मटन ( मांस ) नीर्यात से बढ़े दूध के दाम
* मटन नीर्यात पर कॉंग्रेस सरकार 500 करोड़ की सबसीडी देती थी
* "विशेष कृषी और ग्राम योजना "अंतर्गत मटन नीर्यात पर 500 करोड़ की सबसीडी दी जाती थी
* मटन नीर्यात पर 1 किलो मटन पर 3 रुपये से लेकर 15 रुपये की ट्रांसपोर्ट सबसीडी कोग्रेस सरकार देती थी
* सन 2009- 10 मे 20 लाख भेंसों का क़तल कीया गया था
* एक भेंश से 275 किलो मांस मीलता है और आज मांस का दाम है 150 रुपये प्रती कीलो
* सन 2008-09 मे भारत ने 5000 करोड़ रुपयो का मांस विदेश भेजा था
* जो आज 4 साल मे ही बढ़कर 10000 करोड़ पर पहुँच गया है
* पशुपालन मे पशुपालक को नुकसान हो और मांस की नीर्यात बढ़े यही थी केंद्र सरकार UPA की नीती
* पशु पौष्टीक आहार नीर्यात को भी प्रोत्साहीत कीया जाता है
* आनंद शर्मा का खत और मोदी का चुनावी मुद्दा
' नरेंद्र मोदी ने जब इस बात को चुनावी मुद्दा बनाया तब केंद्रीय उध्योग प्रधान आनंद शर्मा ने श्री नरेंद्र मोदी पर एक खत लीखा था जिसमे कहा गया था की UPA की केंद्र सरकार द्वारा मटन नीर्यात पर कोई भी सबसीडी नही दी जाती है हालाकी केंद्रीय प्रधान आनंद शर्मा ने ये सरासर झूठ कहा था क्यू की उसके जवाब मे श्री नरेंद्र मोदी ने " इंडियन डेरी एसोसिएशन के उस अहेवाल को जोड़ा था जीसमे साफ कहा गया था की " वीशेष कृषी योजना अंतर्गत 'केंद्र की कॉंग्रेस सरकार मटन नीर्यात पर वार्षिक 500 करोड़ की सबसीडी देती है |"
' मिनिस्टरी ऑफ फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्रीज की वेब साइट पर लिखा था की " मटन नीर्यात पर केंद्र सरकार ( कॉंग्रेस) द्वारा 1 किलो मटन पर 3 से 15 रुपये की ट्रांसपोर्ट सबसीडी दी जाती है |"
* कतलखाने क्यू ?
" वीदेशों मे मटन भेजने के इस धंधे को बढावा देने की वजह से ही देश मे दूध देती हुई लाखो गाय भेंसो की क़तल हो रही है क्यू की उनके मटन के नीर्यात पर UPA सरकार सबसीडी दे रही थी अगर दूध के बढ़ते दाम को अंकुश मे रखना है तो देश भर मे बेरोकटोक चल रहे क़तल खानो पर पाबंदी लगानी ही होगी और साथ मे मटन नीर्यात पर मील रही सबसीडी हटानी ही होगी ,देश के बच्चो को दूध नही मील रहा है ऐसे मे हम क्यू मटन का निकास करे ?
* कतलखाने और विदेशी मुद्रा
" एक भेंश का वजन अंदाजीत 500 किलो होता है उसमे से 275 किलो मांस मीलता है और आज मांस का दाम है 150 रुपये प्रती कीलो याने अगर एक भेंश का क़तल कीया जाये तो उसमे से 40000 हजार रुपये का मांस मीलता है और चमड़ी और हड्डीया अलग से |'
'' सन 2009- 10 मे 20 लाख भेंसों का क़तल कीया गया था ओर उनके मांस को विदेश भेजा गया था क्यू की सबसीडी जो मील रही है .... केंद्र की upa सरकार द्वारा मीट लॉबी को इतना बड़ा प्रोत्साहन दीया जा रहा था क्यू की सरकार को मील रही थी वीदेशी मुद्रा |'
* पशु के पालनपोषण से पैसा मीलता जीतना कतलखाने भेजने पर मिलता है
' सन 2008-09 मे भारत ने 5000 करोड़ रुपयो का मांस विदेश भेजा था जो आज 4 साल मे ही बढ़कर 10000 करोड़ पर पहुँच गया है आज हालत ऐसे है की जितना पैसा पशुओ को पाल पोषकर बड़ा करने के बाद उनके दूध से नही मील रहा उस से अधीक पैसा पशुओ को क़तल खाने भेजकर मील रहा है |"
*शरद पवार का मनमोहन को खत
' केंद्रीय कृषी प्रधान शरद पवार को डेरी उध्योग प्रतीनीधी ने मील कर बताया था की " पशुओ का मांस विदेश न भेजा जाए .... इस नीर्यात पर रोक लगनी चाहीये " जीस पर कृषी प्रधान शरद पवार ने तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को एक खत लीखकर पशुओ के मांस की नीर्यात पर रोक लगाने की मांग की थी | "
* क्या कहते है NDDB के सुभाष माड़ंगे ?
