देश के 33 पावर प्लांट के पास सिर्फ 3 दिन चले उतना ही कोयला
देश मे कोयले की कमी
छाएगा फिर से अंधेरा
हो रहा भारत निर्माण
“सेंट्रल एलेक्ट्रिक सिटी अथॉरिटी “ने बताया की 7
नवंबर से कोयले की कमी महसूस हो रही थी ओर उसकी वजह से देश के 35 पावर प्लांट की स्थिति
बहुत ही खराब हो गयी है कोयले पर चलनेवाले 90 पावर प्लांट आज बेकरी की ओर बढ़ रहे है
क्यू की उनके पास 7 दिन का ही कोयला बचा है | “
“ महाराष्ट्र की स्थिति एक दम दयनीय
है 10 मे से सिर्फ एक ही पावर प्लांट है जिसके पास 8 दिन का कोयला है बाकी के पास
3 दिन का ही कोयला है,जिसका मतलब साफ हुवा की अगर सरकार ने कदम नहीं उठाए तो देश
मे अंधेरा फिर से छाएगा |”
“ हर पावर प्लांट
के पास 22 दिन तक कोयला चले उतना स्टॉक होना ही चाहिए मगर इस बरस ओक्टोबर नवंबर मे
स्थिति खराब हो गयी है अक्तूबर मे 47 पावर प्लांट गंभीर स्थिति मे थे जिसमे से 32 पावर
प्लांट की स्थिति काफी खराब हो गयी है ओर गंभीर बात ये है की “लेंकोना 1000 मेगावोल्ट ,एनटीपीसी
2980 मेगावोल्ट ,विध्युताचल 3760 मेगावोल्ट,2100 मेगावोल्ट फराक्का स्टेशन के पास सिर्फ 1 दिन चल सके उतना ही कोयला है,लेंकोना पावर प्लांट से जुड़ी हुई कोयले की खदान से अभी तक खुदाई का काम चालू
ही नहीं हुवा है ये भी एक संकट है ओर “एनटीपीसी”के जितना कोयला मिलता
है उतना कोयला एक दिन मे ही खर्च हो जाता है फिर भी कॉल इंडिया कहेती है की कोयला की
सप्लाय मे 8 % की बढ़ोतरी हुई है अगर बढ़ोतरी हुई है तो फिर ये कमी कैसे ? “
"उतर भारत ओर महाराष्ट्र
पर अंधेरे का खतरा फिर से मंडरा रहा है अगर सरकारी संस्था ने कोई कदम नहीं उठाए तो
यकीनन ही अंधेरा छा जाएगा अब सवाल ये उठता है की आखिर देश का कोयला गया कहाँ ?क्या अभी
तक खदानों मे से खुदाई शुरू नहीं है ? क्यू की देश के लिए कोयला
आफ्रिका से मगवाया जाता है ओर वो भी चौगुने दाम देकर ....कमाल
की “यूपीए सरकार” है जो देश को सच मे लालटेन
के युग की तरफ ले जा रही है क्या इसिकों विकास कहते है ? क्या इसिकों
भारत निर्माण कहते है ? सोचिए इस पर भी जरा | “
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