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Monday, May 10, 2010

" क्यु हर गाली में मेरा जिक्र करते हो ..मैंने तुम्हे जन्म दिया है |"

" समाज ने दिए दर्द के सहारे जी रही हु ,
जिसको मैंने जन्म दिया उसी से गालियाँ खा रही हु ,
क्यु हर गाली में मेरा जिक्र करते हो ,
मेरा कसूर क्या यही है की, मैंने तुम्हे जन्म दिया ?
आज भी भरे बाज़ार में मेरी आबरू लुट रही है "

" क्या ये सच है ? ...जी हाँ यही कडवा सच है की हम लोग अक्सर हमारी निजी लड़ाई में भी एक दुसरे की माँ के नाम की गालियाँ बोलते है और धजियाँ उड़ाते है जन्म देनेवाली माँ की आबरू की ..हम लोग भूल जाते है की माँ चाहे किसी की भी हो माँ ..माँ होती है ..और बस गन्दी गालियों की बरसात करते है एक दुसरे पर "
" कभी कभी मैंने देखा है की ,ऐसे इंसान भी है जो मजाक मजाक में माँ के नाम की गालियाँ देते है ..तेरे माँ की ....ये सब्द इन लोगो के लिए मामूली बन गया है ..मग़र क्या ये सही है ?"
" जिस औरत ने हमे जन्म दिया ,उसको हमने क्या दिया ..चन्द गंदे सब्द ...क्या हम इस गंदे सब्द को हमारी जिन्दगी से नहीं निकाल सकते ?..गालियाँ भी अजीब है सायद गालियाँ और माँ -बहेन का रिश्ता पुराना लगता है समाज को लगे इस दूषण से हम कैसे बचे ये सोचो और हो सके तो गालियाँ देने से दूर रहेकर ही हम " माँ " के प्रति अपना भाव प्रकट कर सकेंगे "
" मधर डे" के दिन मैंने हर ब्लॉग पर माँ पर लिखी गयी रचना पढ़ी मग़र कही पर दिल नहीं लगा ..क्यु की माँ के प्रति रचना या आलेख लिखने से माँ खुश नहीं होगी माँ से जाकर कहेना की माँ मैंने आज कोई रचना आपके नाम नहीं लिखी है मग़र आज मै ये वादा करता हु की किसी को कभी किसी की माँ या बहेन के नाम की गालियाँ नहीं दूंगा ...वादा रहा दोस्तों माँ बहुत ही खुश हो जाएगी और यही सच्चा प्यार माँ के प्रति होगा "
" आओ दोस्तों समाज की इस दूषण को हम मिटाए और पहेल करे " माँ " के प्रति सच्चा प्यार जताने की "

15 comments:

  1. aapse poori tarah sehmat hun maa ka aisa apmaan nahi hona chahiye....

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  2. अच्छा विचारणीय आलेख.

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  3. विचारणीय लेख .......

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  4. क्यों नहीं समझ पाते माँ का दर्द

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  5. आपसे पूर्णतया सहमत हूँ , ये शास्वत सच है ।

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  6. thik kaha apne....
    pata nahi log kyo bhool jate hai
    lagta hai apne bhavishya ki chinta nahi
    isliye maa ko itna rulate hai
    lekin maa fir dua deti isliye jiye jaate hai

    "Maa! Pahle Aansu aate the...
    aur Tu Yaad aati thi.
    Aaj tu Yaad aati hai
    aur phir Aansu aate hai."

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  7. बहुत ही अच्छा विचार है आपका ... यदि सब ऐसा करें तो समाज कितना अच्छा हो जाएगा ...

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  8. बेहद सुन्दर और विचारणीय आलेख! आपकी लेखनी को सलाम! बेहतरीन प्रस्तुती!

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  9. ज़बरदस्त पोस्ट लिखी है आपने.. वाकई हम लोग मां का दर्द नहीं समझ पाते..

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  10. " समाज ने दिए दर्द के सहारे जी रही हु ,
    जिसको मैंने जन्म दिया उसी से गालियाँ खा रही हु ,
    क्यु हर गाली में मेरा जिक्र करते हो ,
    मेरा कसूर क्या यही है की, मैंने तुम्हे जन्म दिया ?
    आज भी भरे बाज़ार में मेरी आबरू लुट रही है "


    इन्हे पढ़ते ही हम समझ गए कुछ गहरी बात कहोगे ......बहुत खूब ...सच्ची बात कह दी

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  11. kya vichhar hain aapke, dil ko choo gaye....
    yun hi likhte rahein...
    -----------------------------------
    mere blog mein is baar...
    जाने क्यूँ उदास है मन....
    jaroora aayein
    regards
    http://i555.blogspot.com/

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  12. aapne bakhoobhi baat ko hum tak pahunchaya hai..

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  13. aur in shabdon ki pida anadar hi andar aurton ko kachotti hai ki in nalaykon ko usne kyon janm diya..

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