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Friday, October 23, 2009

" दो पल "---- एक रचना

" दो पल "

" चिंता मत कर प्यारे कल की,


सोच बस्स ! आज के इस पल की,


होती है हार एक दिन सबकी,


कोई नही इतनी पक्की |



युग युग का है तू युगंधर ,


जिन्दगी है दुःख का समंदर ,


जीना तु ये सोचकर ,


बिताना जिन्दगी तु खेलकर |



करता है बदनाम दूसरों को जमाना ,


तु है एक मुसाफिर बेगाना ,


मत खोलना फ़िर कोई मयखाना ,


बस्स ! सोच के ये तराना |



वक्त नही तेरे पास कल ,


यही है बस्स ! दुःख के पल ,


िताना तु उसको कहके चल ,


फ़िर " तुलसी " तेरे है "दो पल " | "









31 comments:

  1. वाह इतना सुंदर रचना लिखा है आपने कि आपकी तारीफ़ के लिए अल्फाज़ कम पर गए! बिल्कुल सही कहा है आपने की "चिंता मत कर कल की, बस सोच आज के इस पल की" ! बहुत ही बढ़िया लगा रचना की हर एक लाइन जो ज़िन्दगी की सच्चाई को बयान करती है! इस शानदार रचना के लिए बधाई!

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  2. तेरे है "दो पल"
    वाह यही दो पल तो हर पल का निर्धारक है

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  3. ये दो पल बहुत काम के हैं।
    "सो बरस की जिन्दगी से अच्छे है।"
    बहुत बढ़िया लिखा है!

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  4. बहुत बढ़िया दो पल...उम्दा!!

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  5. ऊंगलियां दो दिखलाई हैं

    पर पास नहीं दो पल

    रूक मत कहीं भी

    तू चला चल
    बन गंगा जल।

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  6. वक्त नही तेरे पास कल ,
    यही है बस्स ! दुःख के पल ,
    बिताना तु उसको कहके चल ,
    फ़िर " तुलसी " तेरे है "दो पल "
    बहुत सुन्दर . बहुत सुन्दर

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  7. दो उंगलियों का यह चित्र जीत के लिये प्रयुक्त किया जाता है इसका आपने सुन्दर उपयोग किया है । आखिर समय को जीत लेना सबसे बड़ी जीत है ।

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  8. bahut achi rachana he dil ko chu liya

    puri jidgi bhi kam he in do pal ke liye
    aage kya kahu koi sabd nahi he mere pass aap bahut hi acha likhte ho

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  9. सुंदर रचना है। आज की चिंता सब से अधिक आवश्यक है क्यों कि आने वाला कल आज की नींव पर ही खड़ा होता है। आज की चिंता वस्तुतः आने वाले कल की भी चिंता है।

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  10. Zindgi to vaise bhi Pal Do Pal ki hai... Phir Chinta Kahe ki Karna hai.. Shandar Rachna hai.. Khas Baat Bhasha Bahut Achchi hai... Bahut Badhai Ho...

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  11. Samay ki Takat ko bahut hi acche se likha hai....nice poem...

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  12. बहुत्5 सुन्दर सकारात्मक अभिव्यक्ति है। वर्तमान मे जीने की प्रेरना देती हुई।कई बार आदमी अतीत और भविश्य की चिन्ता मे अपने वर्तमान को भी अच्छी तरह नहीं जी पाता अतीत के दुख और भविश्य के लिये सुखों की तलाश मे ही भटकता फिरता रहता है । बहुत अच्छी रचना है बधाई

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  13. Bahut khoob...kab lauta guzra pal? Chahe gam ka pal ho chahe khushee kaa...ek hee raftar se guzarta hai..

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  14. फ़िर " तुलसी " तेरे है "दो पल " | "

    सुन्दर , अति सुन्दर...............

    बधाई.

    चन्द्र मोहन गुप्त
    जयपुर
    www.cmgupta.blogspot.com

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  15. फ़िर " तुलसी " तेरे है "दो पल " | "

    बहुत सुंदर..... बधाई !!!

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  16. " चिंता मत कर प्यारे कल की,



    सोच बस्स ! आज के इस पल की,



    होती है हार एक दिन सबकी,



    कोई इट नही इतनी पक्की |
    ati sundar .badhai ho .

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  17. उम्दा रचना
    पढ़कर आनंद आ गया

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  18. Behad sundar alfaaz aur bhaav...!

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  19. बहुत अच्छे,बधाई आपको..

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  20. "चिंता मत कर प्यारे कल की,
    सोच बस्स ! आज के इस पल की"

    बहुत सुन्दर रचना

    ये जीवन पल दो पल कहानी है
    दो पल में बीत जनि ये जिंदगानी है

    बस लिखाबट में कुछ त्रुटियों को सुधारे

    बधाई!

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  21. हार्दिक शुभ कामनाएं !
    अच्छा है अंदाज़े-बयाँ।
    सुस्वागतम्।

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  22. sachmuch "do pal"............. behatrin
    zara ise bhi dekhe

    jyotishkishore.blogspot.com par aatmvichar

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  23. सच है दो पल ख़ुशी के जीना ही जीवन है ......... अच्छा लिखा है .......

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  24. acchi soch hai aur yahi baat tareef ke qabil hai ki aap sochte accha hain aur acchi koshish karte hain.
    Gandhi ji ki post pasand aai.

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  25. wow bahut acchi end tak aate aate lab chehre pe faill gaye hai :) :)

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