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Sunday, December 11, 2011

एक पत्र नंदन नीलकानी जी को संसदीय समिति द्वारा UID को बंद करने के बाद

यहाँ पर प्रस्तुत है एक अत्यंत विचारणीय पत्र ..आप भी पढ़िए और जाने की मैंने ये पत्र को विचारणीय क्यु कहा है ?

श्रीमान नंदन नीलकानी जी

सादर ,

आज से करीब १ साल पहले नेसकाम सम्मेलन में आप से मिलने का सौभाग्य मिला था और उसके बाद आप को सुनने का भी. उस समय जब आप को सुना था तो लगा था की आप के संरक्षण में यु आई डी परियोजना देश को विकास के अगले स्तर पर ले
जाने में एक महती भूमिका निभाएगी. वहाँ बैठे बैठे ही मैने देश के लिए कुछ सपने देखना शुरू कर दिए थे. जिस तरह से इस व्यवस्था को आपने समझाया था मुझे लगा था की दस साल बाद हमारे देश में भी उन्गलियों की छाप या एक तस्स्वीर से किसी
भी इंसान को पहचाना जा सकेगा, कोई अपराधी अगर अपराध कर के भागना चाहता है तो उसे हवाई अड्डों या दुसरे जगहों पर निगरानी कर के पकड़ा जा सकेगा. मुझे लगा था की ये व्यस्था देश की सुरक्षा व्यवस्था में एक बड़ा योगदान देगी.

आप ने कहा था की सारे बैंक अकाउंट इस आधार व्यस्था से जुड जायेंगे ताकि कोई भी व्यक्ति किराना दुकानों को ATM की तरह इस्तेमाल कर सकेगा और पैसे निकाल सकेगा (आप ने कहा था एक इंसान औसतन ३०० रूपये निकालता है ATM से) और
सारे पैसे का लें देने सिर्फ फिंगर प्रिंट के आधार पर ही हो जायेगा. और एक ही UID दो लोगो को नहीं दिया जा सकेगा. तकनीक भी आप ने समझाई थी जो की मुझे पूरी तरह से भरोसेमंद लगी थी.

वो सुन कर मै मानने लगा था की तब काला पैसा खाने वाले पैसा कैसे जमा करेंगे क्योंकि नकली नाम से बैंक में पैसा जमा नहीं हो सकता वजह है हर बैंक खाते के लिए UID लगेगा, मुझे लगा था की इससे काला बाजार भी रुकेगी और बेईमानी में भी
कमी आ सकती है.

मेरे दिल में ये उम्मीद थी की नरेगा जैसी योजनाओं में पैसा सीधे मजदूर के खाते में भेजा जा सकेगा और उन योजनाओं पर से बिचौलियों का पैसा खाना रुक जायेगा.

ये उम्मीद भी जागी थी की सारा काम आनलाईन होगा तो नकद मुद्रा रखने की जरूरत कम हो जायेगी उससे ना सिर्फ काला काला पैसा कम होना शुरू होगा बल्कि पारदर्शिता भी आएगी.

चूंकि सारे UID एक दुसरे से जुड़े हुए होंगे तो ये भी पता चलता रहेगा की किस खाते में से किसको कितना पैसा मिला है और जो बड़ी बड़ी राजनैतिक पार्टियाँ है ये कहा से अपना चंदा ले कर आती हैं वो भी पता चलेगा.

मुझे लगता था की इससे एक आम इंसान की जिंदगी आसान हो जायेगी और सुरक्षित भी.

आप ने ये भी बताया था की UID से B2B और B2C जैसी कई एप्लीकेशन(सोफ्टवेयर) पैसा कमाने के लिए भी बनाई जा सकती है जिससे कई लोगो को रोजगार मिलेगा और मै इस बात पर भी सहमत हो गया था. मै तो एक ऐसी एप्लीकेशन की
रूपरेखा मेरे अधिकारी को देकर भी आ गया था जो की कई वित्तीय संस्न्थानों के लिए काफी मददगार साबित हो सकती थी और चोरों को अपराध से पहले पकड़ने में मदद कर सके ऐसी अप्लीकेशन की रूपरेखा भी मेरे दिमाग में थी. और मेरे जैसा मूढ़ मगज
ये सोच सकता है तो बुद्धि के ढेरो स्वामी बैठे हैं जो जाने क्या क्या कर सकते हैं इस परियोजना से.

