"इन की हर comment को दिल से पढ़ना की क्या कहते है मेरे ब्लॉगर भाई /बहन ...बहुत कुछ कहा है ऐसा मैं ही नही बल्कि आप भी कहेंगे मेरे इन ब्लॉगर भाई /बहन को हमारा सलाम "
वन्दना अवस्थी दुबे said...
sach hai, pata nahi abhi kitane hisse aur honge is desh ke...
November 12, 2009 2:37 PM
cmpershad said...
आँख खोल कर देखिये.... गरीबी हट रही है....मधु कोडा जैसा भिखारी भी आज हज़ारों करोड में खेल रहा है... सुखराम जैसे कई सुख की नींद सो रहे हैं..... तो रोना क्या है भाई :(
November 12, 2009 3:06 PM
Mithilesh dubey said...
स्तब्ध हूँ आपके लेख से । आपने जिस बेबाकी से अपनी बात कहीं वह लाजवाब रहा । बहुत ही उम्दा रचना लगी आपकी । बधाई
November 12, 2009 4:05 PM
दिगम्बर नासवा said...
bahoot hi bebaak, spasht, karaara lekh ... krodh ko jaise kaagaz par utaar diya aapne ... kamaal ka likha hai ... sab sach likh hai ...
November 12, 2009 5:08 PM
Suman said...
nice
November 12, 2009 5:51 PM
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक said...
बहुत सही पोस्ट लगाई है आपने!यह खेल तो आजादी के बाद से ही हमारे देश में खेला जा रहा है।
November 12, 2009 6:17 PM
महफूज़ अली said...
bahut hi bebaak, kharaa aur acchcha laga yeh aalekh....badhai....
November 12, 2009 6:28 PM
ललित शर्मा said...
ये भस्मासुर पाँच साल के लिए हम ही चुनते हैं और फ़िर ये हमारे सर पर हाथ फ़ेरने मे ही अपनी पुरी ताकत लगा देते हैं।आपने सही बात कही है।
November 12, 2009 7:25 PM
Roshani said...
ये मुट्ठी भर लोगों को अब बताने का समय आ गया है ....चेत जाओ वरना तुम्हारी खैर नहीं
November 12, 2009 8:47 PM
Kusum Thakur said...
आजकल नेता की परिभाषा ही बदल गयी है ....पर हमें उनकी राजनीति को समझना चाहिए ...
November 12, 2009 9:43 PM
Nirbhay Jain said...
bahut katu satya hai yeneta bane hi desh ko nilaam karne ke liye haiagar me bhi neta hota to sayad nilami me bhaag letaafsos !!!!!!! nahisayad main khus kismat hoo ki kam se kam main iska hissa nahi hooodesh ke batware abhi baki haikyoki abhi neta bahut baki है jis din nata giri khatamsamjho desh ka uddhaar ho jayega
November 12, 2009 10:30 PM
Babli said...
बहुत ही बढ़िया और कमाल का लिखा है आपने! पता नहीं कब हमारे देश में ये खेल समाप्त होगा! इस लाजवाब और बेहतरीन पोस्ट के लिए बहुत बहुत बधाई!
November 13, 2009 5:51 AM
shama said...
Ham barsonse bhool chuke hain, khudko kewal Hindustani kahna...soobon me bant gaye hain.."Hidi hain, watan hai Histostaan hamara..",bas yahee ek seekh seekhnee chahiye..aalekh bada achha hai..http://shamasansmaran.blogspot.comhttp://kavitabyshama.blogspot.comhttp://aajtakyahantak-thelightbyalonelypath.blogspot.comhttp://baagwaanee-thelightbyalonelypath.blogspot.com
November 13, 2009 9:14 AM
Nirmla Kapila said...
हम पंजाबी ,मराठी बंगाली मद्रासी हैंकब कहना सीखोगे हम सब भारत वासी हैंअलगाव वाद की बात को जितना उछाला जायेगा उतनी ही देश के लिये घातक है। सब को मिलजुल कर रहने मे ही देश का हित है। फिर ये दुशम्न की चाल है कि हिन्दू मुस्लिम दोनो को भडकाया जाये और वो इसे सफल बनाने के लिये कुछ भी कर सकता है। बहुत अच्छा आलेख है शुभकामनायें
November 13, 2009 10:01 AM
RAJIV MAHESHWARI said...
आज तो हिला कर रख दिया दोस्त.......ये दर्द आप का अपना नहीं है वल्कि करोडो भारत वासियों को भी है.हम सिर्फ सोचंते थे ...आपने उस सोच को इतने खुबसूरत शब्दों में पिरो कर पेश किया है.की में पुरे आलेख को एक सास में पढ़ गया ......सुंदर चित्रों से सजा ये आलेख मिल का पत्थर है..............आशा है आगे भी आप ऐसी ही पठनीय रचनाएं लिखते रहेंगे !
