" मै गुजराती ....मै मराठी ....मै पंजाबी ....मै यू .पी वाला ...मै फलाना ...मै ठिमका आज कल यही भाषा चारो और बोली जा रही है और भूल रहे है हम लोग की "हम हिन्दुस्तानी "है |चंद नेता लोगो ने क्या बोल दिया की हम लोग भूल गए की हम हिन्दुस्तानी है |हम लोगो को एक दुसरे पर विश्वास नही मगर नेता लोगो के भड़काऊ भाषण पर विश्वास है,कभी कोई नेता मजहब पर भाषण देकर लड़वाता है ,तो कभी कोई नेता तू मराठी ,तू कन्नड़ , तू पंजाबी कहकर लड़वाता है ...आख़िर इन बातो से होगा क्या ? शायद देश के टुकड़े ...जाने भी दो ..अरे जब नही समज रहे है हम इन नेता लोगो के इरादे तभी तो कहेलाता है की " मेरा भारत महान "|"
"हम भारत के रहनेवालों को आदत हो गई है की जितना हमे नेता लोग कहेंगे उतना ही हम सच मानते है फ़िर चाहे सच्चाई हम अपनी आँखों से क्यों न देख रहे हो ..हमे तो अपनी आँखों पर भी विश्वास नही है |नेता कहते है की भारत ग्रोथ कर रहा है ..मगर किस बात का ग्रोथ .?..." रिश्वत खोरी का "? .. |"
"प्रांतवाद चला रहे नेता का कहेना क्या सही है ? जरा सोचियेगा ?और अगर सही है ...तो फ़िर उपर दिखाई गई तस्वीर आपको बहुत जल्द सच में परिवर्तित होते दिखाई देगी |मत मानना नेता लोगो का कहेना ये लोगो को सिर्फ़ कुर्शी दिखाई देती है हमारी समस्या ऐ नही ..दिखाई देती है उनको एशो आराम भरी जिन्दगी मगर भारत में बढती गरीबी नही | अनाप सनाप बोल कर ये लोग सस्ती पब्लिसिटी पाने की लालसा रखते है और हम लोग उनकी बातों को लेकर आपस में लडाई चालू कर देते है |"
" इन तस्वीरों को गौर से देखना ..ये तस्वीर नही बल्कि भारत की हकीकत है ..ऐसे नज़ारे आपको भी देखने को मिलेंगे भारत की हर सड़क पर ....और हमारी सरकार और हमारे नेता कहते है की गरीबी हटाव ....अब इन्हे क्या कहे हम गरीबी हटाव या गरीब हटाव |"
" अगर आपसे कोई ५० रुपये उधार लेकर नही लौटाता है, तो आप उसे बिच बाज़ार में रोककर पूछते है की वोह पैसे कब लौटायेगा मगर जब कोई नेता देश के याने हमारे ५०० करोड़ रुपये खा जाता है तो उसे कोई नही पूछता ?और कहते है की ऐसे मामलो के लिए कोर्ट है ,मगर कभी आपने सुना की कोई नेता को कोर्ट ने दोषी करार दिया हो ?"
" ये जो लास्ट तस्वीर देख रहे है न वो तस्वीर है हमारे महान भारत के भविष्य की ,मै जानता हु की मेरी यह पोस्ट पढ़कर आप सब की क्या प्रतिक्रिया होगी ...कोई कहेगा की मैंने सही कहा है ..तो कोई कहेगा की मै ग़लत हु |कोई "वन्देमातरम "के ख़िलाफ़ जा रहा है ,तो कोई प्रांतवाद के चक्कर में पड़ा है ...और इन सभी का natija सायद यही होगा की मेरे प्यारे देश भारत ...हिंदुस्तान के टुकड़े |क्यों की हमे वही दीखता है ,जो नेता दिखाते है और वही सुनाई देता है जो नेता बोलते है ....यही सच्चाई है हमारे हिंदुस्तान की |"
" गाँधीजी और देश की खातिर जान देनेवाले तमाम लोगो ने " वन्देमातरम " कहकर अंग्रेजों को भगाया और आज के नेता लोगो ने " वन्देमातरम " पर विवाद खड़ा कर के देश को मानो हिंदू ...मुस्लिम के टुकडो में बाँट दिया और बाकी रह गया अब प्रांतवाद ने जन्म लिया एक नेता के मुख से |"
"मेरे भारत देश की लिलामी चालू हो गई है ,आपको बोली लगानी हो तो आ जाओ ..आप भी बोली लगा सकते है मगर पहले कोई चुनाव जीत कर आना क्यों की " मेरे प्रिय भारत की बोली सिर्फ़ और सिर्फ़ नेता ही लगा सकते है "|
--- thanx for photo's " google "
sach hai, pata nahi abhi kitane hisse aur honge is desh ke...
