" ए खुदा ,तेरी और " माँ " की सिर्फ सूरत मिलती है ,
ढूंढने पर भी नहीं मिलता तू ,मगर " माँ " रोज़ मिलती है ,
पड़ता है मांगना तुझसे , मगर " माँ " बिन मांगे देती है ,
ए खुदा ,तेरी और " माँ " की सिर्फ सूरत मिलती है
बुरे वक़्त में तू देर से आता है,मगर "माँ" दौडकर सीने से लगाती है ,
खुशियों के साथ तु दर्द देता है , मगर " माँ " सिर्फ खुशिया देती है ,
ए खुदा , तेरी और " माँ " की सिर्फ सूरत मिलती है ,
कसौटी भरे ज़ख्म तु देता है ,मगर " माँ "ज़ख्म पर मरहम लगाती है ,
फिर भी जब मैंने कहा " माँ , तु ही खुदा है "
तो " माँ " बोली - " नहीं बेटे , खुद के अंदर ही खुदा है "
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सुन्दर रचना !
ReplyDelete" एय खुदा ,तेरी और " माँ " की सिर्फ सुरत मिलती है ,
ReplyDeleteढूंढने पर भी नहीं मिलता तु,मगर " माँ " रोज़ मिलती है ,
पड़ता है मांगना तुजसे , मगर " माँ " बिन मांगे देती है ,
एय खुदा ,तेरी और " माँ " की सिर्फ सुरत मिलती है |
Wah!
bahut hi khubsurat....
ReplyDeleteek-ek shabd kai bhaawo ko chhipae hue hain.
ma ne sach hi kaha hai ki....khud ke andar hi khuda hai.
Behad sundar rachana !
ReplyDeleteआपने तो रुला दिया.... बहुत सुंदर रचना....
ReplyDeleteवाह बहुत अच्छी रचना है .. सुंदर अभिव्यक्ति है !!
ReplyDeleteदिल ख़ुश हो गया!
ReplyDelete--
"सरस्वती माता का सबको वरदान मिले,
वासंती फूलों-सा सबका मन आज खिले!
खिलकर सब मुस्काएँ, सब सबके मन भाएँ!"
--
क्यों हम सब पूजा करते हैं, सरस्वती माता की?
लगी झूमने खेतों में, कोहरे में भोर हुई!
--
संपादक : सरस पायस
bahut badiya.....
ReplyDeletemera naya blog hai... www.apnapanchoo.blogspot.com
ReplyDeleteआपको और आपके परिवार को वसंत पंचमी और सरस्वती पूजा की हार्दिक शुभकामनायें!
ReplyDeleteबहुत ख़ूबसूरत, भावपूर्ण और ममताभरी रचना लिखा है आपने! हर एक शब्द दिल को छू गयी! मुझे बेहद पसंद आया आपकी ये शानदार रचना! तस्वीर बहुत अच्छी लगी!
Behad marmik
ReplyDeletemamtv poorn rachana
Bhavanao ki bahut hi khubsurat Abhivyakti hai...
ReplyDeleteSahi kaha.....
ReplyDeletebahu saari vaat........
ReplyDeletemaza aavi gayi
aabhaar..........
माँ और खुदा की सूरत मिलती है ...माँ कह कर मुझे भी खुदा बना दिया ...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना....!!
बेहद खूबसूरत रचना . माँ और इश्वर की तुलना !!
ReplyDeleteआँखे खुली हो तो सब दिखता है
ReplyDeleteलेकिन हमने बंद कर रखी है
" aadarniy dr.mahesh ji humne to aaankhe khuli rakhi hai tabhi to " maa " ki surat me khuda ko paya hai ...arey sir POURANIK GRANTH me bhi saaf baat ho jati hai ki bhagwan ko bhi "maa" se kitana pyar tha ."
ReplyDelete"AAPKI COMMENT HUME BAHUT PASAND AAYI .AABHAR AAPKA "
बहुत सुन्दर शुभकामनायें
ReplyDeleteA nice composition
ReplyDeleteAsha
Samwedanshil post....
ReplyDeleteyah mamta kewal Ma ke paas hi nahin hoti Pita ke paas bhi hoti hai.Jis bhi wyakti ke andar mamtv ki bhavna hoti hai wah sari duniya ko apni santan samjhta hai....
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeletemain kewal itna kanoga ki
ReplyDelete"Jin mat pita ki ki sewak, wo kashi dham gaye na gaye............"
Ma ka warnan bahut hi khubsurat laga.
Ek ek shabadh ne Dil ko chu liya. Hats off to you!
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