" कामसूत्र की किताब में डूबती हुई दुनियाँ को देखकर मै हैरान नहीं हु ,क्यों
की आजकल ज्यादातर लोगों को मैंने सेक्स के पीछे भागते देखा है | "
"कुछ लोग मेरी तरह चिल्लाते है की हमारी संस्कृति का नैतिक पतन हो रहा है और कुछ लोग दोष देते है इन्टरनेट और "इडीयट बॉक्स " याने "टी.वी" को ..मग़र क्या ये सही है ?"
" चलो बात करते है उन लोगों की, जो इन्टरनेट को दोष देते है | ... मेरी नजर से ये लोगों का समूह वो जमात है जो सिर्फ बुरी चींजे और बुरे चित्र देखते है क्यों की ये लोगों को इन्टरनेट की अच्छाई देखने का वक़्त ही नहीं मिलता है| ..कम कपड़ों में सुंदर सजी लड़की को किसी पराये मर्द के साथ अपनी रात रंगीन करते देखकर खुद उत्तेजित होने वाले ये लोग भला इन्टरनेट की अच्छाई और हमारी संस्कृति के बारे में क्या जाने जो खुद बुरे चित्र देखकर उत्तेजित होते हो ..जिनके मन इन्टरनेट सिर्फ ऐसे फोटो या विडियो देखने के लिए हो वो भला क्या जाने उसकी अच्छाई ..ऐसे लोग अक्सर चिल्लाते है की इन्टरनेट से ही हमारी संस्कृति और हमारे बच्चे बिगड़ रहे है ...ऐसी सूफियानी बात करने वाले समूह से मै एक ही बात कहूँगा की ..............
" पहले तू सुधर भाई ....... और इन्टरनेट की अच्छाई देखने की कोशिश कर |"
" मानता हु मै की इन्टरनेट में आजकल ऐसी क्लिप की भरमार है जो आपको बुरे संस्कार देती है मग़र एक बात याद रखना की कंप्यूटर के "की बोर्ड " पर आपकी ही उंगलियाँ चलती है फिर क्यों ऐसी वेबसाइट के वर्ड को टाइप करते हो भाई और व्यर्थ ही चिल्लाते हो की इन्टरनेट ख़राब है ..इन्टरनेट की अच्छाई भी तो देखो यार |"
कंप्यूटर के "की बोर्ड " पर आपकी ही उंगलियाँ चलती है
ReplyDeleteसार्थक बात .. भटकने वालों के लिये तो सौ राहे हैं
जी एक सिक्के के दोनों पहलु हैं ...ये तो हमें ही तय करना है की क्या ग्रहण करना है ....!!
ReplyDeleteरक्षाबंधन पर हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें!
ReplyDeleteसही कहा है आपने! बहुत ही बढ़िया और सार्थक पोस्ट!
Lambi bahas ka vishay hai ye, kai pahlu haiN, kai aayam haiN. Aapne sahi jagah ungli rakhkar shuruaat ki hai.
ReplyDeleteमहत्वपूर्ण सवाल है ।
ReplyDeleteYe to apni apni nazar hai ... bhai jo dekhna chaahge use vaisa hi molega ... ismen Internet ka kya dosh ...
ReplyDeleteमहत्वपूर्ण विषय पर लिखा है आपने...कहा भी सही है, पर बात कहने का ढंग यदि और शिष्ट होता तो अच्छा लगता...
ReplyDeleteऐसे जुगुप्सा जगाने वाले शीर्षक और ऐसी विवेचना,विषय के प्रति ईमानदारी पर प्रश्नचिन्ह लगा रही है...कृपया इसके प्रति सचेत रहें...
tulsi bhai
ReplyDeletevande matram
blog me akshar bold karke nahi likhe. padhne me dikkat hoti h. 40 sal ke bad wala ise bmushkil padh payega.
sunder lekh
badhai
or ha badhai sabse uper wale scrap ke liye.
bilkul sahi baat kahi.. apse sahmat
ReplyDeleteहर व्यक्ति में एक कामुक छिपा है... भले ही उसे नकारने का नाटक हो :)
ReplyDeletebilkul sahi baat... nice article..
ReplyDeleteA Silent Silence : Mout humse maang rahi zindgi..(मौत हमसे मांग रही जिंदगी..)
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बुरा जो देखन मै चला , बुरा न मिल्या कोए
ReplyDeleteजो दिल ढूंढा आपनो , मुझसा बुरा न कोए |