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Monday, November 28, 2011

भारतीय आत्मा तुस्सी ग्रेट हो : चित्रगुप्त ( व्यंग )



" सभी आत्मा ये एक कतार में खड़ी थी और "चित्रगुप्त "का इंतज़ार हो रहा था ..यमराज और यमदूत के पास वक़्त नहीं था उतना काम उनके पास था और तभी " चित्रगुप्त जी " का आगमन हुवा और आगे की कार्यवाही शुरू हुई ..सारी दुनिया की आत्मा के किस्मत का फैसला होनेवाला था की किसको स्वर्ग मीले किसको नरक ? ..चित्रगुप्त जी ने शांति पूर्वक अपनी किस्मत वाली किताब निकाली और फैसला सुनाने लगे ज्यादातर आत्मा नरक में ही जा रही थी ..की अचानक यमदूत एक आत्मा को "पृथ्वी लोक" से लेकर आये .."ये आत्मा कहाँ से आई है " यमराज ने पुछा तो यमदूत ने यमराज को सलाम करके कहा " हुजुर ,ये आत्मा पृथ्वी लोक के भारत देश से आई है |"

" भारत का नाम सुनते ही एक विदेशी आत्मा जिसे स्वर्ग मिला था वो दौड़कर भारतीय आत्मा के पास आई और भारतीय आत्मा के पैर छुकर उसके हाथ को चूमने लगी ये देखकर "चित्रगुप्त " को गुस्सा आया और बोले " पैर भगवान के छुए जाते है और हाथ भी भगवान के चूमे जाते है और तुम्हारी इतनी हिम्मत की "देवलोक" में आकर भी एक आत्मा के हाथ चूम रहे हो जो भारत देश से आई है ..तुम्हारी इस हरकत की तुम्हे सजा जरूर मिलेगी और तुम्हारी सजा ये है की तुम अब स्वर्ग लोक में नहीं मग़र नरक में जाओ |"...उस पर वो विदेशी आत्मा हसने लगी और बोली "मुझे मंजूर है मग़र भारत देश से आई हर आत्मा का हाथ मै इसी तरह चूमता रहूँगा "..तो चित्रगुप्त ने उस बात का जब करना पूछा तो विदेशी आत्मा बोली " प्रभु ,मै स्विटज़रलेंड में रहेता था और मेरे जीवन में जितने भी मुझे सुख मीले है सब भारतवासियों की बदोलत ही मीले है ..इनको चुस्चुस्कर इनके नेता हमारे ही देश में जमा करते थे और उसी से हमारा देश चलता था और मै इनके सब्र को आज भी सलाम करता हु और करता रहूँगा क्यु की हर भारतवासी स्वित्ज़र्लेंद के लिए भगवान ही है |"

" चित्रगुप्त ये सुनकर हक्के बक्के रह गए और कहा " हर भारतवासी को अब से मुझे पूछे बिना ही नरक में डाल दो क्यु की अन्याय के खिलाफ चुप रहेना भी एक गुनाह ही है और भारत के नेता द्वारा जितने भी पाप हो रहे है उसके जिम्मेदार भी देशवासी ही है क्यु की वे अन्याय के खिलाफ बोलते ही नहीं है और नेता के पाप को बढ़ावा दे रहे है ...इस भारत की आत्मा को नरक में ले जाओ ....|" ...चित्रगुप्त की बात सुनकर भारत से आई आत्मा जोरो से हसने लगी ये देखकर
"चित्रगुप्त" बोले " मै तुम्हे नरक में भेज रहा हु और तुम हस रहे हो ? तुम्हे पता नहीं की नरक की यातना कितनी कठोर होती है हर चीज के लिए तुम्हे तडपना पड़ेगा |"

भारत से आई आत्मा उस बात पर हसने लगी और बोली "हमारे नेताओं के द्वारा जिन्दगी भर तो हर चीज के लिए तडपे ही है हम अब तो तड़पने की आदत सी हो गई है |"

उस पर " तुम्हे हर चीज के लिए लाइन में रखा जायेगा |"
भारत की आत्मा - " हा हा हा प्रभु ...वैसे भी जिन्दगी भर हम केरोसिन की लाइन में ही खड़े ही रहे है भारत में जहाँ भी जाओ लाइन ही लाइन है ..कोई बात नहीं हमें तो आदत सी हो गई है प्रभु | "

उस पर " तुम्हे भूखा रखा जायेगा |"
भारत की आत्मा " कोई बात नहीं प्रभु ,हमारी सरकार ने हमें उपवास करना और भूखे रहेना ...महेंगाई बढाकर सिखा ही दिया है | "

उस पर " तुम्हे आम आदमी समजा जायेगा ? "
भारत की आत्मा " हाहा ..प्रभु ये ख़िताब तो हमें हमारे देश की सरकार ने कब का दे दिया है |"

उस पर " तुम्हे सांस लेना भी मुस्किल हो जायेगा और तुम पर पाबन्दी डाली जाएगी |"
भारत की आत्मा "प्रभु ये भी हमारी सरकार कर चुकी है ..सभी पाबन्दी झेलकर ही आया हु और सरकार के कारनामे भी कुछ ऐसे थे की जनता सांस भी नहीं ले सकती थी |"

