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Friday, August 21, 2009

" गाँधी " तेरा राष्ट्र बिगड़ गया |

" आज गांधीजी काफी अच्छे मिजाज में बैठे थे की कुछ स्वतंत्र सेनानी वहां पर आ पहुंचे ,उनके चहेरे पर चिंता दिखाई दे रही थी गांधीजी ने कहा "कैसे आना हुवा सब कुशल मंगल तो हैं ना ? ..किसीने कुछ जवाब नही दिया ..."आप सब चुप क्यु हो ?"..चारो तरफ़ एक सन्नाटा सा था कोई कुछ बताता नही था "कुछ बोलो तो सही ? कोई तो कहो की मेरे भारतवासी कुशल तो है ? "
" एक स्वतंत्र सेनानी आगे आया, बापू के पास जाकर उसने कहा " बापू, दर्द होता है भारत का नाम सुनकर " बापू जो हमारे "राष्ट्रपिता " है ,वो ये बात सुनकर खामोश हो गए ,उनका चहेरा दर्द से उभर आया बापू के मुह से सिर्फ़ निकला एक अल्फाज़ "मेरा भारत ....",बापू ने अपने चश्मे ठीक किए ...और अपनी लाठी लेकर निकल पड़े ....स्वर्ग की एक छोटीसी खिड़की खोलकर वो "अपना भारत "देखने लगे "
"बापू ने देखा की "इश्वर अल्लाह तेरो नाम " कहेनेवाले बापू के देशवासी आज धर्म के नाम पर लड़ रहे है ...एक दुसरे की जान के दुश्मन बन बैठे है तो सिर्फ़ ये देश के नेता के कहने पर ...सायद आज उनके देशवासियोने अपनी आँख पर पट्टी बाँध दी है ...उन्हें सच और झूठ का सायद फासला दिखाई नही देता है ,सायद इस देश के वासियों को सिर्फ़ सुनाई देते है नेता के भाषण .....जगह जगह पर रिश्वत का राज चल रहा है मगर चुप है गाँधी के देशवासी .....जगह जगह गाँधी के पुतले बिठाये है मगर उन पुतलो के पैर के पास रिश्वत भी ली जाती है और बैठकर शराब भी पि जाती है ,कौन रोकता है यहाँ गुनाह करने से ? ....गाँधीजी ने तिन बंदर दिए थे सिख देने के लिए हमे ...मगर बंदर सुधर गए हम बिगड़ते गए ......जगह जगह दिखाई दिया गाँधी को सिर्फ़ बर्बादी का मेला ...दिखाई दिया की बिजली नही है मगर कोई कुछ नही कहेता नेता को ...सायद गुलामी अभी तक गई नही ..लोगो के दिमाग से ,लोगो के दिल से ....न जा ने कब ये पढ़े लिखे लोग समजेंगे की "भारत का संविधान क्या कहता है ?"
"गरीबों की हालत देखकर गांधीजी हैरान हो गए उन्होंने अपनी लाठी कसकर पकड़ी ...लम्बी साँस के साथ फ़िर देखने लगे की कैसे मर रहे है गरीब लोग ? सक्कर से लेकर आलू ,आलू से लेकर बिजली ,बिजली से लेकर नेता ...मार रहे है, मगर कुछ न करते भारत के नागरिक को देख रहे थे बापू....सायद,बापू के दिल को दर्द हो रहा था...."
"क्यु गाँधी दर्द हुवा ?" एक अंग्रेज बोला ,बापू चुप खड़े थे ..यही सोचते की "क्या मैंने इन लोगो के लिए अपनी छाती पर गोली खाई ? क्या इन लोगो के लिए मैंने सत्याग्रह किया था ,जो अभीभी गुलामी की जंजीरों में कैद है ? जो अपने हक के लिए आवाज़ नही उठा सकते है वैसे लोगो के लिए मैंने किया था जेल भरो आन्दोलन ? " मज़हब नही सिखाता आपस में वैर रखना " ये बात सायद याद नही इनको ,क्या इन्ही लोगो के लिए मैंने कहा था "इश्वर अल्लाह तेरो नाम सबको सम्मति दे भगवान " "
"गांधीजी को हुवा दर्द उनके चहरे पर साफ़ नजर आ रहा था .....भारत की ये हालत देखकर ..महान भारत के राष्ट्रपिता ...याने भारत के महान सपूत महात्मा गाँधी के चश्मे के पीछे से एक गरम आंसू सिर्फ़ यही कहके गिरा " हे राम ...."
"दोस्तों इस कहानी में मैंने कही सारे सवाल उठाये है ....क्या इनका जवाब है आपके पास ....क्या गांधीजी की आँख के आंसू की कीमत आपकी नजरो में कुछ नही ? "

नोंध : इस कहानी से अगर किसीका दिल दुखता है तो हम उनकी माफ़ी मांगते है ...मगर सोचना ...ये सवालो में सचाई है आपकी कीमती टिप्पणियों के साथ हमे बताओ की इस समस्या पर हम क्या कर सकते है ? ....धन्यवाद्

