* सावधान, कही आप और आपके बच्चे तो नहीं हो रहे है इसके शिकार |
* ४०० करोड़ से भी अधिक का है एक्सपायरी डेट की दवाईयों का धंधा |
* नियर एक्सपायरी डेट की दवाई ब्लिस्टर पेक से नीकालकर प्लास्टिक के डीबे में भर देते है |
* एक्सपायरी डेट को एसीटोन से मिटाकर, नयी एक्सपायरी डेट डाली जाती है |
" ये कोई मजाक नहीं है , मग़र भारतीयलोगों के स्वास्थ के साथ खेलने वाले व्यापारियों की करम कहानी है ...सोचो जहाँ पुरे देश में ७०००० करोड़ से भी ज्यादा उत्पादन दवाईयों का है और इस उत्पादन में से ३०००० करोड़ की दवाई गुजरात में बनती है मग़र देखने की बात ये है की इतने बड़े वोल्यूम में से सिर्फ ६ या ७ % दवाई एक्सपायरी डेट में जाती है याने इतनी ही दवाई एक्सपायर्ड होती है बाकी की दवाई हम भारतवासी खा जाते है और कुछ दवाई एक्सपोर्ट होती है ...तो क्या हम इतने बीमार पड़ते है ? ..हम बीमार नहीं पड़ते है मग़र हमारे साथ खेला जा रहा है, एक " षडयन्त्र "|
" अनजान दर्दी को ये भी पता नहीं की वो जो दवाई ठीक होने के लिए खा रहा है वो एक्सपायरी डेट वाली है या नहीं ...क्यों की दवाई के ब्लिस्टर पेक पर लगाई जाती है नयी फोइल और लिक्विड की बोतल पर लग जाता है नया लेबल ..नयी डेट के साथ..आओ देखते है कुछ ऐसे पकडे गए केस को ..| "
* गुजरात में पकडे गए कुछ केस आपके सामने ... |
* गोकुल केमिस्ट E S I S को एक्सपायरी डेट की दवा देते वक़्त पकड़ी गई थी |
* ९ जून २००८ के दिन महेसाणा के डॉ.बाबुभाई नायक ५० लाख की एक्सपायरी डेट की दवाई के साथ पकडे गए थे जिसमे सामिल थी १६४ तरहे की अलग अलग दवाईयां |
* अहमदाबाद की पारस मेडिकल भी पकड़ी गई थी जिस पर ३८२/२००९ के तहत मुकदमा चल रहाहै
* यहाँ ध्यान दो इस केस पर |
" भावनगर के डॉ.हेमल मेहता के पास जब ५८ लाख की १८४ अलग अलग एक्सपायरी डेट वाली दवाई जब मिली तो पता चला की ये दवाईयां बच्चो के लिए इस्तेमाल की जाती थी ..जो "एन्टी बायोटिक" और "आय ड्रोप्स" थे , ये साहब ,देखो बच्चो की जिन्दगी से खेल रहे थे ..मग़र कैसे ? "
" डॉ. हेमल , मामूली "एसीटोन" लगाकर एक्सपायरी डेट आसानी से बदल कर नयी एक्सपायरी डेट डालते थे और नयी एक्सपायरी डेट के साथ एक्सपायर्ड दवा को बाजार में फिर से बेच देते थे जिनका एक्सपायर्ड दवाई का दलाल था माधव मेडिकलवाले संजयभाई |"
* एक्सपायरी डेट के माल में होती है वेट की चोरी ..याने सरकार को भी चुना |
" व्यापारी अपने अकाउंट में एक्सपायर्ड डेट की दवा दिखाने की बजाय सिर्फ कंपनी रिटर्न माल ही दिखाता है अगर इस माल को वो एक्सपायर्ड दवा है ऐसा दिखाते तो वेट भरना पड़ता है इसलिए वो रिटर्नमाल दिखाकर .. लेते है नया माल और बेचे हुवे माल का सेट ऑफ़ वेट कचेरी को दे देते है याने एक्सपायरी डेट की दवाई को रिटर्न माल दिखाकर वेट नहीं भरना, क्यों की इसे कहा जाता है "रिप्लेसमेंट" ...ये व्यापर नहीं ..ये तो रिप्लेसमेंट है |"
