" बीवी को बिना बताये देर से घर लौटना गुनाह है |"
" लेट लतीफों ..सावधान रहेना ...और सुधर जाओ ...हर रोज़ देर से घर मत आओ |"
" मुंबई हाई कोर्ट ने कहा की " बीवी " को बिना बताये हर रोज़ देर रात घर लौटना मतलब बीवी परआप जुल्म कर रहे हो | हाई कोर्ट की डिविजन बैंच ने कहा की जिन्दगी में ऐसी घटना याने अपनी बीवी पर आप जुल्म कर रहे है ...कम से कम आप अपनी बीवी को फ़ोन करके उसे अपनी देर से आने की वजह बता दे ,ताकि बीवी घर पर बैठी व्यर्थ चिंता ना करे ....| "
" आपकी बीवी आपकी चिंता में आधी रात तक इंतज़ार करती रहे और आप ...बादशाह की तरह देर रात घर लौटे ये तो सरासर अन्याय ही है .....उसको भी हक है ..आप से ये पूछने का की आप क्या कर रहे थे इतनी रात ? ऐसा कौनसा काम आ पड़ा था ? ...."
" कोर्ट ने ये भी कहा की " मिया बीवी एक दुसरे के व्यव्हार प्रति प्रश्न कर सकते है और अगर वक्त ही ऐसा हो तो बीवी अपने पती पर भी शंका कर सकती है |"
" चलो ये भी अच्छा हुवा " औरत को कही न कही एक नया, कानून का आदेश तो मिला |अब नही करेंगी वो जुल्म का सामना ....आप बच सकते है ..सिर्फ़ और सिर्फ़ अपनी बीवी को अपने देर से घर आने की सच्ची वजह बता कर ..आज कल मोबाइल फ़ोन की तो सुविधा है ...फ़िर क्यों नही करते है आप फ़ोन ? "
"दोस्तों, औरत ...अपने सुख और दुःख का साथी है ...और ये भी सही है की बिना वजह हम अपनी बीवी को क्यों परेशां करे ...जो भी बात हो उसके पास बैठकर ..उसके साथ बांटो ..... परिवार के सुख के लिए कामना करनेवाली बीवी से हम इतना तो कहे सकते है की ...आज ..मुझे घर आने में देरी होगी |"
" धन्यवाद मुंबई हाई कोर्ट "
ये फैसला तो सचमुच क्रांतिकारी है.
ReplyDeleteलेकिन क्या पुरुषों पर ही लागु होता है?
ये भी विचारनीय है.
ab to manna padega baadshahon ko,lekin dono ke liye hona chahiye
ReplyDeleteहा हा हा ...बहुत ही रोचक खबर दी आपने.
ReplyDeleteजानकारी के लिए शुक्रिया.
क्रांतिकारी फैसला है.........
ReplyDeleteभाई जी मैं तो पुरी तरह से सहमत हूँ अदालत के फैसले से। अच्छी जानकारी के लिए आभार
ReplyDeletehi
ReplyDeletebahut cah likha he
ye to hona hi cahiye tha orat ko bhi to kuch huk he
वाह बहुत बढ़िया! अच्छी जानकारी प्राप्त हुई आपके पोस्ट के दौरान!
ReplyDeleteमेरी नई कविता और शायरी पढियेगा ! आपकी टिपण्णी का इंतज़ार रहेगा!
Bahut mahatwapurn jankari di apne. bahut khoob.
ReplyDeleteफैसला तो जो उचित होता है वही दिया जाता है,
ReplyDeleteप्रश्न अनुपालना का है. क्या ऑफिस, फैक्ट्री, दुकान वाले आठ घंटे काम करा कर ही छोड़ देगें घर जाने के लिए,
रास्ते में ट्राफिक जाम, ट्राफिक इंसपेक्टर देर न करा देगें ,
खैर हम इंसानों को रोज ही जहाँ इतने कानून से दो-चार होना पड़ता है, एक और सही...................
होहिये वही जो राम रचि राखा.
फिर क्या डरना.
चन्द्र मोहन गुप्त
जयपुर
www.cmgupta.blogspot.com
bada uchit faisla hai........
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