* अखबार के एडिटर कहते है “काटजू का दिमाग फिर गया है“
“ मै ही नहीं मगर कुछ अखबार के
तंत्री ( editor ) भी आपको बिना दिमागवाला कहते है भाई ...अपने
आर्टिकल मे कहते है की “ काटजू नाम का आदमी विचित्र चित्र के
जैसा है जो प्रेस काउंसिल का अध्यक्ष है मगर अपने बकवास से अपना अभिप्राय दे रहा
है .... हालाकी अभिप्राय देना सबका हक है मगर किसी संस्था के उच्च पद पर आप बिराजमान
हो तब आपका अभिप्राय आपका ही नहीं बल्कि पूरी संस्था का बन जाता है ..... काटजू ने
कभी ये सोचा की उसके संजय दत्त के अभिप्राय के साथ पूरा प्रेस काउंसिल सहेमत है या
नहीं “
" ये तो अखबारवालों की अपनी राय थी मगर शायद अखबारवाले भूल रहे है की दिमाग ही ना हो तो दिमाग फिरेगा कैसे ? ये रहे काटजू को मेरी ओर से कुछ सवाल " * दिमाग नहीं है तो फिरेगा कैसे ?(जस्टिस काटजू )
“काटजू
साहब देशभक्ति की परिभाषा क्या होती है उस पर कभी अध्ययन करना ओर उन परिवार की ओर
भी नजर करना जिन्होने हादसे मे अपने परिवार के किसी सदस्य को खोया हो आज अगर मै
अपने परिवार की रक्षा के लिए सरकार की मंजूरी लिए बगैर AK47 रखू
तो क्या वो चलेगा क्या ? जब मुझे भी पुलिस पकड़े तब क्या आप
मेरे जैसे मामूली आम आदमी का बचाव निर्दोष ,मासूम बच्चा कहके
करेंगे क्या ? “
* कानूनी मंजूरी क्यू नहीं ली
“संजय
दत्त को अगर AK47 रखनी ही थी तो वो सरकार से मंजूरी नहीं ले
सकता था क्या ? किसने दी आपको जस्टिस की पदवी जनाब काटजू
साहब ?कभी कुछ बोलते हो कभी कुछ ....अरे पहले आपकी देशभक्ति
इस देश के प्रति साफ करो भाई ,देश का कानून ...वो कानून जो
इस देश मे सर्वोपरि है ,सनमाननीय है वो भी जब कहेता है की संजय
दत्त गुनहगार है तब आप क्यू अपनी सलाह दे रहे है ? क्या आप
इस देश के कानून से भी बड़े है क्या ? “
* यकीन हो गया की दिमाग नहीं है
“ पहले
खुद को साबित करो की आप एक सच्चे देशभक्त है ....आपने भी तो आपके पद को संभालने से
पूर्व एक शपथ ली होगी तो क्या उसमे ऐसा लिखा था क्या की गुनहगारों को मासूम का
दर्जा देकर दूसरे निर्दोष लोगो पर अन्याय करूंगा ...क्या वो शपथ आप भूल गए क्या ? कमाल करते है आप भी काटजू साहब अब तो शंका हो रही है की आपके पास दिमाग
ओर दिल है या नहीं ?”
“ काटजू
साहब अगर आप सच्चे देश भक्त है तो कभी इन मुद्दो पर भी बोले ओर लिखा करे ताकि
देशवासियों को पता तो चले की आप देशभक्त है कानून की इज्जत करते है
- आसाम दंगे
- राजस्थान दंगे
- रामलीला मैदान मे आधी रात मे खेला गया तांडव
- ओवेसि जैसों की भाषा
- सरकार के खिलाफ होने पर “सीबीआई” के द्वारा पड़ते तुरंत ही छापे
- पाकिस्तान के द्वारा सैनिको के सर कलम करना ओर सरकार का चूप रहेना
- बांगलादेसी घुसपेठीयों का आतंक
* ऐसा कैसे हो सकता है “ बाप भला
तो बेटा भला ? “
“ मुद्दे तो बहुत
ही है काटजू साहब यहाँ जगह कम पड़ेगी मगर भैया आप कभी इन मुद्दो पर लिखते या बोलते
नहीं है आपको इस वक़्त संजय दत्त की ही फिक्र है मगर एक बात आपको भी पता है की इस
दुनिया मे ऐसे अनेक बेटे है जिसका बाप सन्मान के लायक हो मगर बेटे नालायक हो ,स्वर्गीय
सुनील दत्त साहब एक सच्चे आदमी थे मगर क्या सिर्फ इसी बात पर संजय दत्त कानून
तोड़कर अपने पास AK47 जैसा हथियार रखे ओर मासूम ,निर्दोष कहा जाए ये कहाँ का न्याय हुवा भाई ? ऐसे मे
तो इस देश का हर आमआदमी अपनी ओर अपने परिवार की सुरक्षा के लिए बिना कानून की
इजाजत लिए अपने पास ऐसे खतरनाक हथियार रखने लगेगा,तो उस वक़्त
भी आप यही कहोगे की ये लोग तो मासूम है ....निर्दोष है |“
* अब ये पट्टी हटाओ भाई
“ आपको जस्टिस कहा जाता है
.... जस्टिस का मतलब होता है न्याय करनेवाला मगर लगता है की आपने भी कानून की देवी
की तरहा अपनी आँख पर पट्टी बांध रखी है जब की पट्टी बंधे हुवे भी कानून की देवी का
न्याय सही होता है मगर आप है की अपनी आंखो से पट्टी उतारते ही नहीं है,भैया जरा पट्टी हटाओ ओर न्याय की भाषा बोलो इस देश का कानून आमआदमी से
लेकर प्रधानमंत्री तक सब के लिए एक समान होता है ओर कानून से बड़ा इस देश मे ओर कोई
भी नहीं है, क्या आप इस बात से सहेमत नहीं है ?”
“ खैर .... इंतज़ार रहेगा हमे, की आप उन मुद्दो पर भी
लिखे ओर अपनी राय दे जिस मुद्दो की सफाई के लिए देश तड़प रहा है .....ओर हाँ ,सच्चे देश भक्त होकर लिखना भाई ....कहीं उन मुद्दो पर लिखते वक़्त ये ना
कहेना की कानून पर भरोषा रखो ..... कानून ही जाने ..... क्यू की आप तो कानून को भी
संजय दत्त के मामले मे सलाह दे रहे हो ....याने आप कानून से बड़े हुवे .... चलो अब
दिल खोलकर लिखो या बोलो उन मुद्दो पर जो ऊपर लिखे है,चलाओ अब अपना कलमवाला सुदर्शन |”
" अब आप ही बताइये की मै ,आप ,ओर पूरा देश काटजू को उसकी एकतरफ़ी बात के लिए डांट रहा है वो क्या गलत है जब की उसके ही अपने कहते है की "विचित्र चित्र जैसा काटजू "
...भैया साफ साफ लिखोना ..... की "कार्टून "
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