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Friday, March 23, 2012

" रिश्वत देना तो खुद पापा ने सिखाया |"

कंधो को किताबो के बोज ने झुकाया ,
रिश्वत देना तो खुद पापा ने सिखाया ,
९९% मार्क्स लाओगे तो घडी ...वर्ना छड़ी

" यही है हमारे भ्रष्ट सिस्टम की नीव क्यु की हम खुद ही हमारे बच्चों को रिश्वत देना सीखा रहे है और बच्चों को हमारी तरफ से दी गई रिश्वत को एक प्यारा सा नाम दे रहे है ...बक्षीश ,इनाम , अवार्ड ...कमाल है क्या आपकी और से आपके बच्चों को अच्छे मार्क्स लाने के लिए दिए जा रहे बक्षीश को रिश्वत नहीं कहा जाता ...ये तो सरासर एक रिश्वत ही हुई काहिर जो भी हो मग़र डाबर जन्म घूटी की तरह आप ही अपने बच्चो को रिश्वत की घुटी पिला रहे है ये तो तय है और ताजुब तो तब होता है जब जो माँ बाप अपने बच्चो को रिश्वत लेना और देना सिखाते है वही माँ बाप जोर जोर से " भ्रस्टाचार मिटाओ " के नारे लगाते है ...या यूँ कहे की नारे लगाते फिर रहे है "

* क्या सिस्टम ऐसे बदलेगी ?
"सिर्फ जोर जोर से "भ्रष्टाचार मिटाओ "के नारे लगाने से या फिर बड़े बड़े मोर्चे निकालने से इस सड़ी हुई सिस्टम को आप बदल नहीं सकते और इस सिस्टम को तब तक आप बदल नहीं सकते हो जब तक अपने आप में बदलाव नहीं लाते है ..खुद को बदलना पड़ेगा सिस्टम अपने आप बदल जायेगा ..इस सिस्टम को बदलने का मैंने ..आपने ..हम सब भारतवासियों ने प्रयत्न किया भी है मग़र परिणाम हमारे सामने है की हम आज तक ना ही विदेश में पड़ा कालाधन वापस ला सके और नहीं शशक्त लोकपाल ला सके क्यु की अभी तक हम अपने आप को बदल नहीं सके है वर्ना किसकी मजाल है की १२० करोड़ की आबादी पर चंद संसद मनमानी करे "

* सिस्टम ..क्या है ये सिस्टम ?
" सिस्टम आप ही से बनता है ..समाज से बनता है सिस्टम ...जनता से बनता है सिस्टम और जब तक हम ..ये समाज ..ये जनता अपने आप में बदलाव नहीं करते है तब तक ये भ्रष्ट सिस्टम हमें निगलती ही रहेगी ..याद रहे मै से हम होता है ..हम से मै नहीं ..हम से जनता होती है ..और जनता से ये सरकार होती है जिसे हम सिस्टम कहते है ....मै कभी झूठ नहीं बोलता हु कहनेवाला सबसे बड़ा झूठा है क्यु की देश में फैले भ्रष्टाचार के खिलाफ आज भी उसकी जुबान बंद है और सिस्टम बदलने की बात कर रहे है "

* पिलाओ ..और सुनो
" पिलाओ और पिलाओ अपने बच्चो को ये भ्रष्ट घुटी और चुप रहो भ्रस्टाचार के खिलाफ ..क्यु की भ्रस्टाचार मिटाने के लिए ऐसे लोगो की जरूरत होती है जो खुद को बदल सके और वही कहे सकते है सिस्टम बदलनी है और बाकी लोग उस दिन का इंतज़ार करे जिस दिन उनका बेटा बड़ा होकर कहे की "रिश्वत देना तो खुद पापा ने सिखाया "

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2 comments:

  1. बात तो विचारणीय है।

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  2. kahte hay ki badla mat lo badal ke dikho, par ab to hum sabhi bharat vasi badla bhi lenge aur badl kar bi dikhyge, 2014 ke election aane do, sali congress ko jad se ukhd fekege.

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