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Tuesday, March 18, 2014

रॉबर्ट वाड्रा का 'जमीनी खेल' ओर बदलता कानून

                 " रॉबर्ट वाड्रा ने राजस्थान के बीकानेर जिले में जमीन खरीदने के लिए कानून भी तोड़ा था ओर सबसे गंभीर बात ये है की रॉबर्ट वाड्रा के लिए राजस्थान सरकार ने भूमि कानून तक बदल दिया ये जमीनी लेनदेन राजस्थान इंपोजीशन ऑफ सीलिंग ऑन एग्रिकल्चरल होल्डिंग्स एक्ट, 1973 का साफ-साफ उल्लंघन है. क्योंकि वाड्रा ने अप्रैल 2009 में 175 एकड़ जमीन रखने की अधिकतम सीमा को पार किया था | "

* 175 एकड़ जमीन रखने की इजाजत कानूनी तौर पर होती है मगर वाड्रा ने 321.78 एकड़ जमीन ली थी
             ·   राजस्थान लेंड सीलिंग एक्ट के तहत सितंबर 2010 से पहले 175 एकड़ अधिकतम जमीन रखने की इजाजत थी ओर वाड्रा ने सितंबर 2010 से पहले ही 321.8 एकड़ जमीन खरीदी थी

* कब कहाँ कितनी जमीन खरीदी गई ?
               
बीकानेर जिले के कोयालत इलाके के बस्ती चौनन गांव में वाड्रा के फ्रंटमैन महेश नागर ने 2009 में 218 एकड़ जमीन खरीदी ओर नागर ने ही बीकानेर के कोलायत इलाके में रॉबर्ट वाड्रा के लिए सारे डील किये है  9 अप्रैल, 2009 को रीयल अर्थ इस्टेट्स प्राइवेट लिमिटेड की तरफ से महेश नागर ने 218 एकड़ जमीन खरीदी. नागर का वाड्रा का रिश्ता यह था कि वह रीयल अर्थ प्राइवेट लिमिटेड का डायरेक्टर था, विक्रेता अविजीत एग्रो प्राइवेट लिमिटेड के विनीत असोपा थे ओर जमीन का खसरा नंबर था 58, 63  |

                 
4 जून 2009 को वाड्रा ने गजनेर गांव में 36 एकड़ से ज्यादा जमीन खरीदी. लैंड डील दस्तावेजों से यहां पता चलता है कि महेश नागर ने ब्लू ब्रीज़ प्राइवेट ट्रेडिंग लिमिटेड की तरफ से ये जमीन खरीदी थी. इस कंपनी में वाड्रा का नाम बतौर डायरेक्टर है. इसमें ब्लू ब्रीज़ प्राइवेट ट्रेडिंग लिमिटेड की तरफ से महेश नागर ने 36.87 एकड़ जमीन खरीदी. यहां वाड्रा से नागर का रिश्ता था कि वह ब्लू ब्रीज़ प्राइवेट ट्रेडिंग लिमिटेड का डायरेक्टर था ओर जमीन का खसरा नंबर था 657/445 |”

                       
12 जून 2009 को वाड्रा ने गजनेर गांव में ही और 39 एकड़ जमीन ले ली. महेश नागर ने ब्लू ब्रीज़ ट्रेडिंग की तरफ से ये जमीन खरीदी थी ओर खसरा नंबर था 660/445 यहाँ एक बात गौर करे की नागर तो सिर्फ दस्तखत करने के लिए अधिकृत था, ना कि वो जमीन का मालिक था ,लैंड डील में रीयल अर्थ और ब्लू ब्रीज नाम की जिन दो कंपनियों के नाम पर वो जमीन खरीद रहा था उस कंपनी मे सबसे बड़ा स्टॉक होल्डर रॉबर्ट वाड्रा हैं |”

                       
कॉर्पोरेट अफेयर्स मंत्रालय की वेबसाइट के मुताबिक, ब्लू ब्रीज ट्रेडिंग प्राइवेट लिमिटेड में सिर्फ दो शेयरहोल्डर्स हैं- रॉबर्ट और उनकी मां मौरीन, कंपनी के असली मालिक वाड्रा हैं, रीयल अर्थ में बड़ा हिस्सा रॉबर्ट वाड्रा (99%) के नाम है. उनकी मां मौरीन वाड्रा के पास 1% है ओर रीयल अर्थ में वाड्रा के पास 99 फीसदी इक्विटी है बाकी एक फीसदी इक्विटी उनकी मां मौरीन के पास है |”

