भारतीय रेलवे अब बन गई है " यमदूत " |
* क्या भारत में रेल्वे सफ़र सुरक्षित नहीं है ?
* मध्यप्रदेश के बदरवास स्टेशन पर गुड्स रेल ..पेसेंजर रेल्वे से टकराई |
* २३ की मौत और लगभग ५० घायल |
* नसे में धुत था स्टेशन मास्टर, जिसके ऑफिस में से बरामद हुई शराब की बोतल |
* दोष किसको दे " सरकार " या " रेल्वे अधिकारी " को |
" सुरक्षित और आरामदायक सफ़र के लिए प्रख्यात हमारी " रेल्वे" आज हो रही है बदनाम और बन रही है मासूमो के लिए " यमदूत " |"
" बार बार हो रहे रेल्वे हादसों से शायद हमारी सरकार ने कुछ सिखा ही नहीं है और उसका नतीजा हमारे सामने आज पड़ा है ,कभी गलत सिग्नल की वजह से तो कभी ऐसे शराबी स्टेशन मास्टर की वजह से ..हादसों का सिलसिला चालू ही है ..आखिर क्यों हमारी सरकार कोई कड़क कानून हमारे रेल्वे अधिकारीयों के लिए नहीं बना रही ? ..ये कानून बनाना तो दूर की बात मग़र हमारी सरकार जहाँ २ रेल्वे ट्रैक है वहां न जाने कितनी रेल्वे बढा देती है .क्यों ? तो सिर्फ ..लोगो को खुश करने के लिए ...रेल्वे बढाने की जगह अगर रेल्वे ट्रैक बढा दे सरकार तो ऐसे हादसों पर रोक लगा सकती है हमारी सरकार ..मग़र ऐसा नहीं होता है और सारी जिम्मेदारी सरकार उन " रेल्वे अधिकारीयों " पर ठोक देती है और जनता के दर्द पर मृतक के नाम चंद रुपये की बारिश कर देती है ..जैसे यहाँ आज हुवा है ..इस हादसे में जान गवानेवालों को सरकार ने ५ लाख रुपये और जख्मी को ५०००० रुपये और गंभीर रूप से घायलओं को १००००० रुपये देने की घोषणा कर दी ..क्या पैसे देने से ही जनता का दर्द और सारी परेशानी ख़त्म हो जाएगी |"
" शायद सरकार की नीती कुछ अलग है ..१ ट्रैक और ५ ट्रेन नहीं मग़र ....ट्रैक बढाओ,नहीं तो ऐसे हादसों में मरते है मासूम लोग जिनका आनद बदल जाता है चीखों में ..उन सहायता के पैसों का हम क्या करे हमने तो हमारे अपने खो दिए है ......
महाशोक !
ReplyDeleteबहुत दुखद है ये
ReplyDeleteबहुत दुखद है
ReplyDeleteरोजमर्रा की बात बनती जा रही है
दुखद हादसा.
ReplyDeletenice
ReplyDeleteबहुत ही दुखद और अफसोसजनक घटना है! आजकल तो रोज़ अख़बार में ये ख़बर पढ़ने को मिलता है कि ट्रेन की दुर्घटना में मासूम लोगों की जान चली गयी! सही कहा है आपने कि भारतीय रेलवे अब बन गयी है यमदूत!
ReplyDeleteIt's really very sad, we can not do anything for those who lost their life in this but pray for their family May GOD Give them strength to recover from the big loss ...
ReplyDeleteAb to rail durghtna roz ki kahaani hoti ja rahi hai ....
ReplyDeleteफिर भी जनसंख्या में कोई कमी नहीं :)
ReplyDeleteबुरा जो देखन मै चला , बुरा न मिल्या कोए
ReplyDeleteजो दिल ढूंढा आपनो , मुझसा बुरा न कोए |
तुलसीभाई जी बहुत ही सार्थक पोस्ट, अगर आप इसके मूल में जाएँ तो पाएंगे की ये हादसे फल हैं उन कर्मो के जिसे नेता और भ्रष्ट रेलवे अधिकारी अंजाम देते हैं | आज 70 % रेलवे की नौकरियां घूस लेकर तय की जाती है, जिसमे करोड़ों का हेरफेर ये करते हैं | अब ऐसे में इन रेलवे के कर्मचारिओं से क्या उम्मीद की जाये जब योग्य भीख मांग रहे हों और अयोग्य पैसे के बल पर रेलवे की नौकरी कर रहे हों | इसलिए फिलहाल तो यह स्थितिसुधरने वाली नही दिखती......आगे भगवान मालिक हैं .....
रत्नेश त्रिपाठी
yamdoot nahin, yamraaj hi hai,
ReplyDeleteyamraaj nahin hai toh uska bhainsa toh hai hi_
Ham to ek bar marte marte bache hain.
ReplyDeleteek rail exident me..................:(
kya batayen.......fir bhi chalna padta hai.
waaqai mein.... yamdoot ban gayi hai...
ReplyDeletebilkul shi kaha hai mitra.......
ReplyDelete" dhanyawad dostoan ..aapne aapka kimati waqt nikal kar aapki anmol comment meri is post per di "
ReplyDelete----- eksacchai { aawaz }