"भारत से आई आत्मा के जवाब सुनकर चित्रगुप्त को बहुत ही गुस्सा आया और उन्होंने यमदूत को आज्ञा दी की इस को डंडे घुमा घुमा कर मरे जाये ..यमदूत मोटा सा डंडा लेकर आगे आया और भारत की आत्मा पर जोरो से डंडे बरसाने लगा तो भी भारत की आत्मा मुस्कुरा रही थी ..चित्रगुप्त को ये देखकर हैरानी होने लगी आखिर कर चित्रगुप्त परेशान हो गए और "भगवान भोलेनाथ" को याद करने लगे की " प्रभु ये सब क्या हो रहा है ?" और तभी .... "

" भगवान भोलेनाथ " वहां पर हाजिर हुवे भारत की आत्मा ने भगवान भोलेनाथ को प्रणाम किया और धन्य हो गया ..तो चित्रगुप्त बोले "प्रभु ..मैंने कानून के मुताबिक इस पर सभी प्रयोग किये मग़र सभी प्रयोग नाकामयाब रहे है इस पर तो कोड़े का भी असर नहीं हो रहा है ..आखिर ये सब क्या है प्रभु ? "...भोलेनाथ ने भारत की आत्मा को कहा "अब तुम ही बताओ बेटे की तुम पर कोड़े का असर क्यु नहीं हुवा ? ..मुझे तो पता है मग़र चित्रगुप्त को पता नहीं है बेटे |"

" भारत की आत्मा ने भगवान भोले नाथ को प्रणाम किया और बोली " प्रभु चित्रगुप्त जी ,भारत की सरकार ने मुझे ये भी सिखाया है ...जब "रामलीला मैदान" में सरकार द्वारा डंडे बरसाए जा रहे थे तब मै भी वहां पर था और मैंने भी डंडे खाए थे ...सरकारी डंडे खाखाकर आदत पड़ गई है ...वो देश की सरकार के डंडे थे और आपके द्वारा बरसाए गए डंडे पुरे विश्व की सरकार के थे फर्क क्या पड़ा सरकार तो है ही ...अरे मै नरक से तो आया हु ..भारत के नेता ने भारत देश को नरक ही बना डाला है ..फिर भला मै आपके द्वारा नरक में दी जानेवाली सजा से क्यु डरु ...अब तो आदत सी हो गई है नरक में रहने की |"

" भगवान भोलेनाथ बहुत ही खुश हुवे भारत से आई आत्मा की सब्र की ताकत पर और उन्होंने भारत से आई आत्मा को आशीर्वाद देकर कहा की " जाओ बेटे मै तुम्हे स्वर्ग लोक प्रदान करता हु ..और ये वादा भी करता हु | "...और चित्रगुप्त की और देखकर भगवान भोलेनाथ बोले " चित्रगुप्त ,देखा मेरे भारत देश में रहनेवालो की सब्र की ताकत को ..और ये मेरी आज्ञा है की भारत देश से जीतनी भी आत्मा ये आये उसका पाप पुन्य ना देखा जाये और उन्हें स्वर्ग ही प्रदान किया जाये ..क्यु की भारतवासी को भारत देश की सरकार नरक की सजा दे चुकी होती है क्यु की भारत देश में जीना याने नरक में जीने जैसा ही है | "इतना कहेकर भगवन अदर्शय हो गए |"

" भारत से आई आत्मा अपनी जिंदगी में आज पहली बार मुस्कुरा रही थी और चित्रगुप्त बोल उठे " भारतीय आत्मा तुस्सी ग्रेट हो |"

नोट : यहाँ पर प्रस्तुत पोस्ट को केवल हास्य के रूप में ही ले यदि किसी के ह्रदय को किसी भी सब्द से ठेस पहुंचती है तो कृपया मुझे बताये क्यु की ये पोस्ट मैंने केवल आज के हालत पर मनोरंजन के रूप में ही लिखी है |"

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शुक्रिया गूगल

4 comments:

  1. कितने सरल शब्दों में कह दी गहरी बात

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  2. अच्छा लिखा है आपने. मात्राओ मे सुधार हो जाये तो मजा दुगुना मिले। हालांकि आपके लिये कठिन है। पर फ़िर भी दूसरो के लेखो मे मात्राओ पर ध्यान देंगे तो धीरे धीरे हो जायेगा। शुभकामनाओ सहित

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  3. " मुश्किल कुछ भी नहीं है "एश दवे" साहब और मै तो और के लेख भी पढता हु मग़र हर बार एक ही नुक्कड़ या ...गली को पकड़कर नहीं लिखता हु ..हाँ ये सही है की मेरा ग्रामर कमजोर है मग़र शायद इतना कमजोर नहीं की कोई समज ना सके :))))"
    " मेरी गलतिया बताने के लिए आपका तहे दिल से शुक्रगुजार हु ..और आगे इस बात पर मै ध्यान भी रखूँगा ....सुक्रिया सर |"

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