*  चेक पर दस्तखत वाड्रा के है
                  " आजतक न्यूज के पास एमएस रीयल अर्थ इस्टेट्स प्राइवेट लिमिटेड के नाम से जारी चेक की कॉपी है, जिसपर रॉबर्ट वाड्रा के दस्तखत हैं, जमीन खरीदने के लिए दिए गये ये चेक साबित करते हैं कि महेश नागर के जरिए सारा काम वाड्रा करा रहे थे | "

                 " 9 अप्रैल 2009 को अविजीत एग्रो (मालिक विनीत असोपा) को 91,50,000 रुपये की रकम चुकायी गयी, चेक नंबर था 759382 और इस पर रॉबर्ट वाड्रा के साइन थे, 9 अप्रैल 2009 को ही सरिता बोथरा (विनीत असोपा के पास वाले प्लॉट की मालकिन) को चेक नंबर 759384 के जरिए 8,50,000 रकम दी
गई. इस पर भी वाड्रा के ही साइन थे | "

* वाड्रा ने कैसे तोड़ा कानून ?
                "
कानून के मुताबिक, रेगिस्तानी और अर्ध रेगिस्तानी इलाकों में 125 से 175 एकड़ जमीन रखने की इजाजत है मगर वाड्रा ने अप्रैल 2009 और अगस्त 2010 के बीच 321 एकड़ से ज्यादा जमीन खरीदी. ये राजस्थान इंपोजीशन ऑफ सीलिंग ऑन एग्रिकल्चरल होल्डिंग्स एक्ट, 1973 का उल्लंघन था | "
* अशोक गेहलोत भी गुनहगार है
                
2009 में वाड्रा राजस्थान में जमीन खरीद रहे थे, तब अशोक गेहलोत की कॉंग्रेस सरकार ने अपनी आंखे बंद रखी और जब वाड्रा ने जमीन खरीद ली तो जमीन एक्ट में संशोधन करके उसे कानूनी तौर पर मंजूरी भी दे दी ... ये बात दर्शाती है की अशोक गेहलोत सरकार भी वाड्रा को मदद कर रही थी |”

* वाड्रा के लिए बदला कानून?
             
सितंबर 2010 में राज्य सरकार ने तीन दशक से भी ज्यादा पुराने कानून में संशोधन किया, साथ ही जमीन पर सीलिंग भी खत्म कर दी, संशोधन में सभी पुराने अधिग्रहण को सही ठहराने के लिए जरूरी नियम जोड़ दिये गये, ताकि उस इलाके में वाड्रा ज्यादा से ज्यादा जमीन खरीद सकें |”

           
जहां वाड्रा के उल्लंघन को कानूनी जामा पहनाने के लिए कांग्रेस शासित राज्य सरकार ने लैंड सीलिंग एक्ट में बदलाव कर दिया, वही करीब तीन साल तक वो सोलर पॉलिसी पर भी बैठी रही, ये वो दौर था, जब वाड्रा ने इस इलाके में बड़ा लैंड बैंक तैयार कर लिया था |”

बंजर जमीन पर जैकपॉट कैसे लगा ?
अप्रैल 2009- वाड्रा ने कोलायत इलाके में जमीन खरीदनी शुरू की.
नवंबर 2009- केंद्र का जवाहरलाल नेहरू नेशनल सोलर मिशन शुरू.
2009-
सोलर एनर्जी प्रोजेक्ट्स के लिए केंद्र का राज्यों को लैंड बैंक बनाने का निर्देश.
2009
से 2011 के बीच वाड्रा ने सैकड़ों एकड़ जमीन खरीद ली.
अप्रैल 2011- राजस्थान सरकार की सोलर पॉलिसी शुरू.
जहां सोलर प्रोजेक्ट्स का प्रस्ताव आया, वहां की बंजर जमीन भी महंगी हो गयी.
                " यहीं से वो कहानी शुरु होती है कि कैसे बीकानेर में वाड्रा ने मोटा मुनाफा कमाया. उन्होंने बीकानेर के कोलायत इलाके में 81.35 एकड़ जमीन खरीदकर बाद में छह गुने दाम पर सोलर पॉवर प्रोजेक्ट शुरू करने वाली इंडो-फ्रेंच कंपनी फोनरॉक सारस (Fonroche Saaras) को बेच दी. सिर्फ इसी एक ट्रांजैक्शन से वाड्रा ने 612 फीसदी लाभ कमाया. दो साल के भीतर जमीन की कीमत छह गुना बढ़ गयी |"