ये सब कहने का कारण सिर्फ इतना है की मुझे उस दिन पहली बार लगा था की हमारे देश के नेता हमें अगली पंक्ति में जाने के लिए लालायित है बजाय खुद की जेब भरने के. और इस बात पर भरोसा करने का एक बहुत बड़ा कारण आप थे. मुझे लगा था
की आप है तो इस परियोजना में कोई धोखा नहीं होगा क्यूँ की आप अपनी कंपनी को छोड़ कर एक अच्छे काम के लिए देश हित में काम कर रहे हैं.

अब मै दूसरी बात कहूँगा, पिछले जन लोकपाल आन्दोलन में जब आप ने अन्ना हजारे का विरोध करते हुए कहा था की संसद को उसका काम करने देना चाहिए, मैने आप की बातों का जरा भी विरोध मेरे दिल में नहीं रखा लेकिन आज भी आप वही बात कह
पाएंगे क्या. तब आप ने कहा था की संसद को उसका काम करने देना चाहिए अब मै जानना चाहता हूँ की क्या संसद जो करती है वो हमेशा सही होता है.

उन्होंने UID परियोजना पर विराम लगाने का इरादा जता दिया है. इस कानून पर रोक लगाने वाली कमिटी ने जो भी बाते दी है वो मै ढूंढ नहीं पाया हूँ लेकिन ये तय है की इस परियोजना के रुकने से नुक्सान हमारे देश का होना है और फायदा होगा चोर
बदमाशो और काला पैसा जमा करने वाले लोगो को जिसमे नेता बहुत बड़े स्तर पर शामिल हैं. इन लोगो को कैसे फायदा होगा वो मै मेरे पत्र में आगे विस्तार पूर्वक लिखूंगा लेकिन इस परियोजना में जो सबसे ज्यादा ठगा गया है वो है वो युवा समूह जो
आपके कहने पर अपनी नौकरियां छोड़ कर दुनिया के दुसरे कोने से अपनी भारत माँ की सेवा करने के लिए इस परियोजना में शामिल हो गए. आप उनकी मेहनत को संसद की एक कार्यसमिति (जो की भ्रष्टाचार से मुक्त हो ऐसा जरूरी नहीं है ) के कहने पर
अगर बर्बाद होने देते हैं, उनके त्याग को अगर आप ऐसे ही मिट्टी में मिलने देते हैं तो उन युवाओं के हर त्याग के दोषी भी आप होंगे. उनको ठगने वाले आप ही होंगे.

मेरी राय में UID परियोजना बंद करने के कुछ कारण जो कभी भी उजागर नहीं किये जायेंगे :

हमारे देश में हर घटिया योजना के लिए इतना पैसा दिया जाता है की अगर इस योजना को पैसे की कोई भी वजह बता कर बंद किया जा रहा है तो वो सरासर बेवकूफी होगी और मेरे जैसा इंसान इस बात को मानने से इन्कार कर देगा.

१) नेताओं को काला पैसा जमा करने में दिक्कत आएगी :-->सारा काम जब ओनलाइन हो जायेगा तो नेताओं को अपना पैसा जमा करने के लिए ये सोचना पड़ेगा की किस तरह से जमा करेगा क्यूँ की तब नकली पहचान बनाना बड़ा मुश्किल हो जायेगा और
बिना नकली पहचान के बैंक में पैसा जमा करना याने की अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारना होगा.

२) बेनामी सम्पति रखना असम्भव हो जायेगा :--> UID योजना पूरे देश में कार्यान्वित हो जाने के बाद हर सम्पति को UID से जोड़ा जा सकेगा और उस स्थिति में कोई भी बेनामी सम्पति एक अलर्ट दे सकती है ..इसका मतलब ये ही होगा की कोई भी
बेनामी सम्पति नहीं रख सकता वर्ना वो राजसात हो जायेगी और नेताओं से ज्यादा बेनामी सम्पति शायद किसी के पास नहीं निकलेगी आप भी जानते हैं और मै भी.

३) नरेगा या इसके जैसी योजनाओं में घोटालेबाजी कम या खत्म ही हो जायेगी :--> चूंकि सारा पैसा सीधे मजदूर के खातों UDI के बेस पर जायेगा तो नेता इसमें घोटाले नहीं कर पायेंगे. "कद्दू कटेगा तो बराबर बटेगा " तर्ज पर हर घोटाले में नीचे से ऊपर
तक हर किसी का हिस्सा होता ही है चाहे छोटा हो या बड़ा घोटाला. जब हिस्सा ऊपर वाले लोगो को मिलना बंद होगा तो नीचे वाले यूँ भी ज्यादा कुछ कर नहीं पाएंगे.