ReplyDeleteआँख खोल कर देखिये.... गरीबी हट रही है....मधु कोडा जैसा भिखारी भी आज हज़ारों करोड में खेल रहा है... सुखराम जैसे कई सुख की नींद सो रहे हैं..... तो रोना क्या है भाई :(
ReplyDeleteस्तब्ध हूँ आपके लेख से । आपने जिस बेबाकी से अपनी बात कहीं वह लाजवाब रहा । बहुत ही उम्दा रचना लगी आपकी । बधाई
ReplyDeletebahoot hi bebaak, spasht, karaara lekh ... krodh ko jaise kaagaz par utaar diya aapne ... kamaal ka likha hai ... sab sach likh hai ...
ReplyDeleteबहुत सही पोस्ट लगाई है आपने!
ReplyDeleteयह खेल तो आजादी के बाद से ही
हमारे देश में खेला जा रहा है।
bahut hi bebaak, kharaa aur acchcha laga yeh aalekh....
ReplyDeletebadhai....
ये भस्मासुर पाँच साल के लिए हम ही चुनते हैं और फ़िर ये हमारे सर पर हाथ फ़ेरने मे ही अपनी पुरी ताकत लगा देते हैं।
ReplyDeleteआपने सही बात कही है।
ये मुट्ठी भर लोगों को अब बताने का समय आ गया है ....चेत जाओ वरना तुम्हारी खैर नहीं
ReplyDeleteआजकल नेता की परिभाषा ही बदल गयी है ....पर हमें उनकी राजनीति को समझना चाहिए ...
ReplyDeletebahut katu satya hai ye
ReplyDeleteneta bane hi desh ko nilaam karne ke liye hai
agar me bhi neta hota to sayad nilami me bhaag leta
afsos !!!!!!! nahi
sayad main khus kismat hoo ki kam se kam main iska hissa nahi hooo
desh ke batware abhi baki hai
kyoki abhi neta bahut baki hai
jis din nata giri khatam
samjho desh ka uddhaar ho jayega
बहुत ही बढ़िया और कमाल का लिखा है आपने! पता नहीं कब हमारे देश में ये खेल समाप्त होगा! इस लाजवाब और बेहतरीन पोस्ट के लिए बहुत बहुत बधाई!
ReplyDeleteHam barsonse bhool chuke hain, khudko kewal Hindustani kahna...soobon me bant gaye hain.."Hidi hain, watan hai Histostaan hamara..",bas yahee ek seekh seekhnee chahiye..aalekh bada achha hai..
ReplyDeletehttp://shamasansmaran.blogspot.com
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हम पंजाबी ,मराठी बंगाली मद्रासी हैं
ReplyDeleteकब कहना सीखोगे हम सब भारत वासी हैं
अलगाव वाद की बात को जितना उछाला जायेगा उतनी ही देश के लिये घातक है। सब को मिलजुल कर रहने मे ही देश का हित है। फिर ये दुशम्न की चाल है कि हिन्दू मुस्लिम दोनो को भडकाया जाये और वो इसे सफल बनाने के लिये कुछ भी कर सकता है। बहुत अच्छा आलेख है शुभकामनायें
आज तो हिला कर रख दिया दोस्त.......ये दर्द आप का अपना नहीं है वल्कि करोडो भारत वासियों को भी है.हम सिर्फ सोचंते थे ...आपने उस सोच को इतने खुबसूरत शब्दों में पिरो कर पेश किया है.की में पुरे आलेख को एक सास में पढ़ गया ......सुंदर चित्रों से सजा ये आलेख मिल का पत्थर है..............