' नेशनल डेरी डेवलोपमेंट बोर्ड के सभ्य सुभाष माड़ंगे ने बताया था की " मांस नीर्यात पर केंद्र की UPA सरकार 30 प्रतिशत सबसीडी देती है और यही वजह है की डेरी मालीक पशुओ का पोषण करने के बजाए क़तलखाने भेजने पर ललचाते है एक तरफ पशुओ के चारा के दाम आसमान की तरफ बढ़ रहे है तो दूसरी तरफ UPA सरकार पशु मांस नीर्यात पर ढेर सारी सबसीडी दे रही है ,जब पशु दूध देना बंद कर देता है तो एक साल तक उसे पालना पड़ता है उसके बाद वो फ़ीर दूध देने लगता है जीसका खर्च अंदाजीत 36000 हजार रुपये आता है ऐसे मे पशुपालक उस पशु को कसाई के हाथो 15 या 20 हजार मे बेच देता है और नया पशु खरीद लेता है ऐसा होने के पीछे सबसे बड़ा कारण है बढ़ते चारा के दाम |"
" पशुपालन मे पशुपालक को नुकसान हो और मांस की नीर्यात बढ़े " यही थी केंद्र सरकार UPA की नीती |"
" पशु पौष्टीक आहार पर भी UPA केंद्र सरकार की नीती ऐसी ही थी, जिसके नीर्यात को भी प्रोत्साहीत कीया जाता है ,जैसे की सन 2006 - 2009 के बीच पशु पौष्टीक आहार के निकास मे 101 प्रतीशत वृधी हुई थी ..रोज 10 लीटर दूध देनेवाली गाय भेंश को अंदाजीत 675 किलोग्राम आहार की जरूरत पड़ती है इस हीसाब से 33 लाख पशुओ को आहार चले उतने पौष्टीक आहार को विदेश भेज दीया गया था अगर ये आहार देश के पशुओ को दीया जाता तो 9,92,47,800 (अंदाजीत 10 करोड़ लीटर ) दूध पैदा कीया जा सकता था | '
* देश के बच्चे दूध के लीये तड़पे और मटन नीर्यात पर सबसीडी ?
" ये कैसी नीती है एक तरफ देश के बच्चे दूध की एक बूंद के लीये तड़प रहे है ,पशुपालक खोट का धंधा कर रहे है मगर कॉंग्रेस की upa सरकार मांस नीर्यात पर सबसीडी दे रही थी ? कॉंग्रेस सरकर को गरीबो के बच्चो की नही ..... उन लाखो पशुपालको के दर्द की नही मगर पशु मांस विदेश भेजनेवाले कसाईयो की परवाह थी , चिंता थी ...कमाल है | '
" देश के बच्चे बूढ़े भले दूध बिना मरे मगर कसाई ,कतलखाने के मालीक की जेब भरना जरूरी क्यू समजती थी कॉंग्रेस सरकार ? ये सरकार किसानो एवम पशुपालको को ऐसी सबसीडी क्यू नही देती थी ?"
" बंद करो ये गुलाबी क्रांती जिस से बच्चे दूध की बूंद के लीये तड़पे और हजारो गौमाता और भेंस की कतलेआम हो ..... मोदी जी से प्रार्थना है की मटन नीर्यात पर रोक लगाए |"
देखीए कतलखाने मे गाय माता को कीतनी यातनाए दी जाती है
( कमजोर दील वाले ये वीडियो ना देखे )
गौमाता के क़तल के बाद उनके अंग से क्या क्या बनता है ?
क्या आप शाकाहारी है ?
देखीए ये वीडियो
" अब आप तय करे की आपको क्या करना है आपकी माता एवं आपके बच्चो को बचाना है या नही ? गौमाता की उदारता का ये एक उदाहरण देखो ........ओह ! कीतनी दया भरी है गौमाता के दील मे और हम उसीको काट रहे है .......
क्या इंसान शैतान बन गया है ?
:::::::