सैंडर्स हत्याकांड की एफआईआर लाहौर के अनारकली थाने में 17 दिसंबर 1928 को शाम 4.30 बजे दो अज्ञात लोगों के खिलाफ दर्ज की गई थी, इसमें भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु का नाम नहीं था
लाहौर/अमृतसर - 1928 में लाहौर में एक ब्रिटिश पुलिस अधिकारी की हत्या के मामले में दर्ज एफआईआर में पाकिस्तान पुलिस को शहीद-ए-आजम भगत सिंह का नाम नहीं मिला है। भगत सिंह को फांसी दिए जाने के 83 साल बाद इस महान स्वतंत्रता सेनानी की बेगुनाही को साबित करने के लिए यह बड़ा खुलासा है।
राशिद कुरैशी ने दायर की थी याचिका
भगत सिंह मेमोरियल फाउंडेशन के अध्यक्ष इम्तियाज राशिद कुरैशी ने याचिका दायर की थी। इसमें भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु के खिलाफ तत्कालीन एसएसपी जॉन पी. सैंडर्स की हत्या के मामले में दर्ज एफआईआर की सत्यापित कॉपी मांगी गई थी।
कोर्ट के आदेश पर छानबीन
लाहौर पुलिस ने कोर्ट के आदेश पर अनारकली थाने के रिकॉर्ड की गहन छानबीन की और सैंडर्स हत्याकांड की एफआईआर ढूंढऩे में कामयाब रहे। उर्दू में लिखी यह एफआईआर अनारकली थाने में 17 दिसंबर 1928 को शाम 4.30 बजे दो अज्ञात लोगों के खिलाफ दर्ज की गई थी। इसी थाने का एक पुलिस अधिकारी इस मामले में शिकायतकर्ता था। चश्मदीद के तौर पर उसने कहा कि जिस व्यक्ति का उसने पीछा किया, वह 5 फुट 5 इंच लंबा था, हिंदू चेहरा, छोटी मूंछें और दुबली पतली और मजबूत काया थी। वह सफेद रंग का पायजामा और भूरे रंग की कमीज और काले रंग की छोटी क्रिस्टी जैसी टोपी पहने था।
केस दोबारा खोलने की मांग
कुरैशी ने लाहौर हाईकोर्ट में भी याचिका दायर की है, जिसमें भगत सिंह मामले को दोबारा खोलने की मांग की गई है। उन्होंने कहा, मैं सैंडर्स मामले में भगत सिंह की बेगुनाही को स्थापित करना चाहता हूं। लाहौर उच्च न्यायालय ने मामले को मुख्य न्यायाधीश के पास भेजा है, ताकि सुनवाई के लिए बड़ी बेंच गठित की जा सके। भगत सिंह को सैंडर्स की हत्या के आरोप में 1931 में लाहौर के शादमान चौक पर फांसी दी गई थी।
450 गवाहों की भी नहीं सुनी थी
कॉपी मिलने के बाद याचिकाकर्ता ने कहा कि भगत सिंह के मामले की सुनवाई कर रहे न्यायाधिकरण के विशेष न्यायाधीशों ने मामले के 450 गवाहों को सुने बिना तीनों को मौत की सजा सुना दी। भगत सिंह के वकीलों को जिरह का अवसर नहीं दिया गया।
तरीका बदल गया है
लाहौर/अमृतसर - 1928 में लाहौर में एक ब्रिटिश पुलिस अधिकारी की हत्या के मामले में दर्ज एफआईआर में पाकिस्तान पुलिस को शहीद-ए-आजम भगत सिंह का नाम नहीं मिला है। भगत सिंह को फांसी दिए जाने के 83 साल बाद इस महान स्वतंत्रता सेनानी की बेगुनाही को साबित करने के लिए यह बड़ा खुलासा है।
राशिद कुरैशी ने दायर की थी याचिका
भगत सिंह मेमोरियल फाउंडेशन के अध्यक्ष इम्तियाज राशिद कुरैशी ने याचिका दायर की थी। इसमें भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु के खिलाफ तत्कालीन एसएसपी जॉन पी. सैंडर्स की हत्या के मामले में दर्ज एफआईआर की सत्यापित कॉपी मांगी गई थी।
कोर्ट के आदेश पर छानबीन
लाहौर पुलिस ने कोर्ट के आदेश पर अनारकली थाने के रिकॉर्ड की गहन छानबीन की और सैंडर्स हत्याकांड की एफआईआर ढूंढऩे में कामयाब रहे। उर्दू में लिखी यह एफआईआर अनारकली थाने में 17 दिसंबर 1928 को शाम 4.30 बजे दो अज्ञात लोगों के खिलाफ दर्ज की गई थी। इसी थाने का एक पुलिस अधिकारी इस मामले में शिकायतकर्ता था। चश्मदीद के तौर पर उसने कहा कि जिस व्यक्ति का उसने पीछा किया, वह 5 फुट 5 इंच लंबा था, हिंदू चेहरा, छोटी मूंछें और दुबली पतली और मजबूत काया थी। वह सफेद रंग का पायजामा और भूरे रंग की कमीज और काले रंग की छोटी क्रिस्टी जैसी टोपी पहने था।
