" है कोई, माई का लाल जो इसकी आँखों पर से ये पट्टी हटा सके ताकि ये देख सके की "न्याय" क्या होता है , क्या गुजरती है उन लोगो पर जो हादसे का शिकार होते है ..ये भला ,ये क्या जाने ...अंधी है फिर भी न्याय की देवी कहेलाती है ..काश ......ये देख सकती तो भोपालवासियों पर यु अन्याय नहीं होता ..सायद ये भी नेता लोगो की तरह बिक गयी है ..जो सिर्फ सौदा करना जानते है ..सायद इसके तराजू में भी किसीने पैसा फेंका होगा "
" कोई कहेगा की न्याय मिल रहा है तो वो गलत है क्यों की ? यहाँ पर फांसी की सजा सुनाई तो जाती है मग़र उसका अमल नहीं होता है और वो अपराधी को हमारा महेमान बनाकर हमारे सर पर बैठाया जाता है ,ये है हमारा कानून ..सायद हमारे राष्ट्रपति के पास वक़्त नहीं है ..मै कहेता हु की क्यों ऐसे खूखार अपराधी के लिए दया दिखाई जाये ? क्यों ? "
" छोड़ो भी हमारा कानून ही कुछ ऐसा है ...इस में बदलाव जरूरी है मग़र करते नहीं है, क्यों की बदलाव करने से फसेंगे तो नेता ही न "
" हम" अंडरसन" का बाल भी बांका नहीं कर सकते और नहीं हमारा कानून क्यों की "अंडरसन "को भागनेवाले भी यही नेता लोग ही थे ..जो "हमारे और देश के कानून" के रखवाले बनकर बैठे है देखते जाओ ये मामला भी दब जायेगा या फिर तारीख पे तारीख ......"
" अब बताओ, क्या इसकी { कानून } आँख से पट्टी उतरने का समय आगया है या नहीं ? सोच के बताना ..आज भोपाल वासियों पर अन्याय हुवा है , कल मुज पे ...या आप पर भी हो सकता है "
अब इसकी परिभाषा है कि ये आँख बंद करके न्याय करती है ताकि सच्चाई को देख न सके. सुन कर न्याय देने की नई परिपाटी शुरू है........
ReplyDeleteक्या करियेगा?
माई के लाल तो आज़ादी दिलाने में ही फाँसी पर लटक गए थे.
जय हिन्द, जय बुन्देलखण्ड
" bilkul ssahi kaha aapne अब इसकी परिभाषा है कि ये आँख बंद करके न्याय करती है ताकि सच्चाई को देख न सके. सुन कर न्याय देने की नई परिपाटी शुरू है........"
ReplyDeleteयही तो विडम्बना है!
ReplyDeletekadva sach..bina koshish ke kuch nahi hoga...
ReplyDeleteसही कहा...पट्टी उतारना जरुरी हो गया है!
ReplyDeleteअसल में अंग्रेजों के कानून की ही नकल करके इस देश का कानून बनाया गया है इसलिए राजा यहाँ सजा नहीं पाते बस प्रजा को ही सजा मिलती है। बेचारी न्याय की देवी इसलिए ही पट्टी बांधकर खडी है।
ReplyDelete.... प्रसंशनीय पोस्ट!!!!
ReplyDeleteभोपाल पर फैसले के बाद न्याय की देवी की आंखो से पट्टी उतारना बेहद ज़रूरी हो गया है दोस्त
ReplyDeleteJabtak bhrasht neta jinda hain hamaare samaaj mein ... ye patti koi nahi utaar sakta ...
ReplyDeleteइसमें कोई शक नहीं कि भोपाल गैस त्रासदी भोपाल के इतिहास का एक ऐसा पन्ना है जिसे सब अपने अपने नजरिये से पढ़ते हैं। जिन्होंने भुगता या भुगत रहे हैं उनके लिये कोई भी राशि पर्याप्त नहीं होगी। जहॉं तक मृतकों का प्रश्न है, उनकी टीस भले ही शेष हो लेकिन वो अपने परिवारों के लिये माइने खो चुके हैं। जो जीवित हैं उनके लिये 25 वर्ष बाद पुर्नवास और मुआवजा निरर्थक हो चुका है, हॉं स्वास्थ्य एक प्रश्न हो सकता है, समुचित इलाज की व्यवस्था एक प्रश्न हो सकती है। एंडरसन का क्या किया जाता है यह उनके लिये निरर्थक है। हॉं यह सब उनके लिये माइने रखता है जो इस पर जनभावनाओं को भुनाना चाहते हैं। कोई माने या न माने कानूनन एंडरसन पर केवल मुआवजे का दायित्व भर डाला जा सकता है, वह भी पूरी तरह से सिद्ध करना कठिन होगा। एंडरसन के विरुद्ध आपराधिक प्रकरण की स्थिति तो न तब बनती थी, न अब बनती है। फिर ये शोर सा मचा क्यूँ है? वक्त की जरूरत न तब आवेश थी, न अब है। सारे मामले को खुली सोच से देखना जरूरी है।
ReplyDeleteमुझे लगता है, कि पट्टी तो इसलिये बांधी गई होगी कि न्याय की देवी अपने और पराये के बीच भेदभावपूर्ण फ़ैसला न कर सके लेकिन अब इस पट्टी का उतरना बहुत ज़रूरी हो गया है.
ReplyDeleteन्याय की देवी की आंखो से पट्टी उतारना बेहद ज़रूरी हो गया है
ReplyDeleteबिल्कुल सही .. पर उतारे कौन .. एकता का ही तो अभाव है !!
ReplyDelete" tahe dil se mai aap sabhi dostoan ka aabhari hu ...."
ReplyDeleteभेदभाव हीन न्याय की देवी की प्रतिमा में बदलाव
ReplyDeleteशायद सम्भव नही दादा
पर आलेख का अपना ज़रिया है
ReplyDeleteविचारणीय आलेख
achchhi bahut achchhi rachna ,jis waqt baandhi thi tab uddeshya bhed bhav na karna raha magar ab saboot ki mohtaaj rah gayi .utaar kar bhi kaya hoga ,juge to baigar patti ke hi hote hai .uttam .
ReplyDeletedada bilkul satik chitran kiya hai aapne aajkal hamare kaanun ki ye hi ho khamiya paayee jaati hai ab sakab ka matter le lo itna kuchh kiya saari baaten clear uski suraksha par karodon rupey laga rahe hain balki aise jallad ko to maut se buri saja deni chahiye na ki mehman banakar khatirdari karni chahiye aapne achcha likha hai bas ek gujarish hai aapse ki aaka background black hai is par yellow white ya koi aur lite colour use kiya karo blue colour padhne me nahi aata hai
ReplyDeleteबहुत बढ़िया और बिल्कुल सही फ़रमाया है आपने! देखते हैं अब पट्टी कौन उतरता है!
ReplyDeleteसही कहा...पट्टी उतारना जरुरी हो गया है!
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