"सुबह सुबह घरवाली बोलती है की पैसे देकर जाना तो हम उसे पैसे बचत करने की सलाह देते है ...अरे वो बिच्चारी १०० रुपये मांगती है तो हम उसे कहते है की सुबह सुबह मुड ख़राब मत करो ...या कहते है की कल ही तो दिए थे ,तुम पैसो का क्या करती हो ?....घर में अपनी बीवी पर रॉब दिखा सकने वाले ये नही सोचते है की महेंगाई कितनी है ? कभी बाज़ार में जा कर "प्याज़ ,पलक ,आलू ,कोबिज के दाम पूछे है ? "...अपनी बीवी पर गुस्सा होने से क्या फायदा होगा ?...जब इलेक्शन में तुम्हारे नेता तुमसे झूठे वादे करते है तब तुम्हारा गुस्सा कहा गया था ...|"
"अरे आज यही आम आदमी को आलू के दाम मार रहे है |बस वही पुराना डायलोग हमारे नेता दोहराते है की " सरकार कदम उठारही है " मगर सरकार के कदम आम आदमी के फैसलों में ही क्यों नाकामयाब होते है ? ..कभी सोच्चा ....चलो मानते है की सरकार कदम उठा रही है मगर .....आम आदमी तक सरकार के कोई भी फायदे पहुचते क्यों नही ?क्यों की यहाँ पर भी रिस्वत है ...या फिर आम आदमी का आवाज़ बुलद नही है |"
" स्टेप्लेर की पिन खरीदते वक्त हम उसके दाम करते है मगर अपना हक जताने से डरते है .....१ ...१ रुपये का हिसाब जोड़नेवाली आम जनता सायद ५ बरस का हिसाब नही जोड़ सकती ...महेंगाई की बात ...बार बार दोहराती है आम जनता अपने दोस्तों से मगर जरा सोचो ये आई कहाँ से .....नही सोचते है हम ये बात सायद इसी लिए ही "आलू के दाम हमे मार रहे है "|कोई भी चीज़ लो आज उसका दाम आसमान को छु रहा है ....अरे जब आंतेररास्ट्रीय बाज़ार में पेट्रोल के दाम गिरे थे ...तुब हमारेपेट्रोलियम मिनिस्टर ने कहा था की हमारी कंपनिया आज तक नुकसान कर रही थी ...इसी लिए हम दाम कम नही करेंगे ...मगर चुनाव के ठीक कुछ समय पूर्व हीदाम कम कर दिए ....तो सिर्फ़ चुनाव जितने के लिए ही ...क्यों की चुनाव के बाद फ़िर से वाही दाम बढ़ा भी दिए ......सोचो इतनी सब्सिडी के बावजूद दाम या महेंगाई कम क्यों नही हो रही है ? क्या हमारे देश में रिश्वत .....छोड़ो भी सायद ये bekar की बात होगी | "
"अरे विपख्स पक्ष भी कुछ कम नही है ,सायद वो ....विरोध करना ही भूल गया है ...उसे पता ही नही है की जनता ने उसे क्या करने भेजा है ? .....अभी चार पाँच दिन पहले ही अम्बानी भाई ने कहा की रेलैंस पेट्रो के हाथ की कठपुतली है पेट्रोलियम मिनिस्टर ....होगई न तसल्ली .....पता चला न की भाई आमआदमी की आवाज़ और पैसेवालों की आवाज़ में क्या फर्क होता है ....पैसा उद्योगपतियों का और वोट हमारा होता है ...तभी तो जाकर बनती है सरकार ...हम थोड़े हीमुकेश अम्बानी या अनिल अम्बानी है ...हम तो ठहरे सिर्फ़ आमआदमी जो वोट दे सकता है... पैसा नही... जो महेंगाई तो क्या सब कुछ सहन कर सकता है मगर बोलता नही |"
" देखते है की क्या करती है हमारी सरकार .....जिसके निर्णय गरीबो के कम पैसेवालों के ज्यादा रहते है ..........वैसे भी हमे आमआदमी कहा जा रहा है |क्या आम आदमी का महत्त्व हमारी सरकार को है ? जिसका जवाब तो आनेवाला समय ही देगा ,विरोध पक्ष को कोई जरा ये सम्जओ की उनका काम क्या है ? ताकि आम आदमी की आवाज़ वो पंहुचा सके हमारे संसद भवन में ...|"
"दोस्तों गौर से पढ़ना क्यों की ये तुम्हारी ...और मेरी कहानी है ....पुरे देश के उन लोगो की कहानी है जिन्हें हमारे नेता बुलाते है ........ " आमआदमी "|
" हमारे प्यारे नेताओ से विनंती है की कभी सब्जी खरीदने सब्जी मण्डी भी जाया करे ताकि उन्हें पता चले की आम आदमी कैसे जी रहा है ?"
Ham sabhi 'pardukhh sheetal' samajhte rahte hain...jab tak khud pe nahi guzarti,hame pata nahee chalta..!
ReplyDelete"comments ke liye dhanyawad ... KYA AAP PER NAHI GUZARI HAI ?....HUM NAHI ..SURUVAT MAI APANE SE KARTA HU ..."PARDUKH SHEETAL " HU NAHI MAGAR AAP JARA DEKHO MAINE SACCHAI BHARI HI BAAT KI HAI AUR AKELE KI NAHI BALKI HUM SABKI BAAT KI HAI ...AUR HAAN , MERI POST AAP JARA DHYAN SE PADHE MAINE KYA LIKHA HAI ..SIRF CHAND LOGO KO NIND SE JAGANA CHAHATA HU ,,JO SO RAHE HAI....AGAR 1 AADMI SAMAJ JAYEGA MERI BAAT TO BHI MERI POST KI MAI KAMYABI SAMJUNGA ..KUM SE KUM KISI KO JAGAYA TO SAHI "
ReplyDelete--EKSACCHAI
ye sahi hai ki aaj AAM AADMAI bahut mushkilo mai hai lakin iske liye kahi na kahi hum khud responsible hai........Vakai aapne bahut SATIK likha hai....
ReplyDeletehairan hoon ki meri tippani kyon nahin post hui ab itani badi tippani dobara nahin de sakati
ReplyDeleteupar ki tippanion se hee pata chalata hai ki meri pehali tippani bilkul sahee thi
ReplyDeleteapne bilkul sahi kaha.or yahi sachaai hai.apse ek reqest hai ki ap is site per apni post kis tarah send kare hai m bhi kuch send karna chahti hu plz mujhe bataai.thanks.soniaprovab@gmail.com
ReplyDeleteSonia Raj