  

             गरम दल के नेता हर जगह वन्दे मातरम गाया करते थे  (यहाँ मैं स्पष्ट कर दूँ कि गांधीजी उस समय तक कांग्रेस की आजीवन सदस्यता से इस्तीफा दे चुके थे, वो किसी तरफ नहीं थे, लेकिन गाँधी जी दोनों पक्ष के लिए आदरणीय थे क्योंकि गाँधीजी देश के लोगों के आदरणीय थे) | लेकिन नरम दल वाले ज्यादातर अंग्रेजो के साथ रहते थे, उनके साथ रहना,उनको सुनना, उनकी बैठकों में शामिल होना, हर समय अंग्रेजो से समझौते में रहते थे

* शुरू हो गई राजनीती

            वन्देमातरम से अंग्रेजो को बहुत चिढ होती थी | नरम दल वाले गरम दल को चिढाने के लिए 1911 में लिखा गया गीत"जन गण मन"गाया करते थे और गरम दल वाले"वन्दे मातरम" | नरम दल वाले अंग्रेजों के समर्थक थे और अंग्रेजों को ये गीत पसंद नहीं था तो अंग्रेजों के कहने पर नरम दल वालों ने उस समय एक हवा उड़ा दी कि मुसलमानों को वन्दे मातरम नहीं गाना चाहिए क्यों कि इसमें बुतपरस्ती(मूर्ति पूजा) है | उस समय मुस्लिम लीग भी बन गई थी जिसके प्रमुख मोहम्मद अली जिन्ना थे, उन्होंने भी इसका विरोध करना शुरू कर दिया

* एक संसद ने प्रस्ताव नहीं माना वो थे जवाहरलाल नहेरु

              जब भारत सन1947 में स्वतंत्र हो गया तो संविधान सभा की बहस चली , संविधान सभा के 319 में से318 सांसद ऐसे थे जिन्होंने बंकिम बाबु द्वारा लिखित वन्देमातरम को राष्ट्र गान स्वीकार करने पर सहमति जताई, बस एक सांसद ने इस प्रस्ताव को नहीं माना| और उस एक सांसद का नाम था पंडित जवाहर लाल नेहरु,अब इस झगडे का फैसला कौन करे, तो वे पहुचे गाँधीजी के पास ,गाँधीजी ने कहा कि जन गन मन के पक्ष में तो मैं भी नहीं हूँ और तुम (नेहरु ) वन्देमातरम के पक्ष में नहीं हो तो कोई तीसरा गीत तैयार किया जाये, तो महात्मा गाँधी ने तीसरा विकल्प झंडा गान के रूप में दिया "विजयी विश्व तिरंगा प्यारा झंडा ऊँचा रहे हमारा" |

* आखिर बन गया अंग्रेज़ो का प्यारा गीत हमारा राष्ट्रगान

                 लेकिन नेहरु जी उस पर भी तैयार नहीं हुए |नेहरु जी का तर्क था कि झंडा गान ओर्केस्ट्रा पर नहीं बज सकता और जन-गण-मन ओर्केस्ट्रा पर बज सकता है | उस समय बात नहीं बनी तो नेहरु जी ने इस मुद्दे को गाँधी जी की मृत्यु तक टाले रखा और उनकी मृत्यु के बाद नेहरु जी ने जन-गण-मन को राष्ट्र गान घोषित कर दिया और जबरदस्ती भारतीयों पर इसे थोप दिया गया जबकि इसके जो बोल है उनका अर्थ कुछ और ही कहानी प्रस्तुत करते है, और दूसरा पक्ष नाराज न हो इसलिए वन्दे मातरम को राष्ट्रगीत बना दिया गया लेकिन कभी गाया नहीं गया |नेहरु जी कोई ऐसा काम नहीं करना चाहते थे जिससे कि अंग्रेजों के दिल को चोट पहुंचे| जन-गण-मन को इसलिए प्राथमिकता दी गयी क्योंकि वो अंग्रेजों की भक्ति में गाया गया गीत था और वन्देमातरम इसलिए पीछे रह गया क्योंकि इस गीत से अंगेजों को दर्द होता था |  

तो ये इतिहास है वन्दे मातरम का और जन गण मन का | अब ये आप को तय करना है कि आपको क्या गाना है ?

जय हिंद

राजीव दीक्षित


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Thursday, July 4, 2013

हिन्दू सेना द्वारा राष्ट्रपती को इशरत जहाँ मामले मे लिखा खत पढ़िये

            " इशरत जहाँ " केस मे सीबीआई का गलत रुख कई लोगो को परेशान कर रहा है तो एक बार फिर सीबीआई साबित करने पर तुली हुई है की उससे ज्यादा सरकार का "वफादार तोता" कोई ओर हो ही नहीं सकता | "  
 
          " पहले सीबीआई से जनता डरती थी मगर अब सीबीआई का मतलब हो गया है लालची ,अरे कुछ लोग तो यहाँ तक कहते है की सीबीआई मे ओर किसी चौराहे पर खड़े आरटीओ मे कुछ फर्क नहीं है ....ओर जो फर्क है वो सिर्फ इतना है की एक महज 50 रुपये मे बिक जाता है दूसरा करोड़ो मे | "
 
        " आइये देखते है स सीबीआई के बारे मे हिन्दुसेना ने महामहिम प्रणब द को खत के जरिये क्या कहा है .... ये खत पढ़कर एक बात मै कहेना चाहूँगा की बहुत ही बढ़िया काम किया है विष्णु जी ने ओर ऐसा ही काम हम सबको करना चाहिए तभी जाकर बदलाव आ सकता है | "
 

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अगर पढ़ने मे दिक्कत है तो बताए जरूर
 
                      " मै तो हृदय से विष्णु जी के साथ हु क्यू की बात यहाँ "सच्चाई" की हो रही है ....मगर आप ? क्या आप विष्णु जी के साथ है ? "
 
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