व्यंग - तिहाड़ जेल में खलबली
" ये हो क्या रहा है ? कौन चिल्ला रहा है इतनी जोरो से ? " जेलर गरजे ,आज वाकई में पुरे तिहाड़ जेल में खलबली मची हुई थी मानो कोई भूकंप आया हो .. " सर , कलमाड़ी , कनिमोजी और राजा आपस में लड़ रहे है | "संत्री ने आते ही कहा .." क्यों ? " .." सर ,आपने एक ही खुर्सी मंगवाई थी सायद ये नतीजा उसीका ही होगा " संत्री ने कहा .." ठीक है ठीक है ..लड़ने दो उन लोगों को ..तुम ध्यान मत देना उस तरफ और हमारे जासूस को कहो की उन पर नजर रखे "
" राजा , कलमाड़ी , कनिमोजी के बिच तनाव जारी था , कलमाड़ी ने कहा की " कोमनवेल्थ गेम्स में जब दुनियां के अच्छे अच्छे खिलाडी गोल्ड मेडल के लिए खेल रहे थे खेल के मैदान में तब, मै जनता के विश्वास के मैदान में, विश्वासघात का खेल खेलकर करोडो रुपये खा रहा था बड़े ही आराम से और तो और इस जेल में और मेरे कारनामो के आगे तू बहुत छोटा है रे "राजा " इसलिए जो मै कहु वही तु कर और मुझे सलाम ठोकता जा |" ..इस बात पर कनिमोजी गरज पड़ी " एय , खबरदार जो मेरे राजा को कम समजा तो, अरे तेरी गाडी की हवा तो उस दिन ही निकल गयी थी जब मैदान का एक हिस्सा गिर पड़ा था ..आज जो तेरी गाडी के पहिये बचे है न वो भी तो " सोनिया माते की कृपा " की वजह से बचे है . तु तो कब का बिना स्टेयरिंग का खटारा बन गया होता अगर वक़्त पर "सोनिया माते ने और देशवासियों ने " तेरी लाज न रखी होती | "
" मगर कनी, मै कोर्ट में तेरे जैसा रोया नहीं था ..ये बात ध्यान में रख | " कलमाड़ी ने कहा , बात बिगड़ गयी कनिमोजी का गुस्सा अब सातवे आसमान पर था " अबे ..बिना रेस के घोड़े ..मै रोई जरूर थी मगर मैंने तेरे जैसा जूता तो नहीं खाया था | " ..कलमाड़ी लाल धूम हो गए " बंध कर तेरी मनहूस जुबान ,..वो खतरनाक पल क्यों याद दिला रही है मुझे ? "..
" कलमाड़ी " ..इस आवाज़ से सारा तिहाड़ जेल कम्पने लगा मानो कोई भूकंप आया हो ..ये आवाज़ थी " राजा " की .." क्या समजता है तु अपने आपको ? इस राजा को खरीद सकेगा तु ...अरे "सफेदी की चमकार " तुने जो घोटाले किये है न वो मेरे घोटाले के आगे बहुत ही छोटे है ..तु तो मेरी जुती के बराबर भी नहीं है ..अबे , तेरे घोटाले में लोग आसानी से " जीरो " गिन सकते थे ...मगर मेरे घोटाले में लोग तो क्या खुद जज भी " जीरो " नहीं गिन सका था ..और सुन ये जो तिहाड़ जेल में नए महेमान आनेवाले है न वो भी तो मेरी ही महेरबानी है क्या ? ...समजा क्या ... चल अब एक गिलास पानी पिला मुझे ...... | "
" तभी जेलर की टेबल पर पड़े फ़ोन की घंटी बजने लगी ... जेलर ने फ़ोन उठाया ..सामने से आवाज़ आई ...." हेलो , क्या आप तिहाड़ जेल से बोल रहे है ? ..." जी " .... " आपको एक सन्देश पहुँचाना था " माते " का ................................................
शेष अगले हफ्ते ........................
इस वर्ष का सायद सर्व श्रेष्ट फोटो ..और देश के लिए एक सन्देश भरा दिन
वाह क्या कहना ?
ReplyDeleteगज़ब की प्रस्तुति ........जेल के अन्दर ..कौन आगे
Badhiya vyang
ReplyDeleteअरे वाह, गज़ब ढा गए तुलसी भाई...आपके व्यंग बेहद करारे होते हैं|
ReplyDeleteअब तो अगले सप्ताह की प्रतीक्षा रहेगी...
तुलसी भाई आपने बड़े सुंदर ढंग से ये लेख लिखा है ....ये कांग्रेसीए पूरी संसद तिहाड़ मे लगवा देंगे ....इनके पापों का अंत अवश्य होगा .... ॐ
ReplyDeleteभारत की विजय
बढ़िया व्यंग्य!
ReplyDeleteATI UTTAM
ReplyDeleteवाह ! गजब |
ReplyDeleteअरे तुलसी भाई ये कांग्रेसी देखना कहीं आपकी भी जांच शुरू करवा दें !
ReplyDeleteबहुत बढ़िया और ज़बरदस्त व्यंग्य! सुन्दर प्रस्तुती!
ReplyDeleteमेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
वाह: एक खुबसूरत कृती
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