ब्यौरा-
तारीख- 24-03-2010
खसरा नंबर- 452, 450, 461, 462
गांव- गजनेर
क्षेत्र- 81.3 एकड़
कीमत- रुपये 28 लाख
खरीदार- प्रफुल्ल दहिया की तरफ से महेश नागर
कंपनी- स्काइलाइट रियल्टी
बेचा गया- फोनरॉक सारस के प्रमोद राजू
तारीख-23-05-2012
जमीन की कीमत- 1.99 करोड़
फायदा- 1.7 करोड़

      " 4
जून 2009 को गजनेर में वाड्रा के फ्रंटमैन महेश नागर ने 37.29 एकड़ जमीन खरीदी. फिर उसे तीन साल में ही ग्यारह गुना से भी ज्यादा दाम पर इंडो-फ्रेंच कंपनी फोनरॉक सारस एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड को बेच दिया | "

ब्यौरा-
तारीख- 4 जून, 2009
खसरा नंबर-657/445
गांव- गजनेर
क्षेत्र- 37.3 एकड़
कीमत- 8.7 लाख रुपये
खरीदार- महेश नागर
कंपनी- ब्लू ब्रीज़ ट्रेडिंग प्राइवेट लिमिटेड
बेचा गया- फोनरॉक सारस एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड
तारीख- 23 मई, 2012
बेचने की कीमत- 1,01,62,599 रुपये
लाभ- 92.9 लाख रुपये (खरीद दाम से 11गुना ज्यादा)

      " 4
जून 2009 को वाड्रा के फ्रंटमैन ने एक बार फिर गजनेर गांव में ही 27.5 एकड़ जमीन खरीदी और उसे छह गुने दाम पर बेच दिया. उन्होंने 13 लाख से कुछ ज्यादा दाम पर जमीन खरीदकर 75 लाख से ज्यादा कीमतपर पर फोनरॉक राजहंस को बेच दिया "

ब्यौरा-
तारीख- 4 जून, 2009
खसरा नंबर-658/445 गांव- गजनेर
क्षेत्र- 27.5 एकड़
कीमत- 13.2 लाख रुपये
खरीदार- महेश नागर
कंपनी- ब्लू ब्रीज़ ट्रेडिंग प्राइवेट लिमिटेड
बेचा गया- फोनरॉक राजहंस प्राइवेट लिमिटेड
तारीख- 23 मई, 2012
बेचने की कीमत- 75 लाख रुपये
लाभ- 62लाख रुपये (खरीद दाम से 6गुना ज्यादा)

2009 से 2011 के बीच लैंड बैंक बनाने के केंद्र के निर्देश पर राज्य सरकार बैठी रही
*
राज्य सरकार की काहिली ने वाड्रा को सोलर केंद्रों के आस-पास लैंड बैंक बनाने में मदद की
* बीकानेर क्षेत्र में सोलर केंद्रों की जानकारी सिर्फ राज्य सरकार और केंद्र को थी
* राज्य के सोलर पॉलिसी में रियायती दर पर जमीन मुहैया कराने का प्रावधान था
* राज्य सरकार ने रियायती दर पर जमीन बेचने का प्रस्ताव रखा, मगर राज्य सरकार की अधिग्रहित जमीन को खरीदने कोई नहीं आया
* इसकी वजह सरकार की अधिग्रहित जमीन का ट्रांसमिशन हब्स से दूरी थी

इसलिए कुछ बड़े सवाल खड़े होते हैं-
*
क्या मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बीकानेर में जमीन खरीदने के लिए वाड्रा से साठ-गांठ की.
* क्या राज्य सरकार ने लैंड सीलिंग एक्ट में बदलाव इसलिए किया ताकि तय सीमा से ज्यादा जमीन खरीदने वाले वा़ड्रा का सौदा कानूनन जायज हो सके
* क्या जमीन खरीदने से पहले ही वाड्रा को उस इलाके में सोलर पॉवर प्रोजेक्ट्स आने की जानकारी मिल गयी थी
* तीन साल में सरकार लैंड बैंक बनाने में क्यों नाकाम रही

* सोर्स : बर्बाद भारत

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6 comments:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा आज बृहस्पतिवार (27-06-2013) को बहुत बंट चुके हम अब और न बांटो ( चर्चा - 1288 )
    मे "मयंक का कोना"
    पर भी है!
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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    1. शुक्रिया आदरणीय शास्त्री जी :)

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  2. bhai ye wala pic main copy kar raha hu ....

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    1. कीजिये राजेश भाई

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  3. सब कुछ पहले ही पता चल जाता है क्योंकि राजनैतिक राजघराने के दामाद जो ठहरे ......

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    1. :) सच कहा है आपने पूरण जी

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