" ये बात सिर्फ गुजरात की ही नहीं हो रही है मग़र पुरे देश की हो रही है ..मग़र ड्रग कचेरी की मिली भगत की वजह से हमे ही पता नहीं की हम जो दवाई डॉक्टर के भरोसे से खा रहे है वो कही एक्सपायरी डेटवाली ना हो ? क्यों की थर्ड पार्टी के लिए दवाई का उत्पादन करने का जिसके पास लाइसेंस है ऐसी कई कंपनिया सुबह सुबह ब्लिस्टर पे फोइल लगाने का काम करती पाई गई है ऐसा सूत्रों के मुताबिक पता चला है |"
"पहले एक्सपायर्ड दवाई का कट किया हुवा याने १० दवाई में से ३ या ५ दवाई दी हो ऐसा कट्टिंग ब्लिस्टर कंपनी रिटर्न नहीं लेती थी मग़र अब सूत्रों ने बताया की कंपनी ले लेती है ऐसा एक मेडिकलशॉप वाले ने बताया |"
* कानून क्या कहेता है ? सबसे अहेम बात यही है |
" एक्सपायरी डेट की दवाई का व्यापार करनेवाले को २ बरस जेल की कड़ी सजा है मग़र हम भारतवासीयों का नसीब देखो आज तक किसी भी व्यापारी, या फिर डॉक्टर, या फिर फोइल लगाने का काम करनेवाले को कड़ी सजा नहीं हुई है |"
* ४०० करोड़ से भी अधिक का है एक्सपायरी डेट की दवाईयों का धंधा |
* नियर एक्सपायरी डेट की दवाई ब्लिस्टर पेक से नीकालकर प्लास्टिक के डीबे में भर देते है |
* एक्सपायरी डेट को एसीटोन से मिटाकर, नयी एक्सपायरी डेट डाली जाती है |
" ये कोई मजाक नहीं है , मग़र भारतीयलोगों के स्वास्थ के साथ खेलने वाले व्यापारियों की करम कहानी है ...सोचो जहाँ पुरे देश में ७०००० करोड़ से भी ज्यादा उत्पादन दवाईयों का है और इस उत्पादन में से ३०००० करोड़ की दवाई गुजरात में बनती है मग़र देखने की बात ये है की इतने बड़े वोल्यूम में से सिर्फ ६ या ७ % दवाई एक्सपायरी डेट में जाती है याने इतनी ही दवाई एक्सपायर्ड होती है बाकी की दवाई हम भारतवासी खा जाते है और कुछ दवाई एक्सपोर्ट होती है ...तो क्या हम इतने बीमार पड़ते है ? ..हम बीमार नहीं पड़ते है मग़र हमारे साथ खेला जा रहा है, एक " षडयन्त्र "|
" अनजान दर्दी को ये भी पता नहीं की वो जो दवाई ठीक होने के लिए खा रहा है वो एक्सपायरी डेट वाली है या नहीं ...क्यों की दवाई के ब्लिस्टर पेक पर लगाई जाती है नयी फोइल और लिक्विड की बोतल पर लग जाता है नया लेबल ..नयी डेट के साथ..आओ देखते है कुछ ऐसे पकडे गए केस को ..| "
* गुजरात में पकडे गए कुछ केस आपके सामने ... |
* गोकुल केमिस्ट E S I S को एक्सपायरी डेट की दवा देते वक़्त पकड़ी गई थी |
* ९ जून २००८ के दिन महेसाणा के डॉ.बाबुभाई नायक ५० लाख की एक्सपायरी डेट की दवाई के साथ पकडे गए थे जिसमे सामिल थी १६४ तरहे की अलग अलग दवाईयां |
* अहमदाबाद की पारस मेडिकल भी पकड़ी गई थी जिस पर ३८२/२००९ के तहत मुकदमा चल रहाहै
* यहाँ ध्यान दो इस केस पर |
" भावनगर के डॉ.हेमल मेहता के पास जब ५८ लाख की १८४ अलग अलग एक्सपायरी डेट वाली दवाई जब मिली तो पता चला की ये दवाईयां बच्चो के लिए इस्तेमाल की जाती थी ..जो "एन्टी बायोटिक" और "आय ड्रोप्स" थे , ये साहब ,देखो बच्चो की जिन्दगी से खेल रहे थे ..मग़र कैसे ? "
