वो हमारे सीतम को भूल जाते है
और हम उन्हें रोज मारते है ,
उनकी आदत है भूलने की ,
हमारी आदत है मारने की ,
५ साल में हम एक बार मांगते है ,
और वो ५ साल तक मांगते है ,
तुलसी, वो लोन लेने रोज नयी बेंक ढूँढते है ,
हम पैसे रखने रोज नयी बैंक ढूँढते है ,
वो मुझे मारने के लिए जरिया बनाते है कानून को
मग़र रोज उसे ही मारता है कानून ,
मै जब चाहे किसे भी फंसा सकता हु कानून के दायरे में ,
और मै सिर्फ ५ साल में एक बार फंसता हु जनता के दायरे में ,
मै फिर नए वादे करता हु ,
मग़र वो भूल जाता है ,
मेरा वादा सपनों की तरहा है ,
उनका मेरी तरफ का गुस्सा भी तो सपनों की तरहा है ,
तुलसी, ना मेरा वादा सच में परिवर्तित होता है ,
ना ही उनका कोई आन्दोलन सच में परिवर्तित होता है ,
भ्रष्ट हु मै , मुझे कोई हरा नहीं सकता
क्यु की ?
सिस्टम जो मेरे हाथ में है ....................
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गजब के ताल - मेल और जनता बेक़सूर भला करे क्या ?
ReplyDeletesahi baat.
ReplyDeletevah, kiya bat kahi.
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