४) UDI के आधार पर रिश्ते जोड़ना और भ्रष्टाचार को पकडना :--> इससे पारिवारिक रिश्ते तो जुड ही जायेंगे और उनकी सम्पति भी पता चल जायेगी. याने की अगर कोई नेता अपने पारिवारिक व्यक्तियों के नाम पर कोई सम्पति या काला पैसा जमा
करता है तो वो भी अलर्ट आ सकता है जो की भ्रष्टाचार निरोधी इकाई के लिए काफी मददगार होगा और भ्रष्ट नेताओं के लिए जहर. ऐसा ही रिश्ता उन लोगो के साथ भी जोड़ा जा सकेगा जो की नेताओं के लिए काम करते हैं और एक बड़ी सम्पति के
मालिक है.

५) अपराधियों की पहचान और उनके पुराने काम तथा पुराने रिश्ते : --> सारे भ्रष्ट नेता इस बात से परेशान रहेंगे क्योंकि जो भी भ्रष्ट नेता हैं उनका खुद का अपराधिक रिकार्ड है या उनके अपराधियों से सम्बन्ध हैं, चूंकि कई नेता अपने अधिकारों का नाजायज
इस्तेमाल कर के इन अपराधियों को बचाते रहते हैं पर अगर न्यायपालिका और व्यस्था चुस्त और इमानदार हो गई तो ये सारे अधिकारों का दुरुप्योग इस लिए खतम हो जाएगा क्योंकि उन नेताओं का नाम भी इस आपराध में अनजाने ही जुडा होगा और
कोई भी गलत हरकत सीधे उस नेता पर आरोप लगा देगी.

इस परियोजना के बंद होने से होने वाले नुकसान को एक बार फिर से मै संक्षिप्त में लिखा चाहूँगा .

१) नेताओं के भ्रष्टाचार कम कर सकने का एक मौका हमेशा के लिए खत्म हो जायेगा .

२) देश की भीतरी और बाहरी सुरक्षा व्यस्था जो की काफी मजबूत हो सकती थी वो नहीं हो पायेगी.

३) आम इंसान का जीवन आसान हो सकता था अब नहीं हो पायेगा.

४) आप के आह्वान पर जमा होने वाले हर युवा की मेहनत बेकार होगी और असंतोष बढेगा.

अगर आप को लगता है की मेरी कही हुई बातों में से एक भी बात आप को सही लगती है तो कृपया संसद को उनका काम करने दे वाली आप की राय को बदलिए और एक आवाज मुखर करिये. मै आप को भरोसा दिलाता हूँ की देश का युवा अगर अन्ना हजारे के साथ था तो आप के साथ भी खड़ा होगा.

धन्यवाद
अम्बिका प्रसाद दुबे (कुंदन)

"मेरे भाई कुंदन के ब्लॉग का पता है यहाँ क्लिक करे और देखिये उनका ब्लॉग ..जो सत्य दर्शाता है |"

सुक्रिया दोस्तों

6 comments:

  1. yahi sab hona hai is desh main, isake atirikt kisi ko kuchh karane bhi nahin diya jata. tathakathit neta aur unake mausere bhai prashasak aam aadmi ko thagate rahane par susangathit hain. Ab kahin koi shikayat karane ki bhi sthiti nahin rah gayee hai, aur na hi koi andolan karane ki.

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  2. jab east india co.bharat aae thee,hamlog nahi the,maine gulami me janm nahi liya,parantu ab samajhh me aa raha hai ki gulami kise kahate hain,ye to ganimat hai ki main ranchi (jharkhand) ki paidaish hoon,yahan abhi NDA govt.hai.par ehsaas to ho hi raha hai.

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  3. देखो सम्झो ईस्ट इन्डिया कम्पनी का नया अवतार आने को है,... और ये भटके हुए मूर्ति,नीलकेणी, विप्रो,टाटा, अम्बानी, रिलायन्स, फ़ोरम, मौल कल्चर , इन्फ़ो-टेकी युवा + सरकार + धन्धेबाज चोर बिज्निसमेन ही लायेंगे ...ही लायेंगे....

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  4. shyam gupta sahab tahe dil se sukriya ..aap ki baat se mai sahemat hu

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