केस दोबारा खोलने की मांग
कुरैशी ने लाहौर हाईकोर्ट में भी याचिका दायर की है, जिसमें भगत सिंह मामले को दोबारा खोलने की मांग की गई है। उन्होंने कहा, मैं सैंडर्स मामले में भगत सिंह की बेगुनाही को स्थापित करना चाहता हूं। लाहौर उच्च न्यायालय ने मामले को मुख्य न्यायाधीश के पास भेजा है, ताकि सुनवाई के लिए बड़ी बेंच गठित की जा सके। भगत सिंह को सैंडर्स की हत्या के आरोप में 1931 में लाहौर के शादमान चौक पर फांसी दी गई थी।
450 गवाहों की भी नहीं सुनी थी
कॉपी मिलने के बाद याचिकाकर्ता ने कहा कि भगत सिंह के मामले की सुनवाई कर रहे न्यायाधिकरण के विशेष न्यायाधीशों ने मामले के 450 गवाहों को सुने बिना तीनों को मौत की सजा सुना दी। भगत सिंह के वकीलों को जिरह का अवसर नहीं दिया गया।
साभार : दैनिक भास्कर
मगर कॉंग्रेस की नजर से भगत सिंह क्या था और क्या है ये यहाँ पढे
शुशील जी ने कहा था :
भगत सिंह तेरे देश काहर सलीका बदल गया है !
अबे भगत सिंह कौन है, आर टी आई मौन ।
हर शहीद गांधी मिला, शेष सभी हैं गौण |
शेष सभी हैं गौण, गुरु अफजल को जाने |
है कसाब मेहमान, आज के बड़े सयाने |
कर जमीन का दान, बांग्ला देश मुकम्मल |
भारत में घुसपैठ, बनाये ढाका मलमल ||
भगतसींह को शहीद मानने से हिचक रही है सरकार एक "आर टी आई" ने खोली पोल
ये भगतसींह कौन है बे ? ..ऐसा है सरकार का रवैया ..चौंक गए ना मगर ये सच्चाई है की भगतसींह को सरकार शहीद का दर्जा नहीं देती है मगर मानो कहे रही हो की कसाब हमको जान से प्यारा है कमाल की है ये सरकार और उसके उसूल |"
" देश के लिए जान न्योछावर करनेवाले शहीद भगत सींह और उनके साथियो को स्वतंत्रता संग्राम के शहीद मानने से सरकार हिचक रही है ..क्या आप सो रहे है ? जागो वर्ना ये
सरकार सिर्फ गाँधी परिवार को ही शहीदी का दर्जा देगी वैसे भी देश को "गाँधीस्तान" बना ही दिया है इस कमीनी कांग्रेस सरकार ने आपको यकीन ना आये तो ये लिंक " गाँधीस्तान " पर क्लिक करे हर जगह है "नकली गाँधी परिवार" का ही नाम ..ऐसा हो रहा है क्यों की हम सो रहे है ? "
आखीर मे रशीद कुरेशी साहब को हृदय से धन्यवाद
..........................................................
रवीकर साहब ने कहा था :
अबे भगत सिंह कौन है, आर टी आई मौन ।
हर शहीद गांधी मिला, शेष सभी हैं गौण |
शेष सभी हैं गौण, गुरु अफजल को जाने |
है कसाब मेहमान, आज के बड़े सयाने |
कर जमीन का दान, बांग्ला देश मुकम्मल |
भारत में घुसपैठ, बनाये ढाका मलमल ||
भगतसींह को शहीद मानने से हिचक रही है सरकार एक "आर टी आई" ने खोली पोल
ये भगतसींह कौन है बे ? ..ऐसा है सरकार का रवैया ..चौंक गए ना मगर ये सच्चाई है की भगतसींह को सरकार शहीद का दर्जा नहीं देती है मगर मानो कहे रही हो की कसाब हमको जान से प्यारा है कमाल की है ये सरकार और उसके उसूल |"
" देश के लिए जान न्योछावर करनेवाले शहीद भगत सींह और उनके साथियो को स्वतंत्रता संग्राम के शहीद मानने से सरकार हिचक रही है ..क्या आप सो रहे है ? जागो वर्ना ये
सरकार सिर्फ गाँधी परिवार को ही शहीदी का दर्जा देगी वैसे भी देश को "गाँधीस्तान" बना ही दिया है इस कमीनी कांग्रेस सरकार ने आपको यकीन ना आये तो ये लिंक " गाँधीस्तान " पर क्लिक करे हर जगह है "नकली गाँधी परिवार" का ही नाम ..ऐसा हो रहा है क्यों की हम सो रहे है ? "
आखीर मे रशीद कुरेशी साहब को हृदय से धन्यवाद
No comments:
Post a Comment
Stop Terrorism and be a human