* शंका के घेरे में है कॉमनवेल्थ गेम्स |
* सुरेश कलमाड़ी शंका के दायरे में |
* "खेल जगत के माफिया " - पूर्व भारतीय होकी कप्तान ने लगाया था आरोप |
"शुरू से ही विवाद के घेरे में रही "कॉमनवेल्थ गेम्स" आज हमे,पुरे विश्व में बदनाम कर रही है और इस बदनामी का श्रेय जाता है पूना के जाने माने नेता "सुरेश कलमाड़ी" को |"
" बंकिंगहम पेलेश से २९ अक्टूबर ०९ को निकली कॉमनवेल्थ गेम्स की बेटन ५४ देशो में से गुजरती हुई ३ अक्टूबर २०१० के दिन दिल्ली आएगी जिसका वजन है १.९०० ग्राम ..जो बेटन हमारे देश के लिए शान थी आज वही देश के लिए कलंक बन गई है, जिस गेम का हमे बे सबरी से इंतज़ार था उसी गेम के लिए बन रहे स्टेडीयम के काम में हो रहा था घोटाला ..जिस की मजबूती पर उठाये गए थे कई सवाल |"
" कॉमन वेल्थ गेम्स का ओफिसिअल बजेट था ११,४९४ करोड़ जो की मेलबोर्न २००६ से था दुगना ..मग़र भ्रष्टाचार की बुनियाद पर खड़ा था कॉमनवेल्थ ..यहाँ पर जरूर भ्रष्टाचार हुवा है क्यों की आग लगती है वही से धुंवा निकलता है और ये आग है भारत देश के आमआदमीयों के विश्वास की जिसकी चिता जलाई है सुरेश कलमाड़ी ने ,ये आग है देश के उन आमआदमी यों की जेब से जाने वाले ११,४९४ करोड़ की जो जायेंगे हम लोगो की जेब से और उसीसे भर रहे है कॉमनवेल्थ गेम्स के अधिकारी अपने घर |"
" आखिर सच्चाई क्या है ? क्यों भारत के होकी टीम के पूर्व कप्तान परगतसिंग ने कहा था सुरेश कलमाड़ी को "खेल जगत का माफिया "?,जनता को इन सवालों के जवाब सोचने चाहिए क्यों की उन्ही की जेब से जायेगा इन भ्रष्टाचारियोँ के घर पैसा ....अब आप ही सोचो क्या कर रहे है ये नेता ? "
" आखिर सच्चाई क्या है ? क्यों भारत के होकी टीम के पूर्व कप्तान परगतसिंग ने कहा था सुरेश कलमाड़ी को "खेल जगत का माफिया "?,जनता को इन सवालों के जवाब सोचने चाहिए क्यों की उन्ही की जेब से जायेगा इन भ्रष्टाचारियोँ के घर पैसा ....अब आप ही सोचो क्या कर रहे है ये नेता ? "
" विश्व के मशहूर नामी खिलाडी जिनका खेल देखने हम तड़प रहे थे आज भाग रहे है ..या, आने से इंकार कर रहे है और जो आये है वो कहेते है की सुविधा नहीं मिल रही है उन्हें ...इतना खर्चा करने के बावजूद भी ऐसा क्यों ?"
यह कामन-वेल्थ है..... कामन-मैन के पास ही जा रही है..
ReplyDeleteक्योंकि यह एक सच्चाई है। इससे मुंह छिपाना आसान नहीं है। पर वे मुंह न छिपने से भी परेशान नहीं है।
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया पोस्ट !
ReplyDeleteबधाई !
आपने जो लिखा है वह एक सच्चाई है. आजादी के बाद का यह सबसे बड़ा संगठित भ्रष्टाचार है जिस में केंद्र सरकार, दिल्ली सरकार, राजनीतिबाज, बाबू, खेलों से सम्बंधित अधिकारी, दिल्ली नगर निगम, नई दिल्ली मुनिसपल समिति, डीडीए, ठेकेदार और न जाने कौन-कौन शामिल हैं. पर मैं आज तक यह नहीं समझ पाया हूँ कि इन खेलों से भारत को क्या लेना-देना है? भारत एक स्वतंत्र राष्ट्र है. वह क्यों उस समय के किसी संगठन से सम्बंधित है जब भारत समेत इन खेलों में शामिल देशों पर ब्रिटेन का अधिकार था? मेरी समझ से यह मानसिक गुलामी का परिचायक है. आजाद होते ही भारत को इस से अलग हो जाना चाहिए था.
ReplyDeleteसही मुद्दे को लेकर आपने बड़े ही सुन्दरता से प्रस्तुत किया है! बहुत बढ़िया और शानदार पोस्ट!
ReplyDeleteकलमाडी तो बकरा है.... गलती तो गलत जगह के चयन की है... क्या दिल्ली ऐसे आयोजन के लिए उपयुक्त थी? ॥
ReplyDelete" aap sabhi mitrvaron ka tahe dil se sukriya "
ReplyDelete----- eksacchai { AAWAZ }
http://eksacchai.blogspot.com
दुआ है आपकी आवाज़ उन तक भी पहुंचे ...जहाँ पहुंचनी चाहिए .....!!
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