" मन्दिर, मस्जिद हमने बहुत देखे ..तुजे ढूँढने की कोशिश हमने बहुत की जा जा कर मन्दिर मस्जिद देखा कही पर भी तू न मिला सिर्फ़ अलग अलग लोग मिलते थे ...मूरत तो थी ....मजार भी थी मगर तू नही था ....थी तो सिर्फ़ मन्दिर मस्जिद की चार दीवारे और अपने आप को तेरा भक्त कहनेवाले कुछ लोग "
" हे भगवान ,तेरे नाम पर आज कल मन्दिर मस्जिद वाले भी माँगने लगे है ,कभी चंदे के नाम तो कभी तेरे दर्शन करवाने के नाम पर ...तेरे करीब रहनेवाले ये लोगो को सद्बुद्धि देना भगवन नही तो तुज पर से लोगो का भरोसा उठ जाएगा क्या तेरे खजाने में खोट पड़ गई के तुजको भी चंदे की जरूरत पड़ने लगी कभी निच्चे झांककर देखना ये गरीब लोग.... तेरे चाहनेवाले किस कदर तेरे ....तेरे पास आकर लुटे जाते है फ़िर भी तुजे लगे के ये ठीक हो रहा है .....तेरे पुजारी ..लोगो को लुट ते है वो ठीक है तो तो .....हमे लुटाने में कोई हर्ज नही ....अगर ये ग़लत है तो फ़िर तू चुपचाप बैठा है क्यों ?"
" क्या मन्दिर ,मस्जिद की चार दिवारी में नही है तू ? क्या हम गरीब तेरे चाहनेवाले बिना पैसे तेरे दर्शन नही कर सकते ?सायद तेरे खजाने में कुछ कमी है वरना तू गरीब को कभी तरसता नही "
" कहाँ है तू ? सुना था की तू करुना का सागर है , तू दयावान है ,भक्तों का तारणहार है और अगर है भी तो फ़िर कहा है तू ? कभी धरती पर आकर देखना fursat में तेरे नाम पर ये लोग क्या क्या khel खेलते है ? "
Tuesday, June 30, 2009
Monday, June 29, 2009
क्या हमे भी पानी मिलेगा ?
" हमने चुने हुवे हमारे नेता को कभी देखा आपने ?सभा हो या फ़िर ओपनिंग सब बराबर काम करते है ये लोग ५ बरस में एक बार दर्शन देकर गायब हो जाते है और अपने आप को जनता का सेवक कहलाते है |बारिश में बाढ़ आए तो हेलीकॉप्टर से निरिक्षण करनेवाले क्या जानेंगे की सेवा क्या होती है ? बाढ़ में लोग मरते है तो ये लोग सहाय घोषित करते है ,मगर क्या ये सहाय गरीबो तक जाती है ?...नही ..नही जाती है गरीबो तक ये सहाय ..अरे ये सहाय तो जाती है उनकी अपनी जेब में | गरीब मरे तो मरे अपनी जेब भरनी चाहिए |"
" कभी इन्होने देखा है की उनको चुनकर देनेवाली जनता का क्या हाल है ? जनता ....आ जाती है इनके जुठे वादों में और फ़िर तडपती है ५ साल के लिए भगवान मिल जाते है मगर अपने नेता नही मिलते ....पानी के लिए तडपती जनता ....और नेता बिसलरी पीते है वाह रे वाह ....है ना कमाल हमारे वोट का.. अछेअछो को बदलता है हमारा कीमती वोट |फ़िर चाये आतंकी से लडाई या सौदा क्यूना करना पड़े.....भइया ये भारत है यहाँ तो ऐसा ही चलेगा ....काश गरीबो के लिए भी ये लोग कुछ करते ...वैसे बहुत कुछ करते है मगर ....कभी चावल kha जाते है ...तो कभी gaiya का ghasschara ....बहुत कुछ करते है ये लोग अरे koubhand भी तो एक जनता का काम तो है kyun ? "
" mumbai आतंकी हमारे देश के मानो mahemaan है | हम pakistan को सबूत देते रहते है और pakistan इंकार करता रहता है ....और kasab जैसे aparadhi aaram से देश की mahemaan गति मान रहे है ...हमारे जैसे गरीब मरे है ...कोई नेता का बेटा नही ...गरीबो के घर का chirag buja है किसी नेता का बेटा नही ...गरीब की माँ ने खोया है apana ladla ...नेता ने नही ...इसी लिए ही kashab हमारा mahemaaan है ..."
