" दिल को सुकून दे जाती है नन्ही कलियाँ की मुस्कान |दिन भर की थकान के साथ हम घर पर लौटते है तो क्या आपने देखा है की आपके सामने पानी का ग्लास मधुर मुस्कान के साथ ले खड़ी होती है " बेटियाँ " |"
" ये दुनिया हर वक्त सच्चाई को पथ्हर ही मारती आ रही है ...अरे जो " परवर दिगार के फरिस्ते " है ....जीजस ....साईबाबा .... उनको भी कहाँ छोड़ा है ..जीजस ...जिनको सूली पर चढा दिया ..और साईबाबा को सिरडी में रहने नही देती थी ये दुनिया |क्यों ? क्योंकि वो सच्चाई के फरिस्ते थे ...फ़िर भी दुनिया ने उन पर जुल्म बरसाए ...पता चला दुनिया को उनकी बिदाई के बाद के यही तो थे करुणासागर ..वैसे ही हमे पता चलता है की "बेटियाँ अनमोल होती है जो करुनासागर होती है |" जिनकी बिदाई के बाद घर और दिल के कोने से बेटी की याद को मिटाना आसान नही होता |"
"बेटी मानों समंदर जैसी होती है जो हर डांट सहे जाती है और बदले में देती है हमे ढेर सारा प्यार "
" औरत जब पेट से होती है तो सोनोग्राफी करवा कर देखते है की बेटा है या बेटी ...अगर बेटी है तो बच्ची को गीरानेवाले लोग भी हमने काफी करीब से देखे है और उनको मदद करनेवाले डॉक्टर भी हमने करीब से देखे है ...जो थोड़े रुपयों के लालच में नन्ही सी कलि की मुस्कराहट को बंद कर देते है ....... ये डॉक्टर हम से भी ज्यादा पढ़े लिखे होते है फ़िर भी नही समज पा रहे की बेटी का महत्त्व क्या है ? क्या वो समजा नही सकते थे उन लोगो को जो अपराध करने जा रहे है ....अरे हम जैसे पढ़े लिखे लोग तो समजा सकते है और कौन समजायेगा ...इन अनपढ़ लोगो को .....अरे जब डॉक्टर जैसे पढ़े लिखे जिम्मेदार लोग नही समज पा रहे है की बेटी अनमोल होती है तो इन अनपढ़ लोगो का क्या दोष ?ऐसी पढ़ाई का क्या फायदा |सबसे ज्यादा तो डॉक्टर ही समजा सकते है betiyon का महत्त्व क्यों की उन्ही के पास आते है अनपढ़ से लेकर पढ़े लिखे लोग तो भला वो नही समजा सकते ?"
" मैं जानता हु की आप सब मेरी ये पोस्ट पढ़कर क्या प्रतिक्रिया करेंगे ?कोई मुझे पागल कहेगा तो कोई ...भावना की लहर में बहनेवाला ...तो कोई कहेगा की ब्लॉग तो हम जैसे पढ़े लिखे लोग ही पढ़ते है ..आप जो लिखते हो उसकी जरूरत अनपढ़ और देहाती लोगो को है हमे नही मगर कभी सोचा की अनपढ़ और देहाती लोगो तक ये सच्चाई पहुचायेगा कौन ?.........तो वो है आप जैसे पढ़े लिखे लोग ..अरे क्या हम सब पढ़े लिखे लोग अगर दो.... दो लोगो को ये सच्चाई समजयेंगे की बेटियाँ अनमोल होती है तो सोचो कितना अच्छा होगा .... क्या आप बेटियाँ के वास्ते सिर्फ़ दो देहाती या अनपढ़ लोगो को "बेटी का महत्त्व "नही समजा सकते ?"
" बिनती है आप सब पढ़े लिखे लोगो से "बेटियाँ अनमोल होती है " ये बात अपने आसपास रह्नेवालोसे करियेगा और ये कार्य में आप अपना सहयोग दे ऐसी आप सब पढ़े लिखे लोगो से मेरी प्राथना |"
नोंध : "बहु बेटी पर अत्याचार " अर्न्तगत "माँ भी किसी की बेटी थी " का अगला भाग ..बहुत जल्द ही लेकर आयेंगे |
{ shesh bhag agali post me }
bahut sachhi baat kah rahe hain
ReplyDeleteagar ham sab samjhayenge to badlega samaaj
aur bhurn hatya band ho jaayegi
halaki aajkal bahut kam hota hai aisa
शानदार रचना। बधाई
ReplyDeleteअंतर्मन को प्रभावित करता आलेख , अच्छा लगा .
ReplyDelete- विजय
आपका kahna bilkul ठीक है............. betiyaan anmol हैं............. और हो भी क्यों न........... aajkal के dour में jahaa bete सिर्फ paise की dod में लगे rahte हैं............. vahee betiyaan budhaape में भी माँ baap का sahaara banti हैं............
ReplyDeleteek sacchai sahi me sacchai he. magar log hamesha najar andaj kar dete he. padhte he tab thik lagta he baad me bhool jate he. aisa kyo hota he? turant action lena jaruri he..............
ReplyDeletedeep patel maharashra
आज की जरूरत है बेटियों को बचाना अन्यथा नहीं तो मानवता के अस्तित्व पर प्रश्न चिह्न लग जायगा। देश के प्रायः हर भाग में नारी - पुरुष का अनुपात उल्लेखनीय रूप से असमान है। अच्छे विचार।
ReplyDeleteहो सके तो एक बार सम्पादित कर लें - जैसे - पथ्थर, फरिश्ते, गिरानेवाले इत्यादि।
टी०वी० में एक ओर दिखलाया जाता है महिलाओं का शोषण,
तो दूसरी ओर दिखलाया जाता है महिला मुक्ति का आन्दोलन,
महिला मुक्ति आन्दोलन का समाज पे इतना प्रभाव है,
कि जन्म से पहले ही मुक्ति का प्रस्ताव है।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
वैसे ये बात भी उतनी ही सच है कि बेटियों की हत्याएं करवाने ज्यादातर पढ़े लिखे लोग ही सोनोग्राफी की लाइन में खड़े होते हैं ...अनपढ़ नहीं ..
ReplyDelete"aap sabhi "eksacchai " ke chahnewalo ka sacche di se sukriya ....ummid hai ki aap sab hamare is "beti anmol hai " kary se khush hai aur hamara haath batayenge...."
ReplyDelete-----eksacchai {aawaz}
http://eksacchai.blogspot.com
good
ReplyDeleteबेहद भावनात्मक आलेख , दिल को छु गये शब्द सच कहा माँ भी किसी की बेटी थी.....इस आलेख के साथ जो चित्र है वो हमेशा से मेरा favt रहा है.....जैसे हाथ में थामी ये नन्ही बच्ची अपने आस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही हो...इसकी मासूमियत जैसे अपनी और खीचं रही हो.....और इस तस्वीर को देख कर दिल तड़पने सा लगता है.....
ReplyDeleteregards
seema ,
ReplyDelete"eksacchai kaheti hai aapko sukriya aapki comment per ...."
dhanyawad,
-----eksacchai {AAWAZ }
http://eksacchai.blogspot.com
behad kadwa sach kaha aapne
ReplyDeletebehatreen rachna
Akanskha
http://prakamyaa.blogspot.com
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