" डॉ. हेमल , मामूली "एसीटोन" लगाकर एक्सपायरी डेट आसानी से बदल कर नयी एक्सपायरी डेट डालते थे और नयी एक्सपायरी डेट के साथ एक्सपायर्ड दवा को बाजार में फिर से बेच देते थे जिनका एक्सपायर्ड दवाई का दलाल था माधव मेडिकलवाले संजयभाई |"
* एक्सपायरी डेट के माल में होती है वेट की चोरी ..याने सरकार को भी चुना |
" व्यापारी अपने अकाउंट में एक्सपायर्ड डेट की दवा दिखाने की बजाय सिर्फ कंपनी रिटर्न माल ही दिखाता है अगर इस माल को वो एक्सपायर्ड दवा है ऐसा दिखाते तो वेट भरना पड़ता है इसलिए वो रिटर्नमाल दिखाकर .. लेते है नया माल और बेचे हुवे माल का सेट ऑफ़ वेट कचेरी को दे देते है याने एक्सपायरी डेट की दवाई को रिटर्न माल दिखाकर वेट नहीं भरना, क्यों की इसे कहा जाता है "रिप्लेसमेंट" ...ये व्यापर नहीं ..ये तो रिप्लेसमेंट है |"
" ये बात सिर्फ गुजरात की ही नहीं हो रही है मग़र पुरे देश की हो रही है ..मग़र ड्रग कचेरी की मिली भगत की वजह से हमे ही पता नहीं की हम जो दवाई डॉक्टर के भरोसे से खा रहे है वो कही एक्सपायरी डेटवाली ना हो ? क्यों की थर्ड पार्टी के लिए दवाई का उत्पादन करने का जिसके पास लाइसेंस है ऐसी कई कंपनिया सुबह सुबह ब्लिस्टर पे फोइल लगाने का काम करती पाई गई है ऐसा सूत्रों के मुताबिक पता चला है |"
"पहले एक्सपायर्ड दवाई का कट किया हुवा याने १० दवाई में से ३ या ५ दवाई दी हो ऐसा कट्टिंग ब्लिस्टर कंपनी रिटर्न नहीं लेती थी मग़र अब सूत्रों ने बताया की कंपनी ले लेती है ऐसा एक मेडिकलशॉप वाले ने बताया |"
* कानून क्या कहेता है ? सबसे अहेम बात यही है |
" एक्सपायरी डेट की दवाई का व्यापार करनेवाले को २ बरस जेल की कड़ी सजा है मग़र हम भारतवासीयों का नसीब देखो आज तक किसी भी व्यापारी, या फिर डॉक्टर, या फिर फोइल लगाने का काम करनेवाले को कड़ी सजा नहीं हुई है |"
" उ.प" और "म.प्रदेश " से भी बहुत ही बड़ा एक्सपायरी डेट की दवाई का धंधा हो रहा है ऐसा यहाँ के एक व्होल्सलेर ने बताया है ...दवाई के इस कालाबाजार में पैसा कमानेवाले ऐसे लोग कभी ये नहीं सोचते की वो किसी की जिन्दगी के साथ खेल रहे है ,दर्द तो तब होता है जब पता चलता है की हम जिस पर ज्यादा विश्वास करते है ऐसे डॉक्टर भी इस काम में शामिल है |
" सावधान दोस्तों,कही आप या आपका परिवार इस एक्सपायरी डेट की दवाई का शिकार ना बन जाये ...सबसे ज्यादा मुनाफेवाला धंधा आज गंदगी फैला रहा है अरे जो ग्लूकोस की बोतल इन्हें ११ रुपये में मिलती है वो ६५ में बेचते है और जो १४ में मिलती है वो बोतल १०० में या फिर ११० में भी बेचते है ...ये है दवाई का मुनाफा और ऐसा ही कुछ "इनजेकसन" में भी है ..मोनोपोली है दोस्त उनके कमाने से हम परेशां नहीं है ..हम परेशां है तो उनकी एक्सपायरी डेट वाली दवाई से जो इंसान होकर इंसानियत को मारने चले है |"
- चित्र गुगल से साभार
- धन्यवाद् g.s.
शर्म की बात है ... ऐसा करने वाले समाज के दुश्मन हैं ....
ReplyDeleteयह तो बताइयें कि कौन एक्सपायर हुआ है इन दवाइयों से :)
ReplyDeleteदुःखद है ।
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