" ऐसे bekar नेता की वजह से ही sayad गरीबो के आंसू की kimat नही है ? ....मगर कभी कभी गरीबों के aansu भी sailab बन जाते है |"
" चलने दो ...अपने को क्या ..हम इंतज़ार करेंगे agale chunav का kyu की waade chunav में होते है ...चलो taiyar हो जाते है फ़िर से नए wade के लिए |क्या आप taiyar है ? "
हे भगवान !
"कभी कभी मुझे भी दर्द होता है ...लोग अक्सर रोते है तो दुनिया वाले कहते है की इसने बहुत ही गहरा दर्द महसूस किया होगा लेकिन कुछ लोगो को रोने के लिए बारिश के मौसम का इंतज़ार करना पड़ता है ..!ताकि उनके आंसू ये जालिम दुनियावाले देख न जाये और उसमे भी ये कम्बखत बारिश आने का नाम नही लेती |"
" दर्द को जब भी हमने दबाना चाहा दर्द ने हम पर अपना सिकंजा मजबूत ही किया था ,यकीं की दुनिया अब हमें मानो दूर लग रही थी,कही से कुछ भी सहारा नजर नही आ रहा था ....की अचानक बादल जोरोसे गरजने लगे मानो वो हमसे कुछ कहते हो ...बिजली चमकने लगी थी मानो ....मानो की भगवान किसको कितना देना है किसको नही उसका हिसाब काले काले बादल पर कर रहे हो |मै और मेरा परिवार चुपचाप बैठे थे यही सोचते की क्या सच्चाई की जित होती है ? तभी बादल फ़िर से गरज उठे और एक आवाज़ आई "ए मेरे बन्दे जो सच्चाई को गले लगाता है उसे मै भी गले से लगाता हु ,अपने दिल में झांककर देख मै तेरे दिल में ही बैठा हु " |"
" बहार आकर मैंने देखा तो जोरो की बारिश हो रही थी ..आसमान भी आज मानो खुश लग रहा था ,हम सबके चहरे पे खुसी साफ छलक रही थी क्यों की अब मेरे बच्चो को पिने का पानी मिलेगा.... पिछले ४ दिन से घर में एक बूंद भी नही था पानी ...सच में मैंने सच्चे दिल से भगवान को पुकारा था की " he bhagwan "
रेपिस्ट है या दुल्हेराजा ?
सूरत के बेशरम .....
"ना पछतावा है चहरे पर , न डर है कानून का ..कानून के रखवालोने हमको सजाया है ,इम्पोर्टेड टी-शर्ट ,पेंट और क्लींन शेव के साथ निकली है सवारी हमारी | सायद इनको डर नही है कानून का क्योंकि कानून के रखवालो के बेटे जो है , क्या कहेंगे हम इन्हे "बिगडे हुवे सहजादे " ? क्या आपको दिख रहा है कोई डर इनके चेहरे पर ? "
" इम्पोर्टेड गाडिया ,मुहमांगी पॉकेट मनी का ये रहा नतीजा साथ में था पिताजी का पॉवर ,खैर छोड़ो भी मगर क्या इनकी हैवानियत का भोग बननेवाली मासूम बच्ची को न्याय मिलेगा ? ....या फिर से एक बार दोहराना पड़ेगा की कानून अँधा होता है ? क्या कानून की देवी अपनी आँखों की पट्टी दूर कर के न्याय देगी मासूम बच्ची को ? "
" क्या कहता है आपका दिल क्या न्याय मिलेगा ? या फिर से ये पॉवर वाले अपना करिश्मा दिखायेंगे ? क्यों इन अपराधियों को क्लीन शेव , इम्पोर्टेड जींस के साथ पेश कर रहे है कानून के रखवाले ? क्यो ज्यादा रिमांड मंजूर नही करते है
Sunday, June 28, 2009
दिलसे माफ़ी चाहते है हम आपकी ...