ReplyDeleteआशा है आगे भी आप ऐसी ही पठनीय रचनाएं लिखते रहेंगे !
कमाल का लेखन है , सभी आपसे सहमत होंगे .. पर इसके बावजूद सही दिशा में प्रगति के लिए उठाने को कोई पहल नहीं हो रही है !!
ReplyDeleteतस्वीर बहुत कुछ बोल गईं... वाकई आपके लेख ने आंखे खोल दीं... नेता कौड़ियों में खेल रहे हैं.. और आज भी कई ऐसे लोग हैं... जो भूखे पेट सो रहे हैं... काश आपका लेख राज ठाकरे जैसे इंसान भी पढ़ते... तो कम से कम देशभक्ति की परिभाषा समझ जाते...
ReplyDeleteसोई हुई चेतना को जाग्रत करता लेख.
ReplyDeleteलेकिन इन नेताओं की चेतना कब जागेगी , पता नहीं.
इस साहसपूर्ण रचना के लिए बधाई.
हकीकत से आँखें मिलाती आपकी रचना पसन्द आयी। हालात तो सचमुच दिन प्रतिदिन बिगड़ते जा रहे हैं।
ReplyDeleteबस यही कह सकता हूँ कि -
बिजलियाँ गिर रहीं घर पे न बिजली घर तलक आयी।
बनाते घर हजारों जो उसी ने छत नहीं पायी।
है कैसा दौर मँहगीं मुर्गियाँ हैं आदमी से अब,
करे मेहनत उसी ने पेट भर रोटी नहीं खायी।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
गाँधीजी और देश की खातिर जान देनेवाले तमाम लोगो ने " वन्देमातरम " कहकर अंग्रेजों को भगाया और आज के नेता लोगो ने " वन्देमातरम " पर विवाद खड़ा कर के देश को मानो हिंदू ...मुस्लिम के टुकडो में बाँट दिया ....
ReplyDeleteआवाज़ काफी बुलंद है और कलम में धार भी तेज ....अब असर देखना है ......!!
हम समझते तो सब है फ़िर भी क्यों बहकावे मे आ जाते हैं.
ReplyDeleteबिल्कुल खरी बात कही है.
सही कहा आपने। भारत में मूलभूत समस्याओं की अनदेखी कर फालतू के काम ज़्यादा हो रहे है। औक राजनीति की तो हालत ही खराब है।
ReplyDeleteहर ओर मची है लूट। सब लूट रहे हैं। अच्छी पोस्ट।
ReplyDeleteठीक कहा आपने, परन्तु प्रांतवाद की समस्या तभी दूर होगी जब लोग स्वयं पंजाबी, मराठी आदि के झगड़ों से ऊपर उठेंगे | प्रांतवाद को हम छोटी छोटी घटनाओं में देख सकते हैं | आज भी बहुत से परिवार ऐसे देखे जा सकते हैं जहाँ एक लड़के और लड़की के विवाह में केवल इसलिए अड़चन पड़ती है क्योंकि वे अलग अलग प्रान्तों से सम्बन्ध रखते हैं |
ReplyDeleteमित्रो कवि हरि औम पवार के ये शब्द आपके लेख को हौसला दे रहे हैं:---
ReplyDeleteयहाँ शहिदों की पावन गाथाओं को अपमान मिला,
डाकू ने खादी पहनी तो सन्सद में सम्मान मिला!!
राजनीति में लौहपुरुष जैसा सरदार नहीं मिलता,
लाल बहादूर जैसा कोई किरदार नहीं मिलता!!
ऐरे-गेरे नत्थू-खैरे तन्त्री बनकर बैठे हैं,
जिनको जेलों में होना था मन्त्री बनकर बैठे हैं!!
आंख खुली तो पुरा भारत नाखूनों से त्रस्त मिला,
जिसको जिम्मेदारी दी वो घर भरने में मस्त मिला!!
क्या यही सपना देखा था भगत सिँह की फाँसी ने,
जागो राजघाट के गान्धी तुम्हें जगाने आया हूं!!
घायल भारत माता की तस्वीर दिखाने लाया हूं!!