------ एकसच्चाई { आवाज़ }

16 comments:

  1. बिलकुल सच्ची बात कही अपने देश की ऐसी हालत है की बापू तो क्या अब भगवान् से भी यही कहना पड़ेगा
    "देख तेरे संसार की हालत क्या हो गयी भगवान्
    कितना बदल गया इंसान"

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  2. पटेल जी आपका मुद्दा बहुत ही गंभीर है। आपके इस लेख से एक बात जो उभर के आयी वह यह है की आप बहुत पहुचे हैं। अगर देखा जाये तो गांधी जी ने जो भी बाते हमे बताई वह बहुत ही महत्वपुर्ण थी, लेकिन बदलते समाज के परिद्र्श्य ने इनके बाताये गये मार्गो को भुला दिया जो की सोचनीय है। गांधी जे ने हमारे लिए बिना हथियार उठाये ही आजादी के रास्ते को दिखाया और आजादी तक पहुचा कर ही दम लिया। लेकिन उनके जाने के बाद हम उनकी पुजा करने की बात तो दुर हम उनका नाम भी इज्जत से लेना मुनासिब नही समझते। आपने अपने लेख से इस गहन मुद्दे को सामने लाया जो की अगर देखा जाये तो जरुरी भी था। एक शानदार और जागरुकता से भरे लेख के लिए बधाई देता हूं।

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  3. gajab ka aagaj hai aap ki lekhani me |
    gandhijee ki ashuon ki kimat laga pana kathin hai

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  4. बापू ही क्यूँ ?

    उन लाखों स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की आत्मा आज भारत की हालत देख रोती होगी I
    क्या ऐसे ही स्वतंत्र भारत देश की कल्पना कर उन्होंने अपना जीवन होम कर दिया !

    आजादी के बाद सिर्फ इतना ही परिवर्तन प्रतीत होता है मानो गोरे अंग्रेज चले गए और काले अंग्रेज आ गए !

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  5. ये खेल तो गाँधी के सामने ही शुरू हो गया था विभाजन की आग आज भी धह्धक रही है

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  6. शानदार लेख से दिल दुखना ही चाहिए ..देश की हालत देखकर ...इतनी कुर्बानियाँ ,इतना त्याग सब यूँ ही जाया होता रहेगा ??

    उम्दा ,जागरूकता ,जगाता लेख !!

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  7. बिल्कुल सही फ़रमाया आपने ! देश की जो हालात दिखाई दे रही है उससे बहुत दर्द होता है ! बहुत ही अच्छा और शानदार लेख लिखा है आपने! इस बेहतरीन लेख के लिए बधाई!

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  8. bhut achchha likha hai
    pad kar sochne par majboor ho gai

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  9. बहुत बढ़िया लिखा है दोस्त आपकी तारीफ करने के लिए शब्द नहीं है..यह सच है की गाँधी के सपनो ने दम तोड़ दिया है...बजह हम सबको पता है..
    बहुत खूब

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  10. SACH MEIN .......... GAANDHI JI AGAR AAJ BHAARAT KE HAALAAT DEKHNE KO JINDA HITE TO JEETE JI MAR GAYE HOTE ..... BAHOOT HI LAJAWAAB ....... SATY AUR SAARTHAK LIKHA HAI ........... MAN MEIN SEEDHE UTARNE WAALA ...........

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  11. Sahee hai..kayiyon kee atma tadap uthatee hai...lekin lok tantr me log hee in baton ke liye zimmedaar hote hain..log jagruk nahee,ya haath pe haath dhare baithe rahen,to kya hoga? Desh to hamara hai...koyee bahar se aake to ise sudharne wala nahee..!

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  12. " dhanyawad dosto ki aap sabke dil me aaj bhi GANDHIJI ke liye pyar hai ....." eksacchai " ki puri team aapki her comment ke liye tahe dil se aap sab ka sukriya ada karti hai ...dhanyawad dosto ek baar mere saath kaho "

    " VANDE MATARAM "

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  13. बहुत सही सवाल हैं और हर नागरिक के मन मे उठते हैं मगर जवाब कोई नहीं दे पाता क्या आपके पास जवाब है इसका तो कृप्या उस जवाब को जरूर लिखे ताकि गाँधी जी को कुछ तो ढाढस मिले कि कोई ऎख माई का लाल है जो इस दशा को सुधारना चाहता है और सुझाव भी जरूर लिख। देश की दशा और दिशा के बारे मे बहुत पढा सुना और देखा जा रहा हैअब कोई ऐसा मसीहा चाहिये जो अँगुली पकड कर पार लगा दे बधाई बडिया आलेख है

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  14. It's not only Mr.Tulshi Patel's Thoughts but AWAZ of every Indians but says only Mr.Tulshibhai Patel
    -Dilawar Pathan

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