" कुछ दिनों से हमने अपने दोस्तों से मुलाकात नही की है .... सायद ये मेरी गलती है ,मगर इस गलती के पीछे था कुछ व्यावहारिक काम ,मगर फिर भी गलती गलती होती है ...हम इस गलती की माफ़ी चाहते है"
" वादा रहा दोस्तों हम फिर जल्द ही मिलेंगे कुछ सच्चाई लेकर "
" वादा रहा दोस्तों हम फिर जल्द ही मिलेंगे कुछ सच्चाई लेकर "
Saturday, June 20, 2009
क्या ये सही है ?
" जैसे जैसे दिन गुजरते है वैसे मानो हम बदलते जा रहे है |क्या हुवा है इश्वर की खुबसूरत देन को ?....शायद इन्सान इन्सानियत को भूलता जा रहा है| "
" सुबह सुबह आनेवाला या शाम को आनेवाला अख़बार देखते ही.. दिल मानों गम की परछाई में डूब जाता है |हर पन्ने पर इन्सानियत की मौत होती है |कुछ दिन पेहले का अखबार कुछ और कहता था जिसमे छ्पा था "सूरत में ५ बजे टूशन जानेवाली लड़की का गैंग रेप | "सुबह सुबह टूशन जानेवाली लड़की अपने सहद्यायी के पास खड़ी कुछ किताबे ले रही थी की एक गाड़ी आई और उनके पास खड़ी रही |गाड़ी में से एक लड़का उतरा और अपने आप को पुलिशवाला बताने लगा |लड़की डर गई थी ....वो बदमाश ने उन दोनों को गाड़ी में बैठने को कहा और धमकाने लगे ...धमकी की असर उन दोनों पर हुई ...वो दोनों गाड़ी में बैठ गए |गाड़ी में और दो लोग थे और फिर आहिस्ता आहिस्ता उन बदमासों ने अपना असली रंग बताना चालू किया ......उनकी हैवानियत देखो की उन्होंने गाड़ी में रेप किया और और मोबाइल के जरिये वारदात का विडियो शूटिंग किया .....और वापस वही जगह धमकी के साथ छोड़ दिया जहांसे लड़की को उठाया था |रेप करनेवाले ३ हैवान पकड़े गए है और ये तीनो पुलिशवाले के बेटे है साथ में पुलिश को मिला है वो फ़ोन जिससे दरिन्दोने विडियो क्लिप ली थी |पुलिशवालो को मिला है एक पुख्ता सबूत याने वो क्लिप |"
" दो दिन बाद बारी आई राजकोट की ,..............
राजकोट में दो केस हुवे जिसे अखबारवाले सूरत से भी भयानक बता रहे है " ये दोनों केस गैंग रेप के ही है |"क्या सोच में पड़ गए ? शायद ये चिंतावाली बात है |"
" जिसके बारे में फिर कभी चर्चा करेंगे.... राजकोट ,हिमाचल प्रदेश को अभी बाकी रखो और सोचो " क्या ये सही हो रहा है ? कहाँ जा रहे है हम इन्सान ? ये संस्कार कहाँ से आते है ? कभी फुर्सत मिले तो सोचना |"
" बहुत कुछ बदल रहा है |कैसे रखेंगे मेह्फुस अपनी संस्कृति को ? क्या हम अपने बच्चो को ये सब माहोल देकर जायेंगे ?शायद हां |मगर क्या ये सही है ?"
नोट : आजकाल और सांज समाचार अखबार से ये घटनाये ली गई है |
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