November 13, 2009 10:48 AM
संगीता पुरी said...
कमाल का लेखन है , सभी आपसे सहमत होंगे .. पर इसके बावजूद सही दिशा में प्रगति के लिए उठाने को कोई पहल नहीं हो रही है !!
November 13, 2009 11:57 AM
अबयज़ ख़ान said...
तस्वीर बहुत कुछ बोल गईं... वाकई आपके लेख ने आंखे खोल दीं... नेता कौड़ियों में खेल रहे हैं.. और आज भी कई ऐसे लोग हैं... जो भूखे पेट सो रहे हैं... काश आपका लेख राज ठाकरे जैसे इंसान भी पढ़ते... तो कम से कम देशभक्ति की परिभाषा समझ जाते...
November 13, 2009 9:59 PM
डॉ टी एस दराल said...
सोई हुई चेतना को जाग्रत करता लेख. लेकिन इन नेताओं की चेतना कब जागेगी , पता नहीं. इस साहसपूर्ण रचना के लिए बधाई.
November 14, 2009 3:52 PM
श्यामल सुमन said...
हकीकत से आँखें मिलाती आपकी रचना पसन्द आयी। हालात तो सचमुच दिन प्रतिदिन बिगड़ते जा रहे हैं। बस यही कह सकता हूँ कि -
बिजलियाँ गिर रहीं घर पे न बिजली घर तलक आयी।
बनाते घर हजारों जो उसी ने छत नहीं पायी।
है कैसा दौर मँहगीं मुर्गियाँ हैं आदमी से अब ,
करे मेहनत उसी ने पेट भर रोटी नहीं खायी।।
सादर श्यामल सुमन०९९५५३७३२८८ www।manoramsuman.blogspot.com
November 14, 2009 6:57 PM
Harkirat Haqeer said...
गाँधीजी और देश की खातिर जान देनेवाले तमाम लोगो ने " वन्देमातरम " कहकर अंग्रेजों को भगाया और आज के नेता लोगो ने " वन्देमातरम " पर विवाद खड़ा कर के देश को मानो हिंदू ...मुस्लिम के टुकडो में बाँट दिया ....
आवाज़ काफी बुलंद है और कलम में धार भी तेज ....अब असर देखना है ......!!
November 15, 2009 11:07 AM
namita said...
हम समझते तो सब है फ़िर भी क्यों बहकावे मे आ जाते हैं.बिल्कुल खरी बात कही है.
November 15, 2009 3:33 PM
अमृत पाल सिंह said...
सही कहा आपने। भारत में मूलभूत समस्याओं की अनदेखी कर फालतू के काम ज़्यादा हो रहे है। औक राजनीति की तो हालत ही खराब है।
November 15, 2009 5:07 PM
शबनम खान, अमृत पाल सिंह said...
हर ओर मची है लूट। सब लूट रहे हैं। अच्छी पोस्ट।
November 15, 2009 5:10 PM
" इन सभी भाई /बहन को हमारा सलाम "
badhai ho bhai !
ReplyDeletejitnee sajagtaa se aapne aalekh me apni baat kahi, utna hi prabal pratisaad aapko sabhi saathiyon ka mila.
yon hi lage rahen
aise saartahk lekhan ki badi zaroorat hai is dour me..........
अब पढ़ रहे हैं., तब छूट गई थी. :)
ReplyDeleteजिस तरह से आपने अन्दांजे बयाँ दिया इस व्यक्तव्य पर वह वास्तव में लाजवाब रहा था । इतनी बड़ी बात को सहज लहजे में कह देना वाकयी बड़ी बात होती है । आभारी तो हम आपके है कि आपने एक सार्थक लेख हमारे सामने रखा ।
ReplyDeleteTIPPANIYON SE SAABIT HO RAHA HAI AAPNE KITNA SAARTHAK LIKHA THA ....
ReplyDeleteवाह कमेन्ट पर कमेन्ट कमाल है बधाई
ReplyDeleteBahut bebaaki se likhate hai aap. Hum sab sabse pahale insaan hain. Agar yah baat sabki samjh mein aa jaye to ladaee-jhagadon ka tanda hi samapat ho jayega...
ReplyDeleteखुदा सलामत रखे आपको जीवन की हर तन्हाईओं से
ईद मुबारक हो आपको दिल की गहराईओं से
Tulsi Bhai ji aapne bahut dinon se kuch nahin likha.we are